Article : रजिया सुल्ताना, दिल्ली सल्तनत की पहली और आखिरी महिला शासक...
Article : रजिया सुल्ताना, जिनका जन्म 1205 में हुआ था, वो शेरनी की तरह उठीं और दिल्ली सल्तनत की पहली और आखिरी महिला शासक बनकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। उनका जीवन और शासनकाल बुलंदियों
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Article : रजिया सुल्ताना, जिनका जन्म 1205 में हुआ था, वो शेरनी की तरह उठीं और दिल्ली सल्तनत की पहली और आखिरी महिला शासक बनकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। उनका जीवन और शासनकाल बुलंदियों और दर्दनाक संघर्षों, दोनों से भरा हुआ था। सुल्तान शम्सुद्दीन इल्तुमिश की लाडली बेटी , रजिया को हुकूमत के तौर-तरीकों और दीवानखाने के हिसाब-किताब की ऐसी तालीम दी गई, मानो वो शहंशाह बनने वाली हों। जब उनके पिता बीमार पड़े, तो उन्होंने दिल्ली का इतना शानदार इन्तज़ाम किया कि सुल्तान उन्हें अपना वारिस बनाने के बारे में सोचने लगे।
मगर उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। उनके पिता के गुज़रने के बाद रुकनुद्दीन फिरोज़ , रजिया के सौतेले भाई को तख़्त नसीब हुआ। मगर उनकी कमज़ोर हुकूमत से नाराज़ कई तुर्क सरदार और आम जनता ने रजिया के इर्द-गिर्द जमा होने शुरू हो गए। आखिरकार, 1236 में रजिया को हुकूमत का दायरा सौंप दिया गया।
उनका शासन आसान नहीं था। कई तुर्क सरदार, रजिया को शक की नज़रों से देखते थे। लेकिन रजिया बेगम नहीं, शेरनी थीं। वो आज़ादी से फैसले लेती थीं और किसी के सामने झुकती नहीं थीं। ये बात और सरदारों को खटकने लगी। इसके अलावा, उन्होंने सिर्फ तुर्क सरदारों को ही नहीं, बल्कि दूसरे तबकों के काबिल लोगों को भी अहम पदों पर बिठाया, जिससे और भी हंगामा खड़ा हो गया। परेशानियों के बावजूद, रजिया ने कई जंगों में जीत हासिल की और सल्तनत को मजबूत बनाया। उन्होंने अपने नाम के सिक्के चलाए, मर्दों का लिबास पहना और दरबार में भी शान से हाज़िर हुईं।
मगर 1240 में उनकी हुकूमत का सूरज भी डूब गया। इख़्तियारुद्दीन अल्तूनिया की अगुवाई में बाग़ी सरदारों ने उन्हें गद्दी से उतार दिया। कुछ समय के लिए अल्तूनिया के साथ मिलकर काम करने के बाद, उन्हें रजिया के ही सौतेले भाई "मुइज़्ज़ुद्दीन बहराम" की फौजों ने मार डाला। हालांकि रजिया का शासन ज़्यादा लंबा नहीं चला, मगर इतिहास में उनका नाम हमेशा जगमगाएगा। उन्होंने साबित कर दिया कि महिला होकर भी हुकूमत चलाई जा सकती है ।उनकी कहानी आज भी ताकत, आज़ादी और बराबरी की लड़ाई लड़ने वालों को हौसला देती है।