Actress Vidya Sinha: अभिनेत्री विद्या सिन्हा एक फिल्मी परिवार से थी
Actress Vidya Sinha उनके पिता का नाम राणा प्रतापसिंह था जोकि एक फिल्म प्रोड्यूसर थे। दादा मोहन सिंहा भी प्रोड्यूसर और डायरेक्टर थे।
उनके पिता का नाम राणा प्रतापसिंह था जोकि एक फिल्म प्रोड्यूसर थे। दादा मोहन सिंहा भी प्रोड्यूसर और डायरेक्टर थे।
Actress Vidya Sinha 70 और 80 के दशक में लोगों को अपने अभिनय से दीवाना बनाया अपनी खूबसूरती से सबका दिल जीत लिया। दर्शक इन्हें इनके नाम से नहीं बल्कि इनकी आई एक फिल्म “रजनीगंधा” मे इन्हें रजनीगंधा के नाम से लोग जानते थे। लेकिन इनका असली नाम विद्या सिन्हा था।
विद्या सिन्हा ने कई हिट फिल्में दी है। अपनी अच्छी एक्टिंग के कारण विद्या ने बहुत कम समय में ही दर्शकों के दिलों में बस गई। और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग जगह बनाई।
विद्या का जन्म 15 नवंबर 1947 को मुंबई में हुआ था।
विद्या का जब जन्म हुआ था तभी इनकी मां चल बसी थी और फिर विद्या की मौसी ने इनका लालन पालन किया था। विद्या बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली थी विद्या सिन्हा स्कूल में होने वाले कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी। अपनी मौसी के कहने पर विद्या ने 'मिस बॉम्बे प्रतियोगिता' में भाग लिया और खिताब अपने नाम पर कर लिया। विद्या के खिताब जीतते ही उन्हें कई कंपनियों मे 'मॉडलिंग' के ऑफर आने लगे। और विद्या ने मॉडलिंग करना शुरू कर दिया। कई मैगजीन में उनकी फोटो छपी गई, विद्या ने अभी तक अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत तक नहीं की थी और उन्हें अपने पड़ोसी वेंकटेश्वर अय्यर से प्यार हो गया। फिर अपने मौसी और नाना-नानी सभी की मर्जी से विद्या ने 1968 में शादी रचा ली।
विद्या सिन्हा के शादी के कुछ दिनों बाद ही एक दिन 'निर्देशक बासु चटर्जी' ने मैगजीन में छपी विद्या की तस्वीर को देखा और विद्या से मिले। बासु चटर्जी ने विद्या को फिल्मों में काम करने का सुझाव दिया। विद्या को बासु चटर्जी का सुझाव पसंद आया और फिर विद्या ने फिल्मों में काम करने का मन बना लिया।
विद्या ने फिल्म 'राजा काका' साइन की और इस तरह से विद्या ने अपनी पहली फिल्म से एक्टिंग की शुरुआत की।
लेकिन फिल्म 'राजा काका' कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाई।
विद्या सिन्हा की पहली फिल्म कुछ कमाल नहीं दिखा पाई। विद्या की अगली फिल्म आई 'रजनीगंधा' जो कि काफी हिट साबित हुई और विद्या को इंडस्ट्री में एक नई पहचान दिलाई। फिर तो विद्या ने कई हिट फिल्मों मे काम किया।
विद्या सिन्हा पर फिल्माया गया गाना, “ठंडे ठंडे पानी से नहाना चाहिए गाना आए या ना आए गाना चाहिए” खूब फेमस हुआ। इस गाने को आज भी लोग गाते हैं।
विद्या सिन्हा ने अपने जमाने के सभी बड़े अभिनेताओं के साथ में काम किया है। शो मैन कहे जाने वाले राज कपूर ने अपनी फिल्म 'सत्यम शिवम सुंदरम' के लिए पहले विद्या सिन्हा को ही लेना चाह रहे थे। परंतु विद्या ने फिल्म में काम करने से मना कर दिया क्योंकि उनको जो किरदार निभाना था, वह किरदार विद्या को पसंद नहीं आया।
विद्या ने महिलाओं के लिए भी काफी काम किया है उन्होंने उन सभी महिलाओं को बाहर निकल कर काम करने को प्रेरित करती थी जो कि घूंघट में रहकर अत्याचार का शिकार होती थी।
