औषधीय गुणों से भरपूर अर्कमूल: आयुर्वेद में रामबाण इलाज का जरिया
Health News : साधारण सा दिखने वाला पौधा अर्कमूल औषधीय गुणों से भरपूर है और केवल बाहरी ही नहीं, बल्कि भीतरी रोगों के उपचार में भी अत्यंत उपयोगी माना जाता है। इस पौधे को आमतौर पर अकौआ, अकौड़ा या मदार के नाम से जाना जाता है।

Health News : साधारण सा दिखने वाला पौधा अर्कमूल औषधीय गुणों से भरपूर है और केवल बाहरी ही नहीं, बल्कि भीतरी रोगों के उपचार में भी अत्यंत उपयोगी माना जाता है। इस पौधे को आमतौर पर अकौआ, अकौड़ा या मदार के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम कालोट्रोपीस गिगांटिया है और यह एपोसाइनेसी कुल से संबंधित है। अर्कमूल की ऊंचाई आमतौर पर 3 से 5 फीट तक होती है और इसके पत्ते या तना तोड़ने पर सफेद रंग का गाढ़ा दूध निकलता है, जो औषधीय गुणों से समृद्ध होता है।
चरक संहिता इसे पाचन और आंतरिक विकारों के उपचार में लाभकारी मानती है, जबकि सुश्रुत संहिता के अनुसार यह घावों, सूजन और विषैले कीड़े के डंक से राहत देने में कारगर है। आधुनिक अनुसंधान भी इसकी उपयोगिता को प्रमाणित करते हैं। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि इस पौधे में एंटी-कैंसर तत्व होते हैं, जो कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को रोक सकते हैं। इसका उपयोग बवासीर के इलाज में, सूजन कम करने और दर्द से राहत देने के लिए किया जाता है। फेफड़ों की बीमारियों और अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं के उपचार में इसके फूलों का सुखाया हुआ चूर्ण उपयोगी माना गया है।
दांत दर्द की स्थिति में इसके दूध को कॉटन बॉल में भिगोकर मसूड़ों पर लगाने से आराम मिलता है। इसके अलावा, त्वचा पर होने वाले छालों और फोड़े-फुंसियों में भी यह राहतदायक होता है। आयुर्वेदिक उपयोग के अलावा वैदिक और तांत्रिक परंपराओं में भी इस पौधे को विशेष स्थान प्राप्त है। इसे भगवान शिव का प्रतीक माना गया है और इसकी जड़ को साधना में उपयोग किया जाता है। हालांकि, इसका दूध विषैला होता है, इसलिए इसे आंख, नाक या खुले घाव पर लगाने से बचना चाहिए।(एजेंसी)