Article : सियासी मफाद के लिए अज़ीम शख्सियात का नाम इस्तेमाल करना ना क़ाबिले बर्दाश्तः एम. डब्ल्यू. अंसारी

Article : इस देश में एक ऐसी शख्सियत हैं, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है और वे न केवल एक खास वर्ग और समाज में लोकप्रिय हैं, बल्कि पूरा भारत उन्हें आदर और सम्मान की नजर से देखता है।

Article : सियासी मफाद के लिए अज़ीम शख्सियात का नाम इस्तेमाल करना ना क़ाबिले बर्दाश्तः एम. डब्ल्यू. अंसारी

Article : इस देश में एक ऐसी शख्सियत हैं, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है और वे न केवल एक खास वर्ग और समाज में लोकप्रिय हैं, बल्कि पूरा भारत उन्हें आदर और सम्मान की नजर से देखता है। वह महान शख्सियत हैं गुरु नानक जी की। जो सिख समाज के पेश्वा तो हैं ही साथ ही पूरा भारतवर्ष उन्हें अपनी पलकों पर बिठाता है। उन्हें किसी सड़क, स्टेशन या शहर की जरूरत नहीं है. बल्कि उनके जैसे महान व्यक्तित्व को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना अपमानजनक है।  अल्लामा इकबाल ने उनके बारे में कहा थाः

फिर उठी आखिर सदा तौहीद की पंजाब से
हिन्द को इक मर्द-ए-कामिल ने जगाया खवाब से

इसी तरह अगर हम भोपाल राज्य की बात करें तो यह एक प्राचीन ऐतिहासिक राज्य रहा है। यहां लंबे समय तक नवाबों का दौर रहा है। भोपाल के इतिहास में एक दौर ऐसा भी आया जिस में भोपाल ने खूब इसी तरह अगर हम भोपाल राज्य की बात करें तो यह एक प्राचीन ऐतिहासिक राज्य रहा है। यहां लंबे समय तक नवाबों का दौर रहा है। भोपाल के इतिहास में एक दौर ऐसा भी आया जिस में भोपाल ने खूब तरक्की की। मेच बक्स फैक्ट्री, बिजली बोर्ड, बर्फ फैक्ट्री, चीनी मिल, कार्डबोर्ड फैक्ट्री, टेलीफोन एक्सचेंज, इंपीरियल बैंक और पोस्ट ऑफिस आदि खोले गए। यूनानी कालेज खुला, इसके अलावा, कई मिडिल स्कूल और हाई स्कूल खोले गए। यह दौर था भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान का। अभी 9 सितंबर को उनका जन्मदिन गुज़रा, किसी ने उन्हें याद तक नहीं किया।

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ऐसे अज़ीम नवाब जिन्होंने राज्य के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है। आज वर्तमान सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है. उनके द्वारा किये गये सभी कार्यों को भुलाया जा रहा है. उनके नाम पर जो भी चीजें हैं उन्हें एक-एक कर बदला जा रहा है। यहीं नहीं पूरे देश में नामों पर राजनीति हो रही है। कहीं इलाहाबाद का नाम बदला जा रहा है तो कहीं इस्लामनगर का नाम बदलकर जगदीशपुर किया जा रहा है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या मौजूदा सरकार सिर्फ नाम बदलने के लिए ही है? या नाम बदलकर ही देश का विकास दिखाया जा सकता है?

देश आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है, सरकार देश को दिन-ब-दिन कर्ज में डुबाती जा रही है. युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है. पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी गयी है. महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, इसे कैसे कम किया जाए। लेकिन इन मुद्दों पर चर्चा नहीं होती, बल्कि ये सरकार व्यर्थ की चर्चा करने में लगी रहती है। कभी इंडिया-भारत तो कभी हमीदिया रोड को गुरुनानक मार्ग!

