पॉर्न वीडियो देखने वालों की संख्या तेजी के साथ बड़ी, भारत 3 नंबर पर

नई दिल्ली : भारत में 2018 के बाद से पॉर्न वीडियो देखने वालों की संख्या बड़ी तेजी के साथ बड़ी है। लगभग 75 फ़ीसदी की इसमें वृद्धि हुई है।

पॉर्न वीडियो देखने वालों की संख्या तेजी के साथ बड़ी, भारत 3 नंबर पर

पोर्न सेक्स वीडियो शेयर करने पर 7 साल की सजा 10 लाख जुर्माना

2018 के बाद से 75 फ़ीसदी पॉर्न वीडियो देखने का चलन बढ़ा

बढ़ रही है मानसिक रोगियों और यौन अपराधों की संख्या

नई दिल्ली : भारत में 2018 के बाद से पॉर्न वीडियो देखने वालों की संख्या बड़ी तेजी के साथ बड़ी है। लगभग 75 फ़ीसदी की इसमें वृद्धि हुई है। 2018 के बाद से भारत में इंटरनेट और स्मार्टफोन की सुविधा बढ़ने के बाद सभी वर्गों के बीच में पोर्नोग्राफी के वीडियो और कंटेंट देखने की प्रवृत्ति काफी तेजी के साथ बड़ी है। 2018 के बाद से भारत में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इंटरनेट में पोर्न वीडियो का चलन बढ़ने के बाद यौन अपराधों में बड़ी तेजी के साथ वृद्धि हो रही है।

इसको रोकने के लिए सरकार 2018 से प्रयास कर रही है। सरकार ने पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध लगाते हुए 800 वेबसाइटों को प्रतिबन्धित किया था। कुछ ही समय के बाद यह वेबसाइट अन्य नाम से फिर से इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। सर्च इंजन के माध्यम से आसानी से हर वर्ग तक उनकी पहुंच आज भी बनी हुई है। इस पर रोक लगा पाना सरकार के लिए संभव नहीं लग रहा है।

केंद्र सरकार ने 2008 में आईटी एक्ट में संशोधन कर भारतीय दंड संहिता की धारा 292, 293, 294, 506 और 509 के तहत सजा का प्रावधान भी किया है।लेकिन इसका असर देखने को नहीं मिला। केंद्र सरकार ने इसके बाद आईटी एक्ट में संशोधन किया। आईटी एक्ट की धारा 66 ई धारा 67 ए और धारा 67 बी के तहत पोर्नोग्राफी फिल्म बनाना, इन्हें शेयर करना अथवा प्रसारित करना प्रतिबंधित किया गया। गैर जमानती अपराध के रूप में धारा 66 ई के तहत पोर्नोग्राफी,पोर्न फोटोग्राफी और फिल्म बनाने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसको पाक्सो एक्ट के तहत भी लाया गया है। 

आईटी एक्ट की धारा 67 ए के अनुसार पोर्नोग्राफी देखने और उसे शेयर करने पर 5 साल की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना का प्रावधान है। दूसरी बार में यही अपराध करने पर धारा 67 बी के तहत 7 साल की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान किया गया है। इस तरह के अपराध में पाक्सो एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जाएगी। भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत भी सजा का प्रावधान है। गैर जमानती अपराध होने से इसकी सजा बहुत जल्दी अपराधी को मिलती है।अपराधी के साथ कोई भी नरमी नहीं बढ़ती जाती है।

इंटरनेट पर प्रतिबंध फिर भी उपलब्ध

भारत में पोर्न वेबसाइट पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके बाद भी इंटरनेट पर जब चाहे, जहां चाहे, सर्च इंजन की सहायता से बच्चे युवा बुजुर्ग कोई भी पॉर्न वीडियो इंटरनेट पर आसानी से देख सकता है। सर्च इंजन इस मामले में आसानी से पोर्न वेबसाइट तक ले जाता है। पॉर्न वीडियो जिस तरीके के आप चाहते हैं। वह इंटरनेट और स्मार्टफोन पर उपलब्ध है। कानून में प्रतिबंधित होने के बाद भी आसानी से इंटरनेट पर सभी वर्गों के लिए उपलब्ध है।

बढ़ी मानसिक रोगियों की संख्या

स्मार्टफोन और इंटरनेट पर आसानी से पोर्नोग्राफी की फिल्में उपलब्ध है। जिसके कारण लोग इसके आदी होकर मानसिक रोग के शिकार हो रहे हैं। यह नशा इतना घातक हो गया है, कि इससे बाहर निकलना या इसका उपचार करना अब डॉक्टरों के लिए भी मुश्किल होता जा रहा है।

तेजी से बढे यौन अपराध

भारत में पिछले 5 वर्षों से यौन अपराधों की संख्या बड़ी तेजी के साथ बढ़ती जा रही है। छोटी-छोटी बच्चियों के साथ अब दुष्कर्म होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। यौन अपराधों के लिए कड़ी सजा होने के बाद भी भारत में पुलिस यौन अपराधों को रोकने में सफल नहीं हो पा रही है। बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस पर रोक लगा पाना राज्य एवं केंद्र सरकार के लिए संभव नहीं रहा। यदि यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी हर किसी के पास स्मार्टफोन है। स्मार्ट फोन पर आसानी से पोर्नोग्राफी के वीडियो उपलब्ध हैं जो भारत के सभी आयु वर्ग के लोगों को मानसिक रूप से बीमार बना रहे हैं। पॉर्न वीडियो लोगों को यौन अपराध के लिए प्रेरित कर रहे हैं।(एजेंसी)