बुढ़ापे को कहें अलविदा! इस जंगली जड़ी-बूटी से रहें जवान और फिट
Benefits And Uses Of Makoy : मकोय एक आयुर्वेदिक पौधा है, जो कहीं भी आसानी से उग सकता है. ये पौधा बिना देखभाल के कहीं भी खरपतवार की तरह उग जाता है. मकोय की पत्तियों में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जिनका अगर नियमित रूप से सेवन किया जाए तो लगता है कि इंसान की उम्र ठहर सी गई है.

Benefits And Uses Of Makoy : मकोय एक आयुर्वेदिक पौधा है, जो कहीं भी आसानी से उग सकता है. ये पौधा बिना देखभाल के कहीं भी खरपतवार की तरह उग जाता है. मकोय की पत्तियों में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जिनका अगर नियमित रूप से सेवन किया जाए तो लगता है कि इंसान की उम्र ठहर सी गई है.
भारत में बहुत पहले से ही गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अलग-अलग प्रकार की जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता रहा है. भारत को आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है. जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती है. हम भारतवासी बड़ी से बड़ी बीमारी के उपचार में आयुर्वेदिक दवाओं का ही उपयोग करते रहे हैं. धरती पर हमारे आसपास ऐसी हजारों पड़-पौधे मौजूद हैं, जिनका उनके औषधीय गुणों के कारण कई दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है.
आयुर्वेद में ऐसे पेड़-पौधों को ऊंचा दर्जा दिया गया है. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की बात होती है, तो अक्सर तुलसी, गिलोय या आंवला की सबसे ज्यादा बात होती है. लेकिन कई ऐसे पौधे हैं जिनका कई बीमारियों के इलाज में दवा बनाने में यूज किया जाता है. लेकिन जानकारी के अभाव में उन्हें खरपतवार समझ कर हम उसे नष्ट कर देते हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं जंगलों में पाए जाने वाले एक साधारण से पौधे मकोय की. जिससे आयुर्वेद में कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है. आयुर्वेद में इसे काकमाची के नाम से भी जाना जाता है. आम तौर पर यह छायादार जगहों पर ज्यादा पाया जाता है. इसके पौधे पर जमुनी और लाल रंग के टमाटर जैसे छोटे-छोटे फल लगते हैं. इस पौधे की लंबाई आमतौर पर 1 से 1.5 फीट तक होती है. साधारण सा दिखने वाला यह पौधा हमें कई रोगों से बचाने में काफी सहायक है.
कहीं भी उग जाता है मकोय
मकोय को असल में एक खरपतवार माना जाता है, जो कहीं भी उग जाता है. जंगलों में तो यह नजर आता ही है, साथ ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों की मेड़ में भी इसकी झाड़ी खूब नजर आएगी. शहरी क्षेत्रों के पार्क में जो ट्रैक बनाए जाते हैं, उसके दोनों तरफ बनी झाड़ियों में भी मकोय खूब दिखता है. इसका आकार मटर के दानों से कुछ छोटा होता है. फल कच्चा होने पर छोटे हरे मटर जैसा दिखता है और जब पक जाता है तो इसका कलर लाल, पीला या बैंगनी काला जैसा नजर आने लगता है.
बुढ़ापे की गति कर देगा मंद
रायबरेली जिले के सीएचसी शिवगढ़ की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ आकांक्षा दीक्षित (MD Ayurved ) ने बताया कि आयुर्वेद में इसे त्रिदोष नाशक माना जाता है. अर्थात वात पित्त और कफ का नाश करने वाली यह औषधि है. आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में वात- पित्त और कफ तीन दोष होते हैं. जब इन तीनों में से किसी भी एक दोष की कमी या अधिकता हो जाती है.
तो हम बीमार पड़ जाते हैं, इसका सेवन करने से हमें बेहद आराम मिल जाता है. इसीलिए इस औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. यह औषधि पौरुष बल तो बढ़ाता ही है, साथ ही इसकी जड़ों का बनाया गया काढ़ा शरीर का विष नष्ट करता है और बुढ़ापे की गति को भी मंद कर देता है.
इन बीमारियों के लिए है रामबाण
डॉ. आकांक्षा दीक्षित के मुताबिक मकोय का प्रमुख रूप से एक औषधि पौधा है. इसका इस्तेमाल कुष्ठ और बुखार के उपचार में, सांस संबंधी विकारों को दूर करने में, किडनी की बीमारी , सूजन, बवासीर, पीलिया ,दस्त या कई प्रकार के चर्म रोग के उपचार में इसका सेवन करने से हमें बेहद लाभ मिलता है.
Disclaimer : इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का khulasapost व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.(एजेंसी)