सरकारी स्तर पर डॉ. अंबेडकर की जयंती तो मौलाना आसिम बिहारी नजर अंदाज क्यों ?: एम.डब्ल्यू. अंसारी
मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की तरह सामाजिक अन्याय, जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता के खिलाफ अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने मोमिन कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मोमिन अंसारी और अन्य पिछड़े मुस्लिम समुदायों की भलाई और संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मौलाना आसिम बिहारी मुसलमानों के अंबेडकर हैं, जिन्होंने उत्पीड़ित और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया: मो० आरिफ अंसारी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछड़े वर्गों के हितैषी हैं, लेकिन पिछड़े मुस्लिम नेतृत्व उनकी कृपा दृष्टि से वंचित क्यों? : तनवीर अंसारी
मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की तरह सामाजिक अन्याय, जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता के खिलाफ अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने मोमिन कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मोमिन अंसारी और अन्य पिछड़े मुस्लिम समुदायों की भलाई और संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, यह दुखद है कि आज इलाहाबाद में उनकी कब्र भी गुमनामी में है। छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी एम.डब्ल्यू. अंसारी ने कांग्रेस पार्टी समेत विभिन्न सरकारों के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि जहां डॉ. अंबेडकर की जयंती पर सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर शानदार आयोजन होते हैं,
वहीं मौलाना अली हुसैन आसिम बिहारी को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया जाता है। जबकि डॉ. अंबेडकर की तरह ही मौलाना आसिम बिहारी की कुर्बानियों को नई पीढ़ी से परिचित कराना जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि भाजपा पिछड़े मुसलमानों के साथ केवल दिखावटी हमदर्दी दिखा रही है, जबकि 1950 के राष्ट्रपति आदेश की धारा 3 से धर्म की शर्त को हटाने में विफल रही है, जिसके तहत पिछड़े और दलित मुसलमानों को अनुसूचित जातियों के अधिकारों से वंचित रखा गया है। हम मौलाना आसिम बिहारी के मिशन को आगे बढ़ाते हुए शिक्षा, एकता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हैं, ताकि सामाजिक न्याय स्थापित हो और देश की साझा विरासत सुरक्षित रहे।
ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस के महासचिव मो० आरिफ अंसारी ने कहा कि मौलाना आसिम बिहारी मुसलमानों के अंबेडकर हैं, जिन्होंने सामाजिक भेदभाव को खत्म करने और समुदाय को संगठित करने के लिए काम किया। उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को पिछड़े समुदाय के हित में बताने वालों की आलोचना की और सवाल किया कि इसका कौन सा प्रावधान फायदा देगा? उन्होंने कहा कि 60 प्रतिशत से अधिक वक्फ सम्पत्तियों पर मस्जिदें, कब्रिस्तानें, ईदगाहें, मजारात, दरगाहें और इमामबाड़ें हैं, जिनसे पिछड़ा वर्ग पहले ही लाभ उठा रहा है।
अधिनियम में पिछड़ों के लिए कुछ नहीं, सिवाय दो सदस्यों की नियुक्ति के, जिनके अधिकार स्पष्ट नहीं हैं। अगर वक्फ संपत्तियां खत्म हो गईं, तो सदस्य क्या करेंगे? मोमिन अंसारी सहित पिछड़ा समुदाय इस अधिनियम के खिलाफ है और इसे रद्द करने की मांग करता है। उन्होंने बताया कि एम. डब्ल्यू, अंसारी के उनकी की मुलाकात हजरत अमीर-ए-शरीअत अहमद फैसल वाली रहमानी से हुई है, जिन्होंने मुसलमानों में जातिगत भेदभाव खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई है और हम उनके साथ हैं।
वहीं, तनवीर आलम अंसारी ने मोमिन और अन्य पिछड़े मुस्लिम समुदायों से मोमिन कॉन्फ्रेंस के बैनर तले एकजुट होने की अपील की ताकि उनके हितों की रक्षा हो सके। उन्होंने कहा कि मौलाना आसिम बिहारी का जीवन यही संदेश देता है कि गरीब, मजदूर, और वंचित वर्ग अपने अधिकारों के लिए जागरूक हों और अनुशासन विकसित करें। उन्होंने कहा कि उनके दादा अब्दुल कय्यूम अंसारी ने इस विचार को साकार किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि वे पिछड़े वर्गों के हितैषी कहे जाते हैं, लेकिन मुस्लिम पिछड़े नेतृत्व उनकी कृपा से वंचित क्यों है?
सदा-ए-अंसारी के संपादक अतहर अंसारी ने भारत सरकार से मांग की कि महान स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय अब्दुल कय्यूम अंसारी को मरणोपरांत "भारत रत्न" से सम्मानित किया जाए। अंत में, उन्होंने सभा के आयोजक नौशाद आजम की कोशिशों की सराहना करते हुए कहा कि जहां पिछड़े वर्गों के नेताओं को लोग नजरअंदाज कर रहे हैं, वहीं उन्होंने मौलाना आसिम बिहारी की जयंती पर ऐसी सभा आयोजित कर एक बेहतरीन मिसाल पेश की है। इस मौके पर नौशाद आजम ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
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सभा का आयोजन इम्तियाज अहमद अंसारी मेमोरियल एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के तत्वावधान में बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स, गांधी मैदान, पटना में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत-ए-कुरआन से हुई, जिसमें विशेष रूप से जनाब अता अशरफ़, संजर अली फ़रीद, डॉ. महबूब आलम (अंसारी) चेयरमैन भारतीय नॅशनल फ्रंट, हिशामुद्दीन, मोहम्मद नसीम अंसारी (BHS), मास्टर मंसूर आलम (गया), डॉ. मुबस्सिर हयात (BHS), एडवोकेट अबू हैदर (N.A. कॉलोनी), डॉ. आसिफ (चकिया), इंजी. सईद साहब (R.K. नगर), डॉ. क़ासिम अंसारी ( ढाका - E.C), मोहम्मद खालिद इक़बाल (जमशेदपुर ) भी शामिल हुए और अपने विचार व्यक्त किए।