दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में 74 भारत के, चिंता बढ़ी

Top polluted Indian City In World : प्रदूषण को लेकर हुए हालिया शोध में दुनिया के 100 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से 74 सिटी अकेले अपने भारत में ही हैं. इसकी वजह से प्रदूषित इन भारतीय शहरों में वायु और ध्वनि प्रदूषण से स्ट्रोक का खतरा ज्यादा है.

दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में 74 भारत के, चिंता बढ़ी

Top polluted Indian City In World : प्रदूषण को लेकर हुए हालिया शोध में दुनिया के 100 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से 74 सिटी अकेले अपने भारत में ही हैं. इसकी वजह से प्रदूषित इन भारतीय शहरों में वायु और ध्वनि प्रदूषण से स्ट्रोक का खतरा ज्यादा है.

प्रदूषण से सबसे बड़ा खतरा ब्रेन स्ट्रोक

गौर करें तो हवा में प्रदूषण और यातायात के शोर से सबसे ज्यादा खतरा ब्रेन स्ट्रोक का रहता है. इतना ही प्रदूषण के बढ़ने से इसका खतरा 9 फीसदी तक बढ़ जाता है. वहीं शोर बढ़ने से पॉल्यूशन 6 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. अगर देखें तो अपने इंडिया में प्रदूषण और शोर दोनों ही एक गंभीर समस्या हैं. इनसे तरह-तरह की बीमारियां फैलती हैं. इस तरह से प्रदूषण भारत जैसे देशों के लिए एक गंभीर चेतावनी है. ये निष्कर्ष एक शोध रिपोर्ट के आधार पर कही गई है.

जान लें कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण और ट्रैफिक की आवाज दोनों मिलकर सेहत को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इतह के प्रदूषण से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा लगातार बढ़ रहा है. ये रिपोर्ट स्वीडन के करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के एनवॉयर्नमेंटल मेडिसिन संस्थान के शोध जर्नल एनवॉयरनमेंट इंटरनेशनल में पब्लिश हुआ है.

यूरोपीय संघ औरडब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों पर हुआ ये शोध

यूरोपीय संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निर्देशों के आधार पर वैज्ञानिकों ने यह विश्लेषण किया है. इस रिसर्च में डेनमार्क, स्वीडन, और फिनलैंड के करीब 1.37 लाख एडल्ट के डेटा को शामिल किया गया है. इस जांच को नतीजों में ये पाया गया कि से पता चला है कि पॉल्यूशन के महीन कण पीएम 2.5 की मात्रा में प्रति घन मीटर 5 माइक्रोग्राम की बढ़त होने पर स्ट्रोक के खतरा बढ़ जाता है. शोध रिपोर्ट के मुताबिक ये खतरा 9 फीसदी तक बढ़ सकता है.

ट्रैफिक शोर से भी बढ़ता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

शोध के आधार पर ये भी कहा गया है कि इसी तरह ट्रैफिक का शोर यदि 11 डेसिबल बढ़ जाता है तो ये खतरा 6 फीसदी तक बढ़ जाता है. इतना ही नहीं जब ये दोनों कारक एक साथ मौजूद होते हैं तो खतरा और अधिक बढ़ जाता है. रिसर्च में ये पाया गया कि शांत इलाकों में, जहां शोर 40 डेसिबल तक पहुंचा हुआ था. वहां पीएम 2.5 के बढ़ने से स्ट्रोक का खतरा 6 प्रतिशत बढ़ गया. वहीं अधिक शोर वाले क्षेत्रों यानी 80 डेसिबल में यह खतरा 11 फीसदी तक चला गया.

भारत के लिए खतरे की घंटी

शोध के निष्कर्ष ये तय हो गया है कि ये भारत जैसे देशों के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है. भारत में अकेले वायु प्रदूषण ही नहीं ट्रैफिक का शोर भी बहुत होता है. यहां दोनों ही एक बड़ी समस्या है. सर्वे में ये पाया गया है कि दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में से अकेले 74 नगर भारत में ही हैं. रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर डाला गया है कि बढ़ते प्रदूषण का असर सभी महानगरों पर पड़ रहा है. यहां तक कि कोलकाता, बेंगलुरू और हैदराबाद जैसे शहरों की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है. जबकि इन शहरों में भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियां अन्य शहरों की अपेक्षा कहीं ज्यादा अनुकूल हैं. ऐसे महानगरों गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार को बड़ी पहल करने की जरूरत है.

प्रदूषित हवा से सोचने-समझने पर पड़ता है असर

जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित एक अन्य शोध पत्र से ये बात सामने आई है कि प्रदूषित हवा में थोड़े समय के लिए भी सांस लेने से हमारे सोचने-समझने की क्षमता काफी हद तक प्रभावित होती है. अगर ऐसा होता है तो अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना काफी कठिन हो सकता है.(एजेंसी)