विद्या की फिल्म 'छोटी सी बात' में उनके हीरो 'अमोल पालेकर' थे। जिसमें उन्होंने बहुत ही अच्छा अभिनय किया था। विद्या के अभिनय की काफी तारीफ भी हुई थी। विद्या ने फिल्म 'छोटी सी बात' में जिस तरह के साड़ी और ब्लाउज पहने थे, वह फैशन बन गया था। उस दौर की सभी महिलाएं विद्या के साड़ी और ब्लाउज के पहने के तरीके को फॉलो किया करती थी।
विद्या का फिल्मी सफर तो बहुत ही अच्छा बीता लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ बहुत दिक्कतो भरी रही। हुआ यह था कि विद्या के ससुराल वाले कट्टर विचारधारा के थे, उनका लड़कियों का फिल्मों में काम करना पसंद नहीं था। विद्या के ससुराल वालों के हिसाब से फिल्मों में काम करने वालों को वह अछूत समझते थे। लेकिन विद्या तो पहले से ही मॉडलिंग करती थी और उनके नाना और पिता निर्देशक थे। तो इस वजह से विद्या कम उम्र से ही फिल्मी माहौल को देख चुकी थी। जिस कारण उनका भी मन फिल्मों में काम करने का था। जब बासु चटर्जी ने उन्हें फिल्मों में काम करने को कहा तो वह अपने आप को रोक नहीं पाई और परिवार वालों के खिलाफ जाकर फिल्मों में काम करने लगी।
जो लोग फिल्मों में काम करने वालों को अछूत समझते थे, उनके घर की बहू फिल्मों में काम करें तो जाहिर सी बात है विवाद तो खड़ा होगा ही। विद्या का फिल्मी करियर अच्छा चल रहा था लेकिन बार-बार परिवार के दबाव डालने पर उन्होने फिल्मों से दूरी बना ली। विद्या को कोई संतान नहीं हुई जिस वजह से उन्होंने अनाथ आश्रम से एक बच्ची को गोद लेकर उसकी मां बन गई। विद्या ने उस बच्ची का नाम 'जानवी' रखा। फिर से विद्या अपनी पर्सनल लाइफ में हंसी खुशी से रहने लगी कुछ दिनों तक सब ठीक था, फिर अचानक 1996 में विद्या के पति वेंकटेश्वर अय्यर इस दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए। विद्या के ऊपर तो मानो जैसे पहाड़ टूट गया।
1996 में अय्यर के निधन के बाद उन्होंने जून 2001 में ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर नेताजी भीमराव सालुंखे के साथ विवाह किया था। 2009 में विद्या ने सालुंखे पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का दोषी ठहराया था। इसके बाद साल 2011 में दोनों को तलाक मिल गया था। कोर्ट ने सालुंखे को रखरखाव के लिए प्रति माह 10,000 रुपये वेतन के रूप में देने का आदेश दिया था।
उन्हें 'कुबूल है’, ‘इश्क का रंग सफेद’, ‘चंद्र नंदिनी' जैसे टीवी सीरियल्स में देखा गया था। विद्या सिन्हा ने लीवर और दिल की बीमारी से पीड़ित होने के कारण 15 अगस्त 2019 में आखिरी सांस ली थी।
राजा काका 1974, रजनीगंधा 1974, हवस 1974
मेरा जीवन 1976, छोटी सी बात 1976, ममता 1977,
जीवन मुक्त 1977, कर्म 1977, मुक्ति 1977,
किताब 1977, इनकार 1977, चालू मेरा नाम 1977, त्यागपत्र 1978, सोने का दिल लोहे का हाथ 1978 ,
बहादुर जिसका नाम 1978, पति पत्नी और वह 1970, सफेद झूठ 1978, तुम्हारे लिए 1978, मुकद्दर 1978, अतिथि 1978, जीना यहां 1979, आत्माराम 1979, मगरूर 1979, मीरा 1979, सबूत 1980, स्वयंबर 1980, प्यारा दुश्मन 1980, मुंबई का महाराज 1981,
प्लॉट नंबर 5 1981 , लव स्टोरी 1981, नई इमारत 1981, जोश 1981, अधूरा आदमी 1982, राख और चिंगारी 1982, धोखेबाज 1984, कैदी 1984, बिजली 1986
किराएदार 1986, मां की सौगंध 1986 ,
कृष्णा कृष्णा 1986, जीवन 1986,
ग्रेट टारगेट 1991, भारत भाग्य विधाता 1991,
मालिक एक 2010, बॉडीगार्ड 2011