Domestic Dispute : सास अगर बहू को मैक्सी पहनने के लिए ताना मारती है तो इसे प्रताड़ना नहीं माना जाएगा :सुप्रीम कोर्ट

Domestic Dispute : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सास अगर बहू को मैक्सी पहनने के लिए ताना मारती है तो इसे प्रताड़ना नहीं माना जाएगा। मध्य प्रदेश की एक महिला ने केस दर्ज कराया था

Domestic Dispute : सास अगर बहू को मैक्सी पहनने के लिए ताना मारती है तो इसे प्रताड़ना नहीं माना जाएगा :सुप्रीम कोर्ट

- कोर्ट ने कहा, बिना सही ग्राउंड के केस चलाना आरोपी के साथ अन्याय होगा

Domestic Dispute : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सास अगर बहू को मैक्सी पहनने के लिए ताना मारती है तो इसे प्रताड़ना नहीं माना जाएगा। मध्य प्रदेश की एक महिला ने केस दर्ज कराया था कि उसकी सास मैक्सी पहनने पर ताना मारती थीं। महिला की शादी 2007 में हुई थी। कोर्ट ने इस पर कहा कि आरोप बेहद आम किस्म का है, इसे प्रताड़ना नहीं मान सकते। बिना सही ग्राउंड के केस चलाना आरोपी के साथ अन्याय होगा। महिला की सास और पति के भाई ने क्रिमिनल केस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दहेज प्रताड़ना का जो आरोप लगाया गया है वह जनरल है। ऐसे में महिला की शिकायत पर चल रही क्रिमिनल कार्यवाही को खारिज की जाती है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि आरोप अस्पष्ट है। महिला के पति का भाई अलग शहर में रहते हैं और वह त्योहार आदि में ही मिले हैं। महिला शादी के बाद अपने ससुराल 2007 से लेकर 2009 तक ही रही। 2009 में अपनी मर्जी से ससुराल छोड़कर अपने मायके रहने चली गई।

2013 में महिला ने तब शिकायत दर्ज कराई जब उसके पति ने उसके खिलाफ तलाक का केस दायर किया। पति के तलाक के केस के बाद महिला ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत की। साथ ही अपने पति के भाई (जूडिशल ऑफिसर) के खिलाफ एक अज्ञात पत्र लिखकर शिकायत की थी और बाद में माना था कि उसी ने वह लेटर लिखा है। ऐसे में जाहिर होता है कि उसका अपने पति के भाई से व्यक्तिगत दुश्मनी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला ने खुद अपना ससुराल छोड़ा था। तलाक का केस जब पति ने दर्ज कराया तब उसने ससुरालियों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया। साथ ही एफआईआर में कहा था कि अपराध 2007 से लेकर 2013 के बीच हुआ था। जबकि शिकायत में जो तथ्य है उसमें 2009 तक प्रताड़ना की बात थी। इस मामले में प्रताड़ना का जो आरोप लगाया गया है उसमें यह तथ्य नहीं है कि कब किस तरह का प्रताड़ना हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमाम परिस्थितियों को देखते हए आरोप मुक्कमल नहीं है। ऐसे में पहली नजर में केस नहीं बनता है।(एजेंसी)