तला-भुना और नमकीन खाना बन रहा सेहत के लिए खतरा
वॉशिंगटन : हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन को पहले बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब युवा वर्ग भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहा है। हाइपरटेंशन धीरे-धीरे जीवन में जगह बना लेता है और बिना लक्षण दिखाए गंभीर खतरे पैदा कर सकता है।

वॉशिंगटन : हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन को पहले बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब युवा वर्ग भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहा है। हाइपरटेंशन धीरे-धीरे जीवन में जगह बना लेता है और बिना लक्षण दिखाए गंभीर खतरे पैदा कर सकता है। आजकल तला-भुना और ज्यादा नमक वाला भोजन पसंद करने की आदत गंभीर बीमारियों का कारण बन रही है। इसी चिंता को देखते हुए अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (एसीसी) ने ब्लड प्रेशर प्रबंधन के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
पहले जहां सिस्टोलिक 140 और डाइस्टोलिक 90 तक के ब्लड प्रेशर को सामान्य माना जाता था, वहीं अब इसकी परिभाषा बदल दी गई है। नए मानकों के मुताबिक, यदि सिस्टोलिक 130 से 140 और डाइस्टोलिक 80 से 90 के बीच है, तो इसे खतरे का संकेत माना जाएगा और इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती स्तर पर दवाओं की बजाय जीवनशैली और खानपान में बदलाव करना ज्यादा प्रभावी होता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में लगभग आधे वयस्क (करीब 46.7 प्रतिशत) हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं। दुनियाभर में भी यह मृत्यु के सबसे बड़े जोखिमों में से एक है। नए दिशानिर्देश केवल बीपी को नियंत्रित रखने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनमें स्वस्थ जीवनशैली, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आधुनिक उपकरणों को अपनाने पर भी जोर दिया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने के लिए सबसे पहले नमक के सेवन को सीमित करना चाहिए। रोजाना 2,300 मिलीग्राम से अधिक सोडियम शरीर में धमनियों को सिकोड़ देता है और बीपी बढ़ा देता है। पैकेज्ड फूड्स, अचार, पापड़ और चिप्स जैसे खाद्य पदार्थों से बचना बेहतर है। शराब और तंबाकू का सेवन भी उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ाते हैं। पुरुषों को दिन में दो और महिलाओं को एक ड्रिंक से अधिक नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा धूम्रपान और कैफीन का सेवन कम करना जरूरी है। तनाव भी ब्लड प्रेशर बढ़ाने का प्रमुख कारण है।
तनाव के दौरान शरीर कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे हार्मोन रिलीज करता है, जिससे बीपी तुरंत बढ़ सकता है। इसलिए रोजाना ध्यान, प्राणायाम और गहरी सांस लेने वाले अभ्यास करना फायदेमंद है। नींद भी उतनी ही जरूरी है कम से कम 7 से 8 घंटे की गहरी नींद शरीर को आराम देती है और बीपी संतुलित रखती है। वजन को नियंत्रित रखना भी बेहद आवश्यक है। अधिक वजन हार्ट पर दबाव डालता है और बीपी का खतरा बढ़ाता है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और कैलोरी कम करके वजन घटाया जा सकता है।
हाइपरटेंशन को रोकने के लिए हेल्दी डाइट अपनानी चाहिए, जिसमें फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, ओट्स और लो-फैट डेयरी शामिल हों। केला, पालक, बीन्स और मेवे जैसे पोटैशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ सोडियम के असर को कम करने में मदद करते हैं। नियमित व्यायाम बीपी कंट्रोल का सबसे आसान तरीका है। रोजाना 30 से 45 मिनट ब्रिस्क वॉक, योग, साइक्लिंग या तैराकी करने से रक्त संचार बेहतर होता है और दिल मजबूत बनता है। सप्ताह में 75 से 150 मिनट कार्डियो या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी लाभकारी मानी जाती है। इसके अलावा केवल डॉक्टर की क्लिनिक रीडिंग पर निर्भर न रहकर घर पर भी बीपी मॉनिटर करना चाहिए।(एजेंसी)