मंगल ग्रह पर नई खोज: वैज्ञानिकों ने खोजी अनजानी संभावनाएं

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Explainer : मंगल ग्रह पर जीवन के संकेत इंसानों के लिए लंबे समय से कौतूहल का विषय रहे हैं. वैज्ञानिकों को भी मंगल ग्रह पर ऐसे संकेत प्रभावित करते रहे हैं. दशकों से वहां पर नदियां, घाटियां, डेल्टा औरझीलों के संकेत साफ साफ दिखते रहे हैं जिससे आसानी से यह नतीजा निकाला जा सकता है कि वहां जरूर एक समय पानी बहता रहा होगा.

पर आज मंगल की सतह बहुत ठंडी बंजर जमीन है जहां पानी देखने को नहीं मिलता है. वैज्ञानिक भी मंगल की सतह के नीचे पानी की तलाश में हैं. पर नई रिसर्च ने वैज्ञानिकों को अपने इन विचारों पर फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है. उनके मुताबिक जरूरी नहीं मंगल पर बहने वाला तरल पानी ही हो वह कुछ तरल कार्बन डाइऑक्साइड भी हो सकता है.

केवल पानी ही हो जरूर तो नहीं

नई रिसर्च ने मंगल पर कभी पानी होने के सिद्धांत में कुछ खामियां निकाली हैं. उसका दावा है कि मंगल पर एक संभावना यह भी है कि वहां प्रचुर पानी की जगह प्रचुर कार्बन डाइऑक्साइड हो सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि हो सकता है मंगल पर प्रचुर मात्रा में पानी होने की बात ने हमें उस संभावना से दूर कर दिया हो जिससे मंगल आज के हालात में पहुंचा है.

कार्बनडाइऑक्साइड की भूमिका

जियो साइंस में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पुराने प्रयोगों का संदर्भ दिया है जिसमें पड़ताल की गई की थी कि कैसे मंगल ग्रह पर कार्बन डाइऑक्साइड और खनिजों के बीच प्रतिक्रिया हुई होगी जब वहां के तापमान और दबावों के कारण कार्बन डाइऑक्साइड गैसीय और तरल दोनों ही रूप में रहा होगा.

मंगल

मंगल पर CO2 और खनिज

इन अध्ययनों ने दर्शाया है कि मंगल पर बहुत व्यापक तौर पर कार्बोनेशन की प्रक्रिया हुई थी जहां कार्बन डाइऑक्साइड कार्बोनेट जैसे खनिजों में मिली होगी. शोधकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह से पृथ्वी पर तरल कार्बन डाइऑक्साइड और खनिजों के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया हुई थी, वैसा ही कुछ मंगल पर हुआ होगा. इसी से मंगल पर कार्बोनेट, फिलोसिलिकेट्स और शायद सल्फेट जैसे पदार्थों वाला खनिज बने होंगे जो मंगल पर आज देखने को मिलते हैं.

एक जैसे हालात हों जरूरी नहीं

ऐसे में हो सकता है कि आज के मंगल के भूभाग और भूसंरचना के बनने में स्थायी तरल कार्बन ऑक्साइड की हो जो उसी के ग्लेशियर की नीचे बने हों या भी सतह के नीचे के भंडार से बने हों. शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि मंगल पर एक गर्म और नम लेकिन एकल वातावरण के विचार से हमें छोटी अस्थायी और सतह के नीचे की प्रक्रियाओं के समूह पर जोर देना चाहिए. ऐसे में शायद अलग अलग बदलावों के दौर बेहतर समझ में आ सकते हैं.

मंगल

कई प्रक्रियाओं का हो सकता है योगदान

इसका मतलब यह हो सकता है कि मंगल के हालात बनाने क पीछे तरल पानी के अलावा तरल कार्बन डाइऑक्साइड की मिली जुली भूमिका भी हो सकती है. वैज्ञानिक यही कहना चाहते हैं कि यह कोई जरूरी नहीं है कि यह “या तो ये या फिर वो” वाली स्थिति हो, लेकिन मंगल पर जो हुआ उसे समझने के लिए हमें पृथ्वी की प्रक्रियाओं के दायरे से बाहर जाकर की संभावनाओं को भी टटोलना होगा.

नजरअंदाज नहीं कर सकते

नासा के मंगल ग्रह पर भेजे गए पर्सीवियरेंस रोवर के मॉक्सी उपकरण को प्रमुख पड़तालकर्ता माइकल हैच का कहना है कि यह कहना बहुत मुश्किल है कि मंगल के बारे में यह आंकलन असल में सच ही होगा. “…हम केवल इतना कह रहे हैं कि अधिक से अधिक यह हो सकता है कि इस बात की बहुत अधिक संभावना को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.“

नासा के मंगल ग्रह पर भेजे गए पर्सीवियरेंस रोवर के मॉक्सी उपकरण को प्रमुख पड़तालकर्ता माइकल हैच का कहना है कि यह कहना बहुत मुश्किल है कि मंगल के बारे में यह आंकलन असल में सच ही होगा. “…हम केवल इतना कह रहे हैं कि अधिक से अधिक यह हो सकता है कि इस बात की बहुत अधिक संभावना को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. मंगल पर आकृतियां कैसे बनी यह आज वहां के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है. एक सटीक जवाब नहीं हो सकता, और हम केवल पहेली के हिस्से की एक संभावना का सुझाव दे रहे हैं.“(एजेंसी)

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Author: Khulasa Post

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