इंग्लैंड में मुस्लिमो कब्ज़ा

कहानी की शुरुआत होती है पहली तस्वीर में दिख रहे किंग जॉन के आदरणीय अग्रज भ्राता यानी बड़े भाई रिचर्ड प्रथम ( समय काल 1190 से 1192) से..

इंग्लैंड में मुस्लिमो कब्ज़ा

जब इंग्लैंड लगभग लगभग मुस्लिम हो ही गया था।

कहानी की शुरुआत होती है पहली तस्वीर में दिख रहे किंग जॉन के आदरणीय अग्रज भ्राता यानी बड़े भाई रिचर्ड प्रथम ( समय काल 1190 से 1192) से.. उसके शौक बहुत बढ़िया थे और वह अधाधुंध खर्चा करता था, तीसरे क्रुसेड में वह जेरूशल्म को फतेह करने निकला पर वह फतेह नही कर सका और उसपर लंबा चौड़ा बिल बन गया। खार खाया राजा वापसी में इटली के सिसली और आज के साइप्रस देश में आक्रमण करके वहां से पैसे जमा करने लगा ( मैने कहा था ना धार्मिक भाई एक बहुत बड़ा स्कैम है, सब एक दूसरे के अलावा अपने में भी देते रहते है जब बात पैसे की हो), वहां से कुछ पैसा जमा हुआ तो वापस आने लगा। वापसी में रोमन राजा हेनरी ने उसे पकड़ लिया कि हमारी जेब बिना भरे कैसे जा रहा है बे???।

तब हेनरी ने रिचर्ड से फिरौती मंगवाई जो इंग्लैंड के 2 साल के लगान के बराबर थी। 1199 में रिचर्ड की एक इंफेक्टेड तीर से लगे जख्म के कारण मौत हो गई। अब कहानी के main किरदार किंग जॉन की बारी आई। उसके पास शासन करने और बचाने को काफी जमीन थी। तब लगभग फ्रांस भी इंग्लैड में आता था पर किंग जॉन धीरे धीरे करके फ्रांस के इलाके हारता गया। 1209 में उसकी पोप इनोसेंट तृतीय के साथ कोई भसूड़ी हो गई पोप इनोसेंट तृतीय ने उसमे बजा दिए और उसपर इंटरडिक्ट लगा दिया यानी अब वो कोई धार्मिक अनुष्ठान नही कर सकेगा न ही कोई उसकी मदद करेगा और एक तरह से उसपर अंडी मंडी संधि लगा दी गई। अब कोई राजा उससे ताल्लुक नहीं रखने लगा क्योंकि अंडि मंडी संधि से सब डरते थे जैसे हम बचपन में डरते थे।

एक तो संधि लग गई थी ऊपर से फ्रांस से उसको अपने क्षेत्र को बचाना था तब उसने अलमोहाद ( आज का नॉर्थ अफ्रीका और साउथ स्पेन का राज्य)  के खलीफा मोहम्मद अल नसीर को अपना एक कनवॉय भेजा जिसमे एक यहूदी से ईसाई हुआ राजदूत रॉबर्ट ऑफ लंदन भी था। जॉन के राजदूत रॉबर्ट ने कही कि अगर आप हमारा साथ दो तो हमारा राजा इस्लाम कबूल करके आपके जेरे असर रहने को तैयार है पर उसी यहूदी से ईसाई हुए राजदूत रॉबर्ट ऑफ लंदन ने एक अलग और गुप्त मीटिंग करके नासिर को बता दिया कि हमारा राजा किसी काम का नही है, इस्लाम कबूल भी कर लेगा पर कागज़ में भी ईसाई रहेगा, जालिम आदमी है जुल्म करता है सब पर इत्यादि इत्यादि कहके नासिर को करप्ट कर दिया। नासिर ने खुश होकर उसे तोहफे देकर रवाना कर दिया और दूसरे राजदूत जो उस यहूदी से ईसाई हुए राजदूतो के साथ आए थे ,उनको खाली हाथ भेज दिया।

रॉबर्ट ऑफ लंदन ने उपहारों को राजा को दिखाकर बोला देखो मैं डील पक्की करके आया हूं बाकियों से डील नही हो सकी तो खुश होकर जॉन ने उसे और उपहार दे दिए।

अगले ही साल 1213 में नासिर की क्रूसेडर ईसाइयों के हाथो मृत्यु हो गई। तीन साल बाद 1216 में जॉन की भी मृत्यु हो गई
इस तरह इंग्लैंड को इस्लाम टक से छूकर निकल गया। अगर यह डील हो जाती, इंग्लैंड अलमोहद राज्य के अधीन हो जाता तो क्या होता? कहने को बहुत किसास लगाए जा सकते है पर हमे नही भूलना चाहिए कि इस दुनिया के हर इवेंट दुनिया के भविष्य पर असर डालते है। आज कल के शासकों को इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए क्योंकि कल की भसूड़ी का किसे भी नही पता।

- जान अब्दुल्ला