क्यों बढ़ रहे हैं कैंसर के मरीज, बिहार देश में चौथे स्थान पर...

पटना : बिहार की नीतीश सरकार में डेप्युटी सीएम रहे भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी के निधन के साथ ही कैंसर से होने वाली मौतों को लेकर प्रदेशभर में चर्चा आम हो गई है। अब चूंकि सुशील मोदी राजनीति में थे,

क्यों बढ़ रहे हैं कैंसर के मरीज, बिहार देश में चौथे स्थान पर...

बिहार के लिए खतरा बनता आर्सेनिक रसायन की हकीकत

पटना : बिहार की नीतीश सरकार में डेप्युटी सीएम रहे भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी के निधन के साथ ही कैंसर से होने वाली मौतों को लेकर प्रदेशभर में चर्चा आम हो गई है। अब चूंकि सुशील मोदी राजनीति में थे, इसलिए उनसे जुड़े मौत के कारणों की चर्चा होना सामान्य बात है, लेकिन कैंसर का मामला ऐसा है जो सभी को चिंता में डाले हुए है। एक रिपोर्ट के अनुसार कैंसर से मौत मामले में बिहार देश में चौथे स्थान पर पहुंच चुका है। बिहार में प्रतिवर्ष 70 से 80 हजार मौतें कैंसर से होना आम बात बताई जा रही हैं। इस प्रकार कैंसर रोगियों के साथ ही मौत का आंकड़ा भी बिहार में बढ़ा है, जो चिंता का कारण है। ऐसे में विशेषज्ञ बतलाते हैं कि आखिर वह कौन सा रसायन है, जिसके कारण कैंसर पैर पसार रहा है।

बिहार में कैंसर के मरीजों की संख्या क्यों बढ़ रही है, इसकी तग पड़ताल की गई तो मालूम चला कि आर्सेनिक एक ऐसा खतरनाक रसायन है, जिससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का जन्म होता है। खबर यह है कि गंगा के तटीय जिलों में इस खतरनाम रसायन आर्सेनिक की मात्रा निर्धारित मानक से कहीं ज्यादा पाई गई है। आर्सेनिक रसायन से प्रभावित जिलों में बक्सर, भागलपुर, भोजपुर, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, मुंगेर, गोपालगंज और पटना के अलावा कई अन्य जिले शामिल हैं। विशेज्ञों की मानें तो बिहार में बढ़ते कैंसर का कारण पानी में आर्सेनिक की मात्रा का अधिक होना है।

अब चूंकि आर्सेनिक रसायन प्राकृतिक है, और जब इसकी मात्रा मानक से अधिक हो जाती है तो मावन के लिए खतरनाक साबित हो जाता है। विभिन्न रसायनों व रासायनिक उर्वरकों समेत कीटनाशकों का बढ़ता इस्तेमाल मानव जीवन में आर्सेनिक के स्तर को सामान्य से अधिक बना देता है। इसके चलते कैंसर जैसी घातक बीमारियों का जन्म होता है। इसलिए इसे बिहार के लिए खतरनाक बताया जा रहा है, जिससे पार पाने के उपायों पर भी चर्चा हो रही है।

गौरतलब है कि वर्ल्ड वाटर क्वालिटी इंडेक्स में 122 देशों की सूची में भारत का 120वें स्थान पर है। शोध के आंकड़े बताते हैं कि भारत का करीब 70 फीसद जल प्रदूषित हो चुका है। यहां यह भी बतलाते चलें कि विश्व स्वास्थ्य संगठ (डब्ल्यूएचओ) ने एक लीटर पानी में 10 माइक्रोग्राम आर्सेनिक को संतुलित बताया है। जबकि बिहार के 22 जिलों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा मानक स्तर से कहीं ज्यादा पाई गई है। इसे देखते हुए बताया गया है कि बिहार की 90 लाख जनता आर्सेनिक की तय मात्रा से अधिक मात्रा वाले पानी का सेवन कर रहे हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। शोध से प्राप्त आंकड़ों को आधार बनाकर बताया जा रहा है कि खाद्य वस्तुओं को पकाने के बाद आर्सेनिक की मात्रा पेयजल से अधिक हो जाती है। इससे भयावह होती स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।(एजेंसी)