भीड़ में भी तन्हा हैं आप? घुन की तरह शरीर को खा जाता है अकेलापन

Loneliness dangerous effects on health: दुनिया में हर जगह भीड़ है लेकिन इस भीड़ में अधिकांश लोग तन्हा है. तन्हाई यानी अकेलापन शरीर में घुन की तरह लग जाता है जिससे जिंदगी तक छोटी हो सकती है. अमेरिकी जनरल ऑफ सर्जन डॉ. विवेक मूर्ति ने अकेलेपन को महामारी माना है. आखिर इस अकेलेपन से कैसे निजात पाया जाए. आइए इसके बारे में जानते हैं.

भीड़ में भी तन्हा हैं आप? घुन की तरह शरीर को खा जाता है अकेलापन

Loneliness dangerous effects on health: दुनिया में हर जगह भीड़ है लेकिन इस भीड़ में अधिकांश लोग तन्हा है. तन्हाई यानी अकेलापन शरीर में घुन की तरह लग जाता है जिससे जिंदगी तक छोटी हो सकती है. अमेरिकी जनरल ऑफ सर्जन डॉ. विवेक मूर्ति ने अकेलेपन को महामारी माना है. आखिर इस अकेलेपन से कैसे निजात पाया जाए. आइए इसके बारे में जानते हैं.

रिश्तों की भीड़ में भी वो तन्हा खड़ा रहा, नदियां थी उसके पास वो प्यासा खड़ा रहा. उर्मिलेश की यह गजल आजकल युवाओं में महामारी बनती जा रही है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती हैं कि पूरी दुनिया तेजी से तन्हाई का शिकार बनने लगी है. यहां तक कि 10 प्रतिशत किशोर उम्र के बच्चे भी अकेलेपन केशिकार हैं वहीं 25 प्रतिशत अन्य लोग अकेलापन झेलकर अपनी हेल्थ को कबाड़ बना रहे हैं. मोटे तौर पर करीब साढ़े 4 अरब लोग अकेलेपन के शिकार हैं. अमेरिकी सर्जन विवेक मूर्ति ने अपनी किताब में कहा है कि अगर आप लगातार अकेलापन महसूस करते हैं तो इससे आपके शरीर को 15 सिगरेट पीने के बराबर नुकसान होगा वहीं जो लोग सामाजिक रूप से अलग-थलग रहते हैं, उनमें समय से पहले मौत का जोखिम 32 प्रतिशत तक ज्यादा रहता है. शारीरिक रूप से देखें तो अकेलापन हार्ट अटैक से लेकर मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर तक का खतरा बढ़ा देता है.

साथ रहकर भी हो सकता है अकेलापन

अकेलेपन का मतलब सिर्फ किसी का अकेले रहने भर से नहीं है. अकेलेपन का मतलब बहुत बड़ा है. हर इंसान के जीवन में अकेलापन कभी न कभी जरूर आता है. अकेलापन का मतलब आसपास सबके रहते हुए भी लगना कि हम अकेले हैं. किसी चीज को लेकर भारी परेशानी, कोई अपेक्षित काम न हो पाना, किसी अपनों की मौत समेत कई वजहों से लोगों में अकेलापन आता है लेकिन यह कुछ समय बाद सही भी हो जाता है. लेकिन यहां हम उस अकेलेपन की बात कर रहे हैं जिसमें इंसान की आत्मा में यह भावना बैठ जाती है कि वह बिना किसी सहारे का है, उसके साथ कोई नहीं है.

यह ऐसी भावना है जिसमें लोगों के अंदर डर, निराशा, चिंता और अंततः अवसाद का घर हो जाता है. इसमें आप बहुत असहाय मानने लगते हैं. ऐसा लगेगा कि आप सामाजिक रूप से बिल्कुल कट गए हैं, आपकी कोई अहमियत नहीं है. स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन की प्रोफेसर डॉ. नीना वासन कहती हैं कि आप आसपास सबके रहते हुए भी अकेलापन महसूस कर सकते हैं. यह एक स्थिति है जो आपके पार्टनर, आपके परिवार के लोग यहां तक कि आपके दोस्त के रहते भी आ सकती है.

अकेलापन महसूस होने के कारण

अकेलापन महसूस होने के कई कारण हो सकते हैं. यह जगह, उम्र और मनोभावनाओं पर निर्भर करता है. डॉ. वासन कहती हैं कि कोई भी किसी भी समय किसी भी उम्र में अकेलेपन का शिकार हो सकता है. अगर किसी को समाज में इज्जत नहीं मिलती है तो भी वह अकेलेपन का शिकार हो सकता है. जैसे कि एलजीबीटी समुदाय के लोग अक्सर अकेलेपन की पीड़ा को झेलते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग की एक स्टडी में यह बात सामने आई थी कि युवा उम्र के लोग प्रौढ़ उम्र के लोगों से इसका ज्यादा शिकार हैं.

जब कोई अपनों को खोता है और उससे बहुत ज्यादा जुड़ा होता है तो भी अकेलापन आ सकता है. वहीं किसी अन्य चीजों से जब बहुत दुख होता है तो भी अकेलापन महसूस हो सकता है. वहीं सामाजिक रूप से अलग-थलग, परिवार से अलग रहना, कोई गंभीर बीमारी, अपंगता, रिटायरमेंट के बाद, दूर अकेला कहीं काम करना जैसे कई अन्य कारक हैं जिनकी वजह से अकेलापन महसूस होता है. अगर आपको दुखी रहने की आदत है. कई तरह की परेशानियां हैं और उसका हल निकलता हुआ नहीं दिख रहा है, आपको लगता है कि कोई मदद करने वाला नहीं है, तो यह स्थिति अकेलेपन की ओर धकेलती है.

अकेलेपन से होने वाला नुकसान

जैसा कि विवेक मूर्ति ने कहा है कि अकेलापन समय से पहले मौत के जोखिम को 32 प्रतिशत बढ़ा देता है. इससे समझा जा सकता है कि अकेलापन किस तरह शरीर में घुन की तरह लग जाता है. इससे बौद्धिक ह्रास होने लगता है. इन सबके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, डिप्रेशन, अल्जाइमर, कमजोर इम्यूनिटी और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है जो शरीर में स्थायी होने लगते हैं.

कैसे पाएं इससे छुटकारा

सबसे पहले समझें कि अकेलापन एक बीमारी है. इसका इलाज जरूरी है. इसलिए इसे डॉक्टर से दिखाएं. इन सबके अलावा मन में सकारात्मकता लाएं और जिस चीज से खुशी मिल रही है, उस काम को करें. बुक क्लब, आर्ट क्लास, डांस क्लास, जिम आदि में अपना समय बिताएं. नए-नए लोगों के साथ दोस्ती करने की तरकीब निकालें, पसंदीदा जगहों में जाकर घूमें, दोस्तों के साथ बातचीत बंद न करें उनसे बात करें. पुराने दोस्तों को भी तलाशें. अगर मिलना संभव न हो तो फोन पर ही बात करें. छोटी-छोटी चीजों में खुशी तलाशें. किसी के प्रति गुस्सा या मन में वैर न पालें. लोगों को माफ करने की कोशिश करें. इन सबके अलावा नियमित रूप से एक्सरसाइज और अच्छी डाइट लें. बेरी, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, जामुन, रस्पबेरी, अखरोट, बादाम, सीड्स आदि का सेवन करें. पसंदीदा भोजन भी अकेलेपन की बीमारी से मुक्ति दिला सकता है लेकिन सिगरेट, शराब, फास्ट फूड, जंक फूड आदि को बाय कहना होगा.(एजेंसी)