सर सय्यद की तालीमी तेहरीक की असरी मानवियत...(पार्ट -2)
राष्ट्र के सुधार के प्रति चिंतित, शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के इच्छुक, राष्ट्रवादी, बदलती परिस्थितियों में पाठ्यक्रम में सुधार करने वाले, राष्ट्र के विचारक, चिंतक और सुधारक यदि कोई हैं तो वह नाम है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैय्यद अहमद खान का।
सर सय्यद अहमद खान की तालीमी तेहरीक को आगे बढ़ाना अलीगस की सब से बड़ी ज़िम्मेदारीः एम.डब्ल्यू.अंसारी-अलीग (पूर्व डीजी)
क़िस्त (2) राष्ट्र के सुधार के प्रति चिंतित, शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के इच्छुक, राष्ट्रवादी, बदलती परिस्थितियों में पाठ्यक्रम में सुधार करने वाले, राष्ट्र के विचारक, चिंतक और सुधारक यदि कोई हैं तो वह नाम है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैय्यद अहमद खान का। आप न केवल एक महान विचारक थे, बल्कि आपके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू हैं। आप जिस क्षेत्र में गए, आपने अपनी छाप छोड़ी। चाहे वह लेखन का क्षेत्र हो, या भाषण का, आप किसी से पीछे नहीं हैं। जब आपकी उपलब्धियों की बात आती है, तो इसकी एक लंबी सूची है।
सर सैय्यद अहमद खान ने अपने जीवन की एक दिशा ते कर ली। उन्होंने विज्ञान और कला के प्रचार और प्रकाशन के लिए रणनीतियों के बारे में सोचना शुरू कर दिया। चूँकि प्राचीन संस्कृति और शिक्षा की पद्धतियाँ लोगों के मन में रची-बसी थीं,
इसलिए यह कार्य और भी कठिन था। इसलिए, 1858 में मुरादाबाद में नियुक्त होने के बाद, उन्होंने तारीख सरकशी बिजनोर लिखी और 1859 में उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए एक मदरसे की स्थापना की और अपनी दुकानों का किराया मदरसे को समर्पित कर दिया। सर सैय्यद ने 1860 में मुरादाबाद से एक त्रैमासिक पत्रिका (उर्दू और अंग्रेजी में) उर्दू में ‘रिसाला खैर ख्वाहाने मुस्लिम’ और अंग्रेजी में ‘लायल मुहम्मदन्स ऑफ इंडिया’ निकाली।
इस पत्रिका के माध्यम से सर सैय्यद ने जहां मुसलमानों पर लगे विद्रोह के दाग़ को हटाने का प्रयास किया, वहीं नई परिस्थितियों में शिक्षा की पुरानी व्यवस्था को बदलने पर ज़ोर दिया।
सर सैय्यद अहमद खान ने लिखा कि ‘ऐसे मदरसों से कोई फायदा नहीं है’’ अफसोस, भारतीय मुसलमान डूब रहे हैं और उन्हें निकालने वाला कोई नहीं है। अफसोस! वे अमृत उगलते हैं और जहर निगलते हैं। किसी सूखे पेड़ की जड़ को पानी देने की बजाय उसके पत्तों पर पानी छिड़कें और सूखे झरनों से पानी आने की उम्मीद करें। पढ़ाने का पिछला तरीका वाकई अच्छा था। लेकिन जिस डोर से वौ तिलीयाँ बंधी हुई थी वह टूट गई, अब उन्हें बांधने के लिए दूसरी डोर का इस्तेमाल किया जाए। इस विचार ने सर सैय्यद अहमद खान को साइंटिफिक सोसायटी की स्थापना के लिए निर्देशित किया।
अगर हम इस युग को देखें तो इसकी आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। आज भारतीय वैज्ञानिक चंद्रमा पर तिरंगा लहरा रहे हैं। इसका श्रेय सर सैयद अहमद को भी जाता है। उन्होंने ऐसे दौर में एक वैज्ञानिक शहर स्थापित करने की योजना बनाई थी जब इसकी कल्पना करना असंभव था। उन्होंने जो शिक्षा आंदोलन चलाया था उसे आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। जिस मिशन और उद्देश्य को पूरा करने के लिए सर सैय्यद ने सपना देखा था, अलीगस को उसी तर्ज़ पर काम करने की ज़रूरत है।
अलिग्स हर जगह हैं और शिक्षा के क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। छोटे-छोटे शिक्षण संस्थान खोलकर या किसी अल्पसंख्यक संस्थान से संबद्ध होकर उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा देने का काम करें। सरकारी योजनाओं विशेषकर सरकारी रिक्तियों और छात्रवृत्तियों को अपने लोगों तक पहुचानें मे मदद करें।
अपने लोगों में सामाजिक और राजनीतिक चेतना पैदा करें जिसकी आज सख्त जरूरत है, हमारे लोग आज की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को जानें और समझें। मतदाताओं को चुनाव और मतदान का महत्व समझाएं और भारत के सच्चे नागरिक के रूप में अपने मत का सही उपयोग करें। संविधान के दायरे में रहकर अपने अधिकारों के लिए लड़ें।
आज अलीगस समाज को सामाजिक प्रचार कार्य करने की अत्यंत आवश्यकता है जो कि समय की आवश्यकता है, मुस्लिम समाज में जो भी गलत रीति-रिवाज और सामाजिक बुराइयां हैं जैसे दहेज, दिखावे के रूप में धन और संपत्ति की फिजूलखर्ची आदि। ऐसी सभी बुराइयों पर अंकुश लगाया जा सकता है और इसे शिक्षा और उच्च शिक्षा पर खर्च किया जा सकता है। इसे समाज को एकजुट करने पर खर्च किया जा सकता है। आज आने वाली पीढ़ी को अपने इतिहास और विरासत से अवगत कराने की ज़रूरत है। अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने की ज़रूरत है। सभी मदरसों में जहां कुरान और हदीस की पढ़ाई चल रही है, वहां समसामयिक शिक्षा की व्यवस्था बनाई जानी चाहिए ताकि हमारे आलिम, हाफिज़ भी ज़माने के साथ चलें और अपने दीनी हुनर के साथ-साथ दुनियावी हुनरमंद भी बनें। ताकि उन्हें किसी की ज़रूरत न पड़े और उनकी आजीविका का उचित और बेहतर प्रबंधन हो सके। ये सभी कार्य अलीगस बिरादरी अच्छे से कर सकती है। बस इस कार्य को मिशन मोड पर करने की ज़रूरत है।