औरंगजेब आलमगीर का इतिहास
अबुल मुज़फ्फर मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर (४ नवम्बर १६१८ – ३ मार्च १७०७) जिसे आमतौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (स्वंय को दिया हुआ शाही नाम जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। उसका शासन १६५८ से लेकर १७०७ में उसकी मृत्यु होने तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया।
अबुल मुज़फ्फर मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर (४ नवम्बर १६१८ – ३ मार्च १७०७) जिसे आमतौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (स्वंय को दिया हुआ शाही नाम जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। उसका शासन १६५८ से लेकर १७०७ में उसकी मृत्यु होने तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया। वो अकबर के बाद सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाला मुग़ल शासक था। अपने जीवनकाल में उसने दक्षिणी भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार करने का भरसक प्रयास किया पर उसकी मृत्यु के पश्चात मुग़ल साम्राज्य सिकुड़ने लगा।
औरंगज़ेब के शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। वो अपने समय का शायद सबसे धनी और शातिशाली व्यक्ति था जिसने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के जरिये मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और १५ करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का १/४ था।औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर फतवा-ए-आलमगीरी (शरियत या इस्लामी कानून पर आधारित) लागू किया और कुछ समय के लिए गैर-मुस्लिमो पर अतिरिक्त कर भी लगाया। गैर-मुसलमान जनता पर शरियत लागू करने वाला वो पहला मुसलमान शासक था।
औरंगजेब का इतिहास | History of Aurangzeb | औरंगजेब का जन्म 24 अक्टूबर 1618 ई. में हुआ था, इसका जन्म दोहाद [गुजरात] नामक स्थान पर हुआ था ,18 मई 1637 ई. को फारस के राजघराने की “दिलरास बानो बेगम” के साथ औरंगजेब का निकाह हुआ था.
आगरा पर कब्ज़ा कर जल्दबाजी में औरंगजेब ने अपना राज्याभिषेक “अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मुजफ्फर औरंगजेब बहादुर आलमगीर” की उपाधि से 31 जुलाई 1658 ई. को करवाया था. देवराई के युद्ध में सफल होने के बाद 15 मई 1659 ई. को औरंगजेब ने दिल्ली में प्रवेश किया व शाहजहाँ के शानदार महल में 5 जून 1659 ई. को अपना दूसरा राज्याभिषेक संपन्न करवाया था.
मीर मुहम्मद हकीम औरंगजेब के गुरु थे. औरंगजेब सुन्नी धर्म को मानता था, उसे जिन्दा पीर कहा जाता था. मई 1666 ई. को आगरा के किले के दीवान-ए-आम में औरंगजेब के समक्ष शिवाजी उपस्थित हुए थे. यहाँ शिवाजी को कैद कर जयपुर भवन में रखा गया था. इस्लाम नहीं स्वीकारनें के कारण सिखों के 9 वें गुरु तेगबहादुर की हत्या औरंगजेब ने 1675 ई. में दिल्ली में करवा दी थी.
औरंगजेब ने 1679 ई. में जजिया कर पुनः लागु किया था. औरंगजेब की बीबी के मकबरे का निर्माण औरंगाबाद [महाराष्ट्र] में करवाया गया था. 1685 ई. में बीजापुर व 1687 ई. में गोलकुंडा को औरंगजेब ने मुगल साम्राज्य में मिला दिया था.
मदन्ना व अकन्ना नामक ब्राह्मण ग्रंथों का सम्बन्ध गोलकुंडा के शासक अबुल हसन से था. औरंगजेब के समय हुए जाट विद्रोह का नेतृत्व गोकुला व राजाराम ने किया था. 1670 ई. में तिलपत की लड़ाई में जाटों की पराजय हुई थी. गोकुला को मौत के घाट उतार दिया था. इसके बावजूद जाटों ने 1685 ई. में जाटों ने नेतृत्व में पुनः विद्रोह किया था. जाटों ने सिकंदरा में स्थित अकबर के मकबरे को लूटा था. भरतपुर राजवंश की नींव औरंगजेब के शासनकाल में जाट नेता व राजाराम के भतीजे चुरामन ने डाली थी.
औरंगजेब के समय हिन्दू मनसबदारों की संख्या लगभग 337 थी, जो अन्य मुग़ल सम्राटों की तुलना में अधिक थी. औरंगजेब सर्वाधिक हिन्दू अधिकारीयों की न्युक्ति करने वाला सम्राट था. औरंगजेब का पुत्र अकबर ने