इसका मतलब यह है कि मौजूदा सरकार इन पवित्र शख्सियतों का इस्तेमाल भी राजनीति के लिए कर रही है। गुरूनानक किसी परिचय और सड़क के मोहताज नहीं है, वह खुद एक शख्सियत हैं।ऐसी महान शख्सियतों का इस्तेमाल अगर राजनीति के लिए किया जाता है तो यह उनका अपमान है। आज यदि मध्य प्रदेश या भारत के किसी भी हिस्से में भगवान राम के नाम पर कोई भवन, सड़क या स्टेशन आदि बनाया जाता है तो यह उनका अपमान है।

है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़
अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिंद
(अल्लामा इकबाल)

इसलिए कि उन्हें इसकी जरूरत नहीं है, वह सिर्फ भारत के नहीं बल्कि पूरे विश्व के हैं। क्या भगवान राम, चिश्ती, गुरु नानक, कबीर और सभी संतों के नाम का इस्तेमाल भी इस देश में राजनीति के लिए किया जाएगा? यह कहां तक उचित है?

शक्ति भी शांति भी भगतों के गीत में है
धरती के बासीयों की मुक्ती प्रीत में है
(अल्लामा इक़बाल)

अगर देश को विकास के रास्ते पर ले जाना है तो शिक्षा, रोजगार, आपसी भाईचारे की बात करनी होगी, नहीं तो ये नफरत की राजनीति एक दिन इस देश को बर्बाद कर देगी। यदि इन महान हस्तियों से इतना ही प्रेम है फिर चाहे वह गुरु नानक हों, रानी कमलापति हों या कोई अन्य महान विभूति हों, सरकार को इनके नाम पर नई-नई चीजें बनानी चाहिए। पुरानी चीजें जो किसी और ने बनाई हैं, उन्हें अपने नाम पर रखना अपमान नहीं तो और क्या है? सरकार नये निर्माण क्यों नहीं करा रही? इसलिए ज़रूरी है कि हम झूठी बातों पर विश्वास करने के बजाय तथ्यों को जानें।

इतिहास पढ़ें और देखें कि नवाब हमीदुल्ला खान ने भोपाल राज्य के विकास में क्या योगदान दिया है। आज झूठा प्रचार किया जा रहा है कि नवाब हमीदुल्ला को भारत से प्यार नहीं था, उन्हें पाकिस्तान से प्यार था। यह याद रखना चाहिए कि यह पूरी तरह से झूठ और निराधार है। इसका तथ्यों से कोई लेना-देना नहीं है। वह अपने प्रिय देश भारत से अंत तक प्यार करते रहे। इसीलिए उन्होंने कभी इस देश को नही छोड़ा।

क्या सड़कों, शहरों, इमारतों और देश का नाम बदलने से कोई फायदा है? देश की जनता के हित की बात क्यों नहीं की जाती? भारत ही इण्डिया है और इण्डिया ही भारत है। चाहे सड़क का नाम हमीदुल्ला खान के नाम पर हो या गुरुनानकजी के नाम पर, सड़क होनी चाहिए। नाम बदलने की बजाय सड़क बनाने की बात होनी चाहिए। ऐसे कितने स्थान हैं जहां आज भी पक्की सड़क नहीं है. वहां सड़क बनाने की बात क्यों नहीं होती? घर-घर तिरंगे की बात होती है, लेकिन घर-घर रोजगार की बात क्यों नहीं होती? छात्रवृत्ति बंद करने की बात हो रही है, लेकिन नई छात्रवृत्ति देने की बात क्यों नहीं हो रही है? देश को शिक्षित बनाने के लिए शिक्षण संस्थान बनाने की बात भी कोई नहीं करता। बड़े नेताओं की सरकारी सुविधाओं का ख्याल रखा जाता हे, लेकिन सरकारी अस्पताल की हालत सुधारने की बात कोई नहीं करता।

नवाब हमीदुल्ला खान और भोपाल के अन्य सभी नवाबों की सेवाओं को याद रखने और लोगों के सामने सही तथ्य पेश करने की जरूरत है। साथ ही उनके नाम पर संस्थान, भवन, पुस्तकालय और अस्पताल आदि बनाये जाने चाहिए, जिससे लोगों को लाभ हो। इन महान विभूतियों का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करना उनका अपमान करना है जो किसी कीमत पर बर्दाशत नही किया जाएगा।