कभी पैसे ना होने की वजह से जूतों की जगह चप्पल पहनकर ही खेलना पड़ता था क्रिकेट
क्योंकि पिता चलते थे ऑटो रिक्शा, जिससे घर का खर्चा भी मुश्किल से चल पाता था। कुछ ऐसी है लंका में आग लगा देने वाले सिराज के संघर्ष की कहानी...
क्योंकि पिता चलते थे ऑटो रिक्शा, जिससे घर का खर्चा भी मुश्किल से चल पाता था। कुछ ऐसी है लंका में आग लगा देने वाले सिराज के संघर्ष की कहानी...
सिराज एक मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं, जहाँ उनका परिवार चाहता था कि वह बड़े होकर इंजीनियर बनें। लेकिन उन्हें क्रिकेट बहुत पसंद था और अकसर कॉलेज बंक करके वह क्रिकेट खेलने चले जाया करते थे। शुरुआती दिनों में वह चप्पल पहनकर ही खेला करते थे। सिराज बताते हैं- “हम गांव में टेनिस बॉल से खेलते थे। मैं 19 साल की उम्र तक चप्पल पहनकर ही खेलता था। मेरे पास जूते नहीं थे, क्योंकि जूते खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।"
सिराज के पिता ऑटो रिक्शा चलाकर जीविका कमाते और परिवार चलाते थे। महीने में पिता की जितनी भी कमाई हो पाती, उसमें से 70 रुपये सिराज को पॉकेट मनी मिलती थी। और इन पैसों में से 40 रुपये उनकी प्लेटिना बाइक में पेट्रोल डलवाने में खर्च हो जाया करते, जिससे वह प्रैक्टिस करने जाते थे। उनकी यह बाइक भी बहुत अच्छी हालत में नहीं थी, धक्का दिया बिना स्टार्ट नहीं होती थी।
"मेरी माँ मुझे यह कहकर डांटा करती थी कि 'तुम्हारा बड़ा भाई इंजीनियर है और तुम कब तक ऐसे टाइम पास करते रहोगे!' क्योंकि मैं पढ़ाई में मन लगाने के बजाय कॉलेज बंक करता था और क्रिकेट खेलने जाता था। लेकिन पापा मुझे हमेशा डांट से बचाते थे, उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया। मैंने 2016 में हैदराबाद के लिए रणजी ट्रॉफी खेली। उससे पहले मैं मेरे अंकल के क्लब में खेला करता था, जहां मैंने पहले मैच में 9 विकेट लिए थे और 500 रूपए जीते थे; जिसमें से मैंने 300 घर में दिए थे। इसके बाद से माँ ने भी मुझे क्रिकेट खेलने के लिए मना नहीं किया।"
2016-17 रणजी ट्रॉफी में सिराज हैदराबाद की ओर से सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने थे। उस सीजन में सिराज ने 41 विकेट चटकाए थे। इसके बाद ही सनराइजर्स हैदराबाद ने 2.6 करोड़ में उनको खरीदकर अपनी टीम में शामिल किया। फिर 2018 में सिराज को RCB ने अपने साथ जोड़ा और तब से वह बैंगलोर का हिस्सा हैं। इसके अलावा पहली बार सिराज का चयन भारतीय टीम में साल 2017 में हुआ था। कई मुश्किलों और रुकावटों को पार करते हुए वह बस आगे बढ़ते गए और आज भारतीय टीम के स्टार खिलाड़ी हैं।
इन्होंने बीते कुछ सालों में खतरनाक गेंदबाजी से अपना लोहा मनवाया है। इंटरनेशनल क्रिकेट हो या IPL, सिराज के प्रदर्शन ने टीम को कई बार जीत दिलाई है। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए इस तेज गेंदबाज ने संघर्षों का पहाड़ पर किया है, और कई सालों की मेहनत के बार सफलता पाई है।