Muslim community : केंद्र सरकार से लेकर कई राज्यों की कैबिनेट में, कभी मुस्लिम मंत्री नहीं, मुसलमानों को अपना नेतृत्व खड़ा करना होगा, एम.डब्ल्यू.अंसारी 

Muslim community : हमारे देश भारत में हर वर्ग और हर विचारधारा के लोग रहते हैं। यह अलग बात है कि संख्या के लिहाज़ से सभी धर्मों में काफी अंतर है। देश में आबादी के हिसाब से मुस्लिम समुदाय दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है।

Muslim community : केंद्र सरकार से लेकर कई राज्यों की कैबिनेट में, कभी मुस्लिम मंत्री नहीं, मुसलमानों को अपना नेतृत्व खड़ा करना होगा, एम.डब्ल्यू.अंसारी 

Muslim community : हमारे देश भारत में हर वर्ग और हर विचारधारा के लोग रहते हैं। यह अलग बात है कि संख्या के लिहाज़ से सभी धर्मों में काफी अंतर है। देश में आबादी के हिसाब से मुस्लिम समुदाय दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। इसके अलावा देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां मुस्लिम अच्छी संख्या में हैं। लेकिन इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद इस देश में मुसलमानों का नेतृत्व शून्य है। केंद्र सरकार से लेकर कई राज्य सरकारों में मुस्लिम समुदाय से एक भी मंत्री नहीं है। हाल ही में चुनाव वाले राज्यों और अन्य राज्यों में भी स्थिति ऐसी ही है।

फिलहाल केंद्र समेत कई राज्यों की सरकार में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है। इनमें असम, गुजरात, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं जहां मुस्लिम आबादी कई लाख है। राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या की दृष्टि से मुस्लिम दूसरे स्थान पर हैं। इसके बावजूद इतने बड़े समुदाय का मजबूत नेतृत्व न होना चिंता का विषय है। मुस्लिम समुदाय के लिए यह जानना और समझना बहुत जरूरी है कि ऐसा क्यों है। वे कौन सी शक्तियां हैं जिन्होंने मुसलमान को हाशिए पर धकेल दिया है और उसे हर क्षेत्र में हर तरह से पीछे कर दिया है?

हाल ही में 5 राज्यों में हुए चुनाव के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया में मुसलमानों की भागीदारी नहीं रही। वहीं, कांग्रेस शासित तेलंगाना के कैबिनेट विस्तार में मुस्लिम उम्मीदवार को जगह नहीं मिली। भाजपा के अधीन आई छत्तीसगढ़ विधानसभा में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। राजस्थान और मध्य प्रदेश की तो बात ही क्या?

इससे भी अधिक अफसोस की बात यह है कि अल्पसंख्यक मंत्रालय की कमान भी मुस्लिम समुदाय के पास नहीं है। पारसी धर्म से ताल्लुक रखने वाली स्मृति ईरानी को अल्पसंख्यक मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। अल्पसंख्यक मंत्रालय भी बंद होने की कगार पर है और संभव है कि यह मंत्रालय भी बंद हो जाएगा। सभी कल्याणकारी योजनाएं तो पहले ही बंद कर दी गई हैं।

गौरतलब है कि फिलहाल केंद्र सरकार में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है। भाजपा सरकार के पिछले चार कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं रहा है। मध्य प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग, मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड, राज्य हज कमेटी, मदरसा बोर्ड आदि मुस्लिम समुदाय से जुड़ी संस्थाएं भी पिछले कई वर्षों से खाली पड़ी हैं। अल्पसंख्यक आयोग भी लंबे समय से खाली पड़ा है, कुछ ही संस्थानों में नियुक्तियां हुई हैं और वह भी सिर्फ दिखावे के लिए, और कमोबेश सभी प्रांतों का यही हाल है।

भाजपा मुस्लिमा पसमांदा का नाम लेकर मुस्लिमों की बात तो करती है लेकिन उनके हित में कुछ नहीं करती। और सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि किसी भी तथाकथित सेक्युलर पार्टी चाहे वह कांग्रेस हो या बीएसपी या समाजवादी पार्टी या कोई अन्य सेक्युलर पार्टी, ने चुनाव में जनसंख्या के अनुपात में टिकट नहीं बांटे है। साथ ही आने वाले चुनाव में कितने लोगों को टिकट दिया जाने वाला है। सभी पार्टियां एकजुट होकर जातीगत जनगणना की बात क्यों नहीं करतीं? सभी जाति समुदायों को साधा जा रहा है तो फिर मुस्लिम समुदाय को क्यों छोड़ा जा रहा है? ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई भी दल मुसलमानों का हितैषी नहीं है। सभी पार्टियाँ मुस्लिम समुदाय को महज़ वोट बैंक मानती हैं।

मुसलमानों को देश की परिस्थितियों के प्रति जागरूक होने, आपसी मतभेदों को दूर करने, लोगों में राजनीतिक और सामाजिक चेतना जगाने की जरूरत है। अपने अधिकारों को समझें और हर स्तर पर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं। अगर इस देश में अपनी पहचान बनाए रखनी है तो अपने नेतृत्व को मज़बूत करो, अपना नेतृत्व बनाओ, नहीं तो मुसलमानों की समस्याओं पर बोलने वाला कोई नहीं रहेगा। मस्जिद और मदरसे, धरोहरें, निशानियाँ, जो कुछ भी मुसलमानों के नाम पर है, उसकी रक्षा नहीं की जाएगी, इसलिए एकजुट होकर सही नेतृत्व चुनें जिससे भारत में मुसलमानों का भविष्य उज्ज्वल हो।