डिप्टी कलेक्टर की नौकरी छोड़ निशा बांगरे कांग्रेस में शामिल, छिंदवाड़ा में कमलनाथ की जनसभा में ग्रहण की सदस्यता
डिप्टी कलेक्टर की नौकरी छोड़ निशा बांगरे कांग्रेस में शामिल, छिंदवाड़ा में कमलनाथ की जनसभा में ग्रहण की सदस्यता,अभी तक नहीं हुई है निशा के टिकट की घोषणा...
भोपाल. पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने 26 अक्टूबर को कांग्रेस की सदस्यता ले ली. उन्हें पूर्व सीएम कमलनाथ ने पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस मौके पर कमलनाथ ने निशा से कहा कि आप चिंता मत करिये आपसे मध्य प्रदेश की सेवा कराएंगे. कमलनाथ ने मंच से साफ कह दिया कि निशा बांगरे मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगीं. इससे कुछ घंटों पहले निशा बांगरे ने कहा था आज दोपहर कमलनाथ मुझे कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करवाएंगे. आमला विधानसभा प्रत्याशी बदलने पर कांग्रेस पार्टी निर्णय लेगी. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट पिछले कुछ समय से चर्चा का विषय बनी हुई है. बांगरे ने कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी. साथ ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. निशा बांगरे का डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा मध्य प्रदेश सरकार मंजूर नहीं कर रही थी.
हाई कोर्ट की सख्ती के बाद ने इस्तीफा मंजूर करने का आदेश जारी किया. अब उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है. निशा बांगरे ने व्हाट्सएप ग्रुप में मैसेज कर चुनाव लड़ने के अपने फैसले पर मुहर लगा दी है. बैतूल की पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपने व्हाट्सएप ग्रुप में मेसेज करते हुए लिखा कि मैं चुनाव लड़ूंगी. 24-25-26 अक्टूबर तक नामांकन पत्र दाखिल करूंगी. निशा बांगरे के ऐलान के बाद सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया है. यदि निशा बांगरे निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों को बड़ा नुकसान हो सकता है. भाजपा के वोट बैंक में भी सेंध लग सकती है. कांग्रेस पार्टी द्वारा पहले ही 229 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान हो गया था. कांग्रेस ने सिर्फ बैतूल की आमला सीट पर ही प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की थी. मगर 22 अक्टूबर को प्रत्याशी घोषित करने के बाद अगले ही दिन 23 अक्टूबर को मध्यप्रदेश सरकार ने निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया.
सुरजेवाला ने बीजेपी से पूछे सवाल
इधर, सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी पांच सवाल पूछे हैं. उन्होंने पूछा है, क्या एक किलोवॉट तक के 20 लाख गरीब उपभोक्ताओं में से उपभोक्ता की एक फूटी कौड़ी भी माफ हुई? सुरजेवाला ने बीजेपी सरकार से पूछा है, क्या एक किलोवॉट तक के उपभोक्ताओं के बिजली के बिल अस्थगित करने के आदेश जारी करने के पहले पड्यंत्रपूर्वक तरीके से उपभोक्ताओं का बिजली कनेक्शन का भार दो किलोवॉट कर दिया गया?
क्या प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों को उनके कनेक्शन के भार को बढ़ाने के पहले उन्हें सूचित किया गया था, या उनकी सहमति ली गई थी, या उनके लोड का आकलन किया गया था? क्या ये लाखों गरीब परिवार दो किलोवॉट के कनेक्शन के साथ गरीबी रेखा की परिधि से षडयंत्रपूर्वक तरीके से बाहर कर दिए गए हैं? क्या शिवराज सरकार की सारी घोषणाएं ऐसे ही धोखे और झूठ की बुनियाद पर रखी गई हैं?