सुनीता विलियम्स के ड्रैगन यान को 17 घंटे क्यों लगे, जबकि सोयुज़ सिर्फ़ 3 घंटे में पहुँचा?

Sunita Williams Dragon spacecraft : अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर नौ महीने बिताने के बाद सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आए हैं. वे मंगलवार को भारतीय समयानुसार सुबह 10.35 बजे आईएसएस से रवाना हुए और बुधवार को तड़के 3.30 बजे अमेरिका के फ़्लोरिडा के तट पर समंदर में उतरे.

सुनीता विलियम्स के ड्रैगन यान को 17 घंटे क्यों लगे, जबकि सोयुज़ सिर्फ़ 3 घंटे में पहुँचा?

Sunita Williams Dragon spacecraft : अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर नौ महीने बिताने के बाद सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आए हैं. वे मंगलवार को भारतीय समयानुसार सुबह 10.35 बजे आईएसएस से रवाना हुए और बुधवार को तड़के 3.30 बजे अमेरिका के फ़्लोरिडा के तट पर समंदर में उतरे.

उन्होंने निजी अमेरिकी अंतरिक्ष कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर कुल 17 घंटे की यात्रा की. हालाँकि, रूस का सोयुज़ अंतरिक्ष यान उसी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर तीन घंटे में पृथ्वी पर पहुंच सकता है. एक ही स्थान से चलने वाले दो अंतरिक्ष यानों के बीच यात्रा समय में 14 घंटे का अंतर क्यों होता है?

अंतरिक्ष यान

यात्रा का समय किस बात पर निर्भर करता है?

अंतरिक्ष यात्रा भौतिकी के नियमों पर आधारित है. अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटते समय अंतरिक्ष यान सीधे अंतरिक्ष से नीचे नहीं उतरते. उन्हें धीरे-धीरे आने और सुरक्षित रूप से उतरने की ज़रूरत होती है. इसके लिए आवश्यक समय अंतरिक्ष यान के आकार और लैंडिंग में इस्तेमाल हो रही तकनीक पर निर्भर करेगा.

चूंकि ड्रैगन और सोयुज़ अंतरिक्ष यान अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए दोनों अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण से लेकर आईएसएस पर उतरने तक के समय अलग-अलग होते हैं.

अंतरिक्ष यान

सोयुज़ अंतरिक्ष यान में समय कम क्यों लगता है?

रूस के सोयुज़ अंतरिक्ष यान का डिजाइन 1960 के दशक में बनाया गया था. इसका आकार एक छोटे और ठोस अंतरिक्ष यान जैसा है जो अंतरिक्ष यात्रियों को शीघ्रता से पृथ्वी पर वापस लाता है.

अंतरिक्ष यान

इसमें एक समय में अधिकतम तीन लोग यात्रा कर सकते हैं. आईएसएस से उड़ान भरने के बाद, अंतरिक्ष यान तीव्र गति से पृथ्वी की ओर यात्रा करता है. इससे अंतरिक्ष यात्री मात्र तीन घंटे में पृथ्वी पर पहुंच जाते हैं. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सोयूज अंतरिक्ष यान के बारे में कहा है, "कज़ाख़स्तान के मैदानी क्षेत्र में लैंडिंग एक बहुत ही त्वरित प्रक्रिया होती है, जिसमें लगभग साढ़े तीन घंटे लगते हैं."

सोयुज़ एमएस-11

सोयुज़ अंतरिक्ष यान के तीन भागों में से दो भाग पृथ्वी पर पुनः प्रवेश करते ही जल जाते हैं. केवल एक भाग ही उतरता है. लैंडिंग से 15 मिनट पहले चार पैराशूट खोले जाते हैं. सबसे पहले दो पैराशूट खुलते हैं, फिर तीसरा बड़ा पैराशूट खुल जाता है. इससे अंतरिक्ष यान की गति 230 मीटर प्रति सेकंड से घटकर 80 मीटर प्रति सेकंड हो जाती है.

अंत में, चौथा पैराशूट खोला जाता है. यह तीसरे पैराशूट से 40 गुना बड़ा होता है. अंतरिक्ष यान का कोण इस तरह बनाया जाता है कि वह सीधा उतर सके. अंतरिक्ष यान की गति भी घटाकर 7.3 मीटर प्रति सेकंड कर दी जाती है.

सोयुज़ अंतरिक्ष यान

हालाँकि, लैंडिंग के लिए यह रफ़्तार भी बहुत अधिक होती है. इसे और कम करने के लिए, अंतरिक्ष यान के निचले हिस्से में स्थित दो इंजन लैंडिंग से ठीक पहले चालू हो जाते हैं. इससे अंतरिक्ष यान की रफ़्तार और कम हो जाएगी.

सोयुज़ अंतरिक्ष यान की लैंडिंग कैसी होती है?

सोयुज़ पृथ्वी की कक्षा को छोड़ने और फिर लगभग 90 डिग्री के कोण पर पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करते समय अपनी रफ़्तार धीमी करने के लिए अपने इंजन का इस्तेमाल करता है. बिल्कुल सीधे प्रवेश के दौरान, ऊंची गति से आ रहे अंतरिक्ष यान की रफ़्तार हवा के घर्षण के कारण कम हो जाती है.

ड्रैगन अंतरिक्ष यान

इस प्रक्रिया में अंतरिक्ष यान पर बहुत अधिक ऊष्मा और बल पैदा हो जाता है. एक हीट शील्ड अंतरिक्ष यात्रियों को इस उच्च ताप से बचाने में मदद करती है. लेकिन इन सुरक्षा उपायों के बावजूद अंतरिक्ष यात्रियों को गुरुत्वाकर्षण से कई गुना अधिक शक्तिशाली बल महसूस होता है.

जब वायुमंडल अंतरिक्ष यान की गति को धीमा कर देता है, तो सोयुज़ अपने पैराशूट तैनात करना शुरू कर देता है. इससे अंतरिक्ष यान की गति और कम हो जाती है. जहां तक सोयुज़ अंतरिक्ष यान की बात है, इसकी ख़ासियत इसकी गति है. अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष के रेडियेशन और शून्य गुरुत्वाकर्षण के प्रभावों का अनुभव कम समय तक करना पड़ता है. लेकिन, इसकी लैंडिंग बहुत मुश्किल होती है.

ड्रैगन अंतरिक्ष यान की लैंडिंग कैसे होती है?

ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सात लोग यात्रा कर सकते हैं. इसमें लैंडिंग के लिए एक अलग तरीका अपनाया जाता है. पृथ्वी पर वापस आने के लिए तीव्र, सीधी लैंडिंग के बजाय, यह एक धीमी, क्रमिक यात्रा है.

पृथ्वी पर वापसी की यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिहाज से तैयारी की जाती है. ड्रैगन अंतरिक्ष यान को अपनी कक्षा समायोजित करने में ही कई घंटे लगते हैं. यह काम ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर लगे ड्रेको थ्रस्टर्स नामक 16 इंजनों के मार्फ़त किया जाता है. इससे परियोजना नियंत्रकों को लैंडिंग के दौरान अनुकूल हालात तय करने में मदद मिलती है.

सोयुज़ अंतरिक्ष यान से उलट, ड्रैगन अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश एक झुके हुए कोण से करता है. इस तरह वायुमंडल के संपर्क में आने से पैदा होने वाला तापमान, लंबे समय तक और अधिक क्षेत्र में निकल जाता है. इससे अंतरिक्ष यात्रियों पर पड़ने वाला प्रभाव कम हो जाता है. इसके अलावा इस दौरान अंतरिक्ष यान धीरे-धीरे अपनी गति कम रहा होता है.

वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने के बाद अंतरिक्ष यान को स्थिर रखने के लिए दो बड़े पैराशूट इस्तेमाल किए जाते हैं. इसके अतिरिक्त, लैंडिंग से ठीक पहले अंतरिक्ष यान की गति धीमी करने के लिए चार पैराशूट भी होते हैं.

दोनों की लैंडिंग में क्या है अंतर?

सोयुज़ अंतरिक्ष यान जमीन पर उतरता है, लेकिन ड्रैगन समंदर के पानी में उतरता है. सोयुज़ आमतौर पर रूसी सीमा के पास कज़ाख़स्तान के विशाल मैदानी इलाक़ों (स्तेपी) में उतरता है. ड्रैगन कैप्सूल, समुद्री परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, अमेरिकी राज्य फ़्लोरिडा के निकट समंदर की सतह पर उतरता है.

ज़मीन की अपेक्षा पानी पर उतरने के लिए अधिक तैयारी की ज़रूरत होती है क्योंकि अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों को समंदर में डूबने से बचाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. बचाव दल को उस स्थान के पास नावों में तैयार रहना होता है, जहां अंतरिक्ष यान के पानी में उतरने की संभावना है.

उन्हें अंतरिक्ष यान के करीब जाकर यह जांच करनी होती है कि अंतरिक्ष यान पर ज़हरीली रेडिएशन तो नहीं है. इसके बाद कैप्सूल को पास के रिकवरी साइट पर ले जाया जाता है, जहां अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर निकाला जाता है. इसका फ़ायदा यह है कि आप लैंडिंग साइट पर अधिक नियंत्रण रख सकते हैं.(एजेंसी)