छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को बड़ी राहत: सुप्रीम कोर्ट ने उन्नत वेतनमान देने का दिया आदेश

CG Breaking News : सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया है, जिससे राज्य के हजारों शिक्षकों को उन्नत वेतनमान मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को बड़ी राहत: सुप्रीम कोर्ट ने उन्नत वेतनमान देने का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को मिलेगा न्याय और उन्नत वेतनमान

CG Breaking News : सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया है, जिससे राज्य के हजारों शिक्षकों को उन्नत वेतनमान मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस ऐतिहासिक फैसले से लगभग 70,000 शिक्षकों को लाभ मिलेगा और राज्य सरकार पर लगभग 7,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा।

क्या है पूरा मामला 

2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने शिक्षकों के 10 वर्षों की सेवा पूरी होने पर उन्नत वेतनमान देने की घोषणा की थी। लेकिन 2014 में सरकार ने एक नया वेतनमान लागू कर दिया और पहले घोषित उन्नत वेतनमान को रद्द कर दिया। इससे शिक्षकों में असंतोष फैल गया।

सोनू साहू नामक सहायक शिक्षक, जो 2005 में नियुक्त हुए थे, को 10 वर्षों के बाद भी न पदोन्नति मिली और न ही उन्नत वेतनमान। उन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसे पहले एकल पीठ ने खारिज कर दिया। लेकिन बाद में उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने उनके पक्ष में निर्णय दिया और राज्य सरकार को 2015 से उन्नत वेतनमान देने का निर्देश दिया। राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। यह फैसला शिक्षकों के पक्ष में एक मिसाल बन गया है और उनके अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

राज्य और शिक्षकों पर प्रभाव

इस फैसले के बाद, राज्य सरकार को शिक्षकों को वेतनमान और बकाया राशि का भुगतान करना होगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 70,000 शिक्षकों को इसका लाभ मिलेगा और राज्य सरकार को 7,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। यह फैसला शिक्षकों के अधिकारों को मान्यता देता है और समय पर पदोन्नति और उचित वेतनमान देने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

क्या होगी सरकार की  अगली जिम्मेदारी

अब छत्तीसगढ़ सरकार को शिक्षकों की पात्रता की जांच कर, बकाया राशि की गणना करनी होगी और समय पर भुगतान सुनिश्चित करना होगा। यह निर्णय केवल शिक्षकों के लिए नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए भी एक प्रेरणादायक कदम है।

शिक्षकों के अधिकारों की विजय

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला छत्तीसगढ़ के शिक्षकों के लिए बड़ी जीत है। यह न केवल वेतन असमानता की समस्या को हल करता है बल्कि शिक्षकों को उनके अधिकार दिलाने में भी मदद करता है। यह न्याय और संघर्ष की जीत का प्रतीक है। राज्य सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा कि वह इस फैसले को शीघ्रता से लागू करे और शिक्षकों को उनका उचित हक प्रदान करे।