देश में पहली बार डिजिटल जनगणना: लोग खुद भर सकेंगे अपनी जानकारी ऑनलाइन
नई दिल्ली : 2027 में होने जा रही देश की जनगणना बेहद खास अंदाज में होने वाली है। ये जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी और भवन तथा इमारतों की जियोटैगिंग भी की जाएगी। यह प्रक्रिया कई मायनों में खास रहने वाली है।

नई दिल्ली : 2027 में होने जा रही देश की जनगणना बेहद खास अंदाज में होने वाली है। ये जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी और भवन तथा इमारतों की जियोटैगिंग भी की जाएगी। यह प्रक्रिया कई मायनों में खास रहने वाली है। लोग खुद अपनी जानकारी भर सकेंगे। 1931 के बाद पहली बार अलग-अलग जातियों की गिनती भी होगी। साथ ही, पूरे देश में इमारतों का जियोटैग किया जाएगा जो पहले कभी जनगणना में नहीं हुआ। चलिए जानते हैं कि जियोटैगिंग क्या है और कैसे कराई जाती है।
जियोटैगिंग का काम जनगणना के पहले चरण यानी हाउसलिस्टिंग ऑपरेशंस (एचएलओ) के दौरान होता है। अप्रैल-सितंबर 2026 में यह शुरू हो जाएगा। गणना करने वाले कर्मचारी अपने तय किए गए हाउसलिस्टिंग ब्लॉक में जाएंगे और हर इमारत को डिजिटल लेआउट मैपिंग के जरिए जियोटैग करेंगे। वे अपने स्मार्टफोन पर लोकेशन ऑन करके मोबाइल ऐप के जरिए इमारत की जानकारी दर्ज करेंगे।
इस दौरान हर इमारत में मौजूद घरों और परिवारों की संख्या की जानकारी ली जाएगी। इमारतों को रहने वाली, गैर-रिहाइश, आंशिक रूप से रहने वाली या लैंडमार्क जैसी श्रेणियों में बांटा जाएगा। जनगणना में परिवार का मतलब है वो लोग जो आमतौर पर एक साथ रहते हैं। वे एक ही रसोई से खाना खाते हैं, भले ही काम की वजह से कोई बाहर रहे। जियोटैगिंग के जरिए किसी इमारत की लोकेशन को अक्षांश और देशांतर के जरिए डिजिटल नक्शे (जीआईएस) पर मार्क करना होता है।
जीआईएस यानी जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम ऐसा कंप्यूटर सिस्टम है जो धरती की सतह पर किसी जगह की जानकारी को कैप्चर करता है, उसकी जांच करता है और दिखाता है। जियोटैगिंग से हर इमारत को एक यूनिक लोकेशनल आइडेंटिटी मिलती है, जिसे आसानी से पिनपॉइंट किया जा सकता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 33.08 करोड़ इमारतें थीं जिनमें 30.61 करोड़ में लोग रहते थे और 2.46 करोड़ खाली थीं। इनमें से 22.07 करोड़ ग्रामीण इलाकों में और 11.01 करोड़ शहरी इलाकों में थीं।(एजेंसी)