छत्तीसगढ़ के हरबीर सिंह ने 100वीं बार किया रक्तदान, सेहत में कोई कमी नहीं

कोरबा : रक्तदान को महादान कहा जाता है. रक्तदान का महत्व बेहद ज्यादा माना गया है,ृ. इस वजह से लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाता है. ताकि जरूरत के समय किसी की जान बचाने के लिए खून की कमी ना हो. लेकिन आज भी लोग कहीं ना कहीं रक्तदान से कतराते हैं.

छत्तीसगढ़ के हरबीर सिंह ने 100वीं बार किया रक्तदान, सेहत में कोई कमी नहीं

कोरबा : रक्तदान को महादान कहा जाता है. रक्तदान का महत्व बेहद ज्यादा माना गया है,ृ. इस वजह से लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाता है. ताकि जरूरत के समय किसी की जान बचाने के लिए खून की कमी ना हो. लेकिन आज भी लोग कहीं ना कहीं रक्तदान से कतराते हैं. इसे लेकर भ्रांतियां भी है. ऐसे में कोरबा के समाजसेवी हरबीर सिंह होरा ने एक ऐसी मिसाल कायम की है, जिसे हासिल कर पाना सामान्य जीवन में किसी भी मनुष्य के लिए बेहद कठिन है.

हरबीर ने हाल ही में 100वीं बार रक्तदान किया और एक तरह से एक रिकॉर्ड कायम कर दिया. हरबीर इसे ईश्वर की कृपा बताते हैं और कहते हैं "इसमें मेरा कोई योगदान नहीं है. मैं ईश्वर का धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे इस काबिल बनाया कि मैं मानवता को अपना खून समर्पित कर सकूं. इसका पुण्य भी अनमोल है."

कभी नहीं हुए अस्पताल में भर्ती, जी रहे हैं स्वस्थ जीवन: हरबीर से रक्तदान के प्रति उनके जुनून के बारे में प्रश्न करने पर उन्होंने बताया कि 18 साल की उम्र में उन्होंने पहली रक्तदान किया था. उनके पिता उन्हें इसके लिए प्रेरित किया. उस दौरान ब्लड बैंक में ही उन्होंने अपना 18वां जन्मदिन मनाया. तब से हरबीर लगातार रक्तदान करते आ रहे हैं. उनकी उम्र इस समय 50 साल की हो चुकी है, लेकिन उन्होंने रक्तदान करना बंद नहीं किया. जब भी अवसर मिलता है, रक्तदान के लिए तत्पर रहते है. बल्कि इसके लिए लालायित रहता है.

मैं एक स्वस्थ जीवन जी रहा हूं. कभी भी मैं इतना बीमार नहीं हुआ कि मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ जाए, एक दफा मेरा एक्सीडेंट भी हुआ था. ऑपरेशन करना पड़ा था, लेकिन तब भी मुझे खून चढ़ाने की नौबत नहीं आई. मेरे शरीर में इतना खून था कि मैं ऑपरेशन को भी झेल सकूं और स्वस्थ हो सकूं.- हरबीर सिंह होरा, 100 बार रक्तदान करने वाले व्यक्ति

रक्तदान के नहीं है कोई साइड इफेक्ट, भ्रांतियों से बचना चाहिए : रक्तदान के प्रति भ्रांतियां को लेकर हरबीर कहते हैं कि यह दुर्भाग्य जनक है कि लोगों में अभी भी कई तरह की भ्रांतियां हैं. लोग तरह-तरह की बातें करते हैं, लेकिन रक्तदान करने वाला व्यक्ति जानता है कि इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है. बल्कि रक्तदान से व्यक्ति स्वस्थ जीवन शैली जी सकता है. "मुझे ही देख लीजिए 100 बार रक्तदान करने के बाद भी मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं, और मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है. इसलिए लोगों को इस पुनीत कार्य में आगे आना चाहिए और किसी की जान बचाने के लिए सहयोग करना चाहिए. "

इसका पुण्य कब कहां मिलेगा, मुझे भी नहीं पता : हरबीर यह भी कहते हैं "उनका डोनेट किया ब्लड किसी की जान बचाने में काम आएगा. ईश्वर को ही पता है कि मेरा खून किसे चढ़ाया जा रहा है और वह इसका पुण्य वक्त आने पर मुझे देंगे. इसलिए रक्तदान का पुण्य अनमोल होता है. यह कब कहां किस रूप में मुझे मिलेगा यह मुझे भी नहीं पता, मैं बेहद खुशकिस्मत हूं. ईश्वर ने मुझे इस काबिल बनाया है कि मैं लोगों को रक्तदान कर सकूं. उनके काम आ सकूं, आगे भी जब तक मेरी क्षमता होगी. जब तक मैं स्वस्थ रहूंगा. मैं रक्तदान करता रहूंगा और लोगों से भी यही चाहूंगा कि वह इस पुनीत कार्य में आगे आए."

शरीर बनाता नया रक्त, हृदयरोग की संभावना भी कम : रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियां और इससे होने वाले लाभ के बारे में चिकित्सक एमडी मेडिसिन डॉ प्रिंस जैन का कहना है कि रक्तदान से शरीर पर कोई दीर्घकालिक नकारात्मक असर नहीं पड़ता. स्वस्थ व्यक्ति का शरीर कुछ ही दिनों में रक्त की क्षतिपूर्ति कर देता है. बार-बार रक्तदान करने से आदत पड़ जाती है.

डॉ प्रिंस जैन बताते हैं कि रक्तदान के दौरान सुरक्षित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए. स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा 3 से 4 माह पर रक्तदान करना पूरी तरह सुरक्षित है. रक्तदान के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सभी सुइयां और उपकरण सिर्फ एक बार के उपयोग के लिए होते हैं. वह पूरी तरह से स्टरलाइज्ड होते हैं. इससे किसी भी संक्रमण का खतरा नहीं होता.

रक्तदान से पहले शरीर की जांच: ब्लड डोनेट करने से पहले रक्तदाता का ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, वजन आदि की जांच होती है. जिससे स्वास्थ्य की जानकारी भी मिलती है. जिस भी व्यक्ति में हीमोग्लोबिन अच्छी मात्रा में हो वह रक्तदान के काबिल होता है.

रक्तदान के फायदे: नियमित रक्तदान से शरीर में आयरन का संतुलन बना रहता है. जिससे हृदय रोगों की संभावना कम होती है. किसी की जान बचाना अत्यंत पुण्य का कार्य है. रक्तदान से मिलने वाली आत्मिक संतुष्टि अकल्पनीय होती है. रक्तदान के बाद शरीर में नया रक्त बनता है, जिससे शरीर ताजा और स्फूर्तिवान महसूस करता है.(एजेंसी)