इकबादल मैदान का 15 वर्षों से बंद पड़ा फाउंटेन शुरू:मैदान का संरक्षण कार्य जारी, बाउंड्री वॉल पर अल्लामा की शेर-ओ-शायरी लिखने की मांग

वर्षों की अनदेखी के बाद भोपाल के ऐतिहासिक इकबाल मैदान का संरक्षण कार्य तेजी से जारी है। नगर निगम प्रशासन द्वारा किए जा रहे इस कार्य के तहत मैदान की सुंदरता को फिर से निखारने की कोशिश की जा रही है। विशेष रूप से, लगभग 15 वर्षों से बंद पड़ा वाटर फाउंटेन एक बार फिर चालू कर दिया गया है, जिससे मैदान की शोभा और बढ़ गई है। इकबाल मैदान का निर्माण महान शायर अल्लामा इकबाल की याद में किया गया था। लेकिन वर्षों की उपेक्षा के कारण यह बदहाल स्थिति में पहुंच गया था। जमीअत उलमा मध्यप्रदेश द्वारा लगातार इसके संरक्षण की मांग उठाई जा रही थी। भोपाल में आगामी आयोजनों को देखते हुए प्रशासन ने इसकी मरम्मत और सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संरक्षण के दौरान हटाए गए इकबाल के शेर संरक्षण कार्य के दौरान कुछ बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं। पहले इस मैदान के चारों ओर अल्लामा इकबाल की शायरी लिखी हुई थी। इसे हटा दिया गया है। अब यह शायरी फिर से लगाने की मांग उठ रही है। स्थानीय संगठनों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह केवल एक मैदान नहीं, बल्कि भोपाल की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। ऐतिहासिक पहचान का अहम हिस्सा रहे मैदान की बाउंड्री वॉल पर अल्लामा इकबाल की शेर-ओ-शायरी नहीं लगाना गलत है। पहले, मैदान की दीवारों पर पत्थरों पर उकेरे गए इकबाल के शेर इसकी रौनक बढ़ाते थे। इसे विशेष पहचान देते थे, लेकिन संरक्षण कार्य के बावजूद इस महत्वपूर्ण पहलू को नजरअंदाज किया जा रहा है। कौमी खिदमतगार हाजी मोहम्मद इमरान हारून का कहना है कि नगर निगम द्वारा किया जा रहा यह संरक्षण कार्य काबिले-तारीफ है। स्थानीय नागरिकों और संगठनों ने इस पहल की सराहना करते हुए उम्मीद जताई है कि जल्द ही इकबाल मैदान अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को पुनः प्राप्त करेगा। विरासत-ए-भोपाल मंच ने कहा- कलेक्टर संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ विरासत-ए-भोपाल मंच ने भोपाल के इकबाल मैदान पर लागू धारा 144 हटाने की मांग की है। रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मंच की ओर से कहा गया कि सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए इकबाल मैदान को खोला जाए। सदस्यों की मानें, तो इकबाल मैदान भोपाल की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इस मैदान का इस्तेमाल सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए किया जाना चाहिए। बता दें, करीब चार साल से इकबाल मैदान में कोई कार्यक्रम नहीं किया गया है। यहां पर कई तरह के सांस्कृतिक और राजनैतिक कार्यक्रम लगातार होते थे। पढ़ें पूरी खबर

इकबादल मैदान का 15 वर्षों से बंद पड़ा फाउंटेन शुरू:मैदान का संरक्षण कार्य जारी, बाउंड्री वॉल पर अल्लामा की शेर-ओ-शायरी लिखने की मांग

वर्षों की अनदेखी के बाद भोपाल के ऐतिहासिक इकबाल मैदान का संरक्षण कार्य तेजी से जारी है। नगर निगम प्रशासन द्वारा किए जा रहे इस कार्य के तहत मैदान की सुंदरता को फिर से निखारने की कोशिश की जा रही है। विशेष रूप से, लगभग 15 वर्षों से बंद पड़ा वाटर फाउंटेन एक बार फिर चालू कर दिया गया है, जिससे मैदान की शोभा और बढ़ गई है। इकबाल मैदान का निर्माण महान शायर अल्लामा इकबाल की याद में किया गया था। लेकिन वर्षों की उपेक्षा के कारण यह बदहाल स्थिति में पहुंच गया था। जमीअत उलमा मध्यप्रदेश द्वारा लगातार इसके संरक्षण की मांग उठाई जा रही थी। भोपाल में आगामी आयोजनों को देखते हुए प्रशासन ने इसकी मरम्मत और सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संरक्षण के दौरान हटाए गए इकबाल के शेर संरक्षण कार्य के दौरान कुछ बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं। पहले इस मैदान के चारों ओर अल्लामा इकबाल की शायरी लिखी हुई थी। इसे हटा दिया गया है। अब यह शायरी फिर से लगाने की मांग उठ रही है। स्थानीय संगठनों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह केवल एक मैदान नहीं, बल्कि भोपाल की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। ऐतिहासिक पहचान का अहम हिस्सा रहे मैदान की बाउंड्री वॉल पर अल्लामा इकबाल की शेर-ओ-शायरी नहीं लगाना गलत है। पहले, मैदान की दीवारों पर पत्थरों पर उकेरे गए इकबाल के शेर इसकी रौनक बढ़ाते थे। इसे विशेष पहचान देते थे, लेकिन संरक्षण कार्य के बावजूद इस महत्वपूर्ण पहलू को नजरअंदाज किया जा रहा है। कौमी खिदमतगार हाजी मोहम्मद इमरान हारून का कहना है कि नगर निगम द्वारा किया जा रहा यह संरक्षण कार्य काबिले-तारीफ है। स्थानीय नागरिकों और संगठनों ने इस पहल की सराहना करते हुए उम्मीद जताई है कि जल्द ही इकबाल मैदान अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को पुनः प्राप्त करेगा। विरासत-ए-भोपाल मंच ने कहा- कलेक्टर संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ विरासत-ए-भोपाल मंच ने भोपाल के इकबाल मैदान पर लागू धारा 144 हटाने की मांग की है। रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मंच की ओर से कहा गया कि सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए इकबाल मैदान को खोला जाए। सदस्यों की मानें, तो इकबाल मैदान भोपाल की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इस मैदान का इस्तेमाल सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए किया जाना चाहिए। बता दें, करीब चार साल से इकबाल मैदान में कोई कार्यक्रम नहीं किया गया है। यहां पर कई तरह के सांस्कृतिक और राजनैतिक कार्यक्रम लगातार होते थे। पढ़ें पूरी खबर