Article : कहानी गंज-ए-सवाई की -

 Article : इतिहासकारों के मुताबिक औरंगजेब का शाही निशान वाला जहाज गंज-ए-सवाई हर साल हज करने के लिए सूरत से मक्का की यात्रा पर रवाना होता था.

Article : कहानी गंज-ए-सवाई की -

 Article : इतिहासकारों के मुताबिक औरंगजेब का शाही निशान वाला जहाज गंज-ए-सवाई हर साल हज करने के लिए सूरत से मक्का की यात्रा पर रवाना होता था. उस जहाज में बेशकीमती सोने और हीरे-जवाहरात के साथ मुगल परिवार के साथ कई खास लोग शामिल होते थे. यह जहाज बहुत मजबूत और लकड़ी की कारीगरी का शानदार नमूना था. इस जहाज पर सुरक्षा के लिए 80 बंदूकें और तोप तैनात की गई थी, जिसे देखकर कोई भी उस पर हमला करने की हिमाकत न कर सके. वह उस जमाने में सर्व शक्तिशाली जहाज हुआ करता था.

वो अंग्रेज लुटेरा कैप्टेन हेनरी, जिसने बेरहमी से लूटा था औरंगजेब का जहाज -  know about captain henry every a famous sea pirate looted aurangzeb ship  ganj i sawai – News18 हिंदी

इसके बावजूद हेनरी एवरी नाम के एक समुद्री डाकू ने योजना बनाकर उसे लूटने का फैसला किया. हेनरी जानता था कि मक्का से वापस भारत लौट रहा जहाज लाल सागर में पेरिम द्वीप के पास से गुजरेगा. उसने वहीं पर अपने साथियों के साथ घात लगाकर जहाज को लूटने का फैसला किया. अगस्त 1695 में हेनरी के जहाज ने रात के अंधेरे में औरंगजेब के जहाज को जोरदार टक्कर मारी. इसके चलते औरंगेजब के जहाज का अगला हिस्सा बर्बाद हो गया और उसमें रखी तोपें भी समुद्र में गिर गई. इसके बाद हेनरी के साथियों ने हथियारों के बल पर औरंगजेब के जहाज में चढ़कर सारी धन-दौलत लूट ली और अपने जहाज से फरार हो गए.

वो अंग्रेज लुटेरा कैप्टेन हेनरी, जिसने बेरहमी से लूटा था औरंगजेब का जहाज -  know about captain henry every a famous sea pirate looted aurangzeb ship  ganj i sawai – News18 हिंदी

गंज-ए-सवाई से ली गई लूट का मूल्य £325,000 और £600,000 के बीच आंका गया था, और इसमें "सोने और चांदी के लगभग 500,000 टुकड़े, साथ ही कई रत्न-जड़ित बाउबल्स और विविध चांदी के कप, ट्रिंकेट आदि शामिल थे।श."

जब यह जानकारी औरंगजेब को मिली तो वह आगबबूला हो गया. उसने अज्ञात डाकू और उसके साथियों पर इनाम की घोषणा करते हुए भारत में कारोबार कर रही ब्रिटिश ईस्ट इंडिया पर शिकंजा कस दिया. कंपनी की कई फैक्ट्रियों पर ताला लटका दिया गया और अंग्रेजों को हिरासत में लेकर औरंगजेब के सामने उनकी परेड निकाली गई. अंग्रेजों ने अपनी जान बचाने के लिए उसे हुए नुकसान की भरपाई करने और डकैती करने वाले लोगों को उसके हवाले करने का आश्वासन दिया. मुगल सेना के खूब जोर लगाने और अंग्रेजों की भागदौड़ के बावजूद हेनरी एवरी कभी पकड़ में नहीं आ पाया.