संविदा कर्मियों के लिए राहत भरी खबर: बिलासपुर हाईकोर्ट ने नियमितीकरण का दिया आदेश

रायपुर : बिलासपुर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ में कार्यरत संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक आदेश सुनाया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) रायपुर में कार्यरत कर्मचारियों की याचिका पर न्यायाधीश एके प्रसाद ने यह आदेश दिया है कि चार महीने के भीतर इन कर्मचारियों को नियमित किया जाए।

संविदा कर्मियों के लिए राहत भरी खबर: बिलासपुर हाईकोर्ट ने नियमितीकरण का दिया आदेश

रायपुर : बिलासपुर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ में कार्यरत संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक आदेश सुनाया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) रायपुर में कार्यरत कर्मचारियों की याचिका पर न्यायाधीश एके प्रसाद ने यह आदेश दिया है कि चार महीने के भीतर इन कर्मचारियों को नियमित किया जाए। यह निर्णय प्रदेश के हजारों ऐसे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जो वर्षों से अस्थायी आधार पर कार्यरत थे।

कर्मचारियों के नियमितीकरण का आधार:

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं को काम करते हुए 10 साल से अधिक का समय हो चुका है, और इन कर्मचारियों के पास पर्याप्त अनुभव भी है। न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि कर्मचारियों को उनके वर्तमान पद पर ही नियमित किया जाए। इस फैसले से न केवल NIT रायपुर में कार्यरत कर्मचारियों, बल्कि प्रदेश के विभिन्न सरकारी संस्थानों में कार्यरत संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को भी उम्मीद की किरण दिखाई दी है।

प्रदेशभर के कर्मचारियों में जगी उम्मीद 

इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद, छत्तीसगढ़ के विभिन्न सरकारी संस्थानों में कार्यरत ऐसे कर्मचारियों को नियमितीकरण की उम्मीद जगी है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील अनियमित कर्मचारी फेडरेशन ने राज्य सरकार से यह अपील की है कि अन्य सरकारी संस्थानों में कार्यरत सभी ऐसे कर्मचारियों को भी नियमित किया जाए। कर्मचारियों का कहना है कि इस फैसले से उनकी कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित होगी।

कांग्रेस सरकार के वादे की दिशा में एक कदम:

इस मामले की जड़ 2018 में कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र से जुड़ी हुई है, जिसमें पार्टी ने संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण का वादा किया था। भूपेश सरकार बनने के बाद, 11 दिसंबर 2019 को प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग विभाग की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों के नियमितीकरण पर रिपोर्ट तैयार करना था। 16 सितंबर 2022 को कर्मचारी संगठनों की मांग पर एक और समिति का गठन किया गया, जो इस मामले की जाँच कर रही थी।

याचिका का विवरण और कोर्ट का निर्णय:

यह याचिका याचिकाकर्ता नीलिमा यादव, रश्मि नागपाल और 40 अन्य कर्मचारियों द्वारा लगाई गई थी। अधिवक्ता दीपाली पाण्डेय के माध्यम से इन कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया था कि इन कर्मचारियों ने लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की थी और बाद में साक्षात्कार और मेरिट के आधार पर NIT रायपुर में नियुक्ति पाई थी। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के अन्य राज्य में पारित आदेशों को भी अपनी याचिका में न्यायिक दृष्टांत के रूप में प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने इन तर्कों को ध्यान में रखते हुए अपने आदेश में कर्मचारियों के नियमितीकरण का निर्देश दिया।

राज्य सरकार ने नियमों में किया बदलाव:

बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद, राज्य सरकार ने भर्ती नियमों में संशोधन कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग के नए निर्देशों के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SGRY) सरगुजा में क्षेत्रीय समन्वयक और लेखा सह MIS सहायक पदों के लिए अब केवल सरगुजा जिले के मूल निवासियों को आवेदन करने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। अब इन पदों के लिए पूरे राज्य के लोग आवेदन कर सकते हैं। यह निर्णय पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा 29 सितंबर 2022 को जारी किए गए विज्ञापन से संबंधित है, जिसमें केवल सरगुजा के निवासी पात्र माने गए थे।

 इस महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय ने छत्तीसगढ़ में संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद पैदा की है। राज्य सरकार के नियमों में बदलाव और हाईकोर्ट के आदेश के बाद, लाखों कर्मचारी अब अपने भविष्य को लेकर ज्यादा आश्वस्त महसूस कर रहे हैं। यह कदम न केवल कर्मचारियों के लिए राहत का कारण बना है, बल्कि प्रदेश की प्रशासनिक प्रणाली में सुधार की दिशा में भी एक अहम कदम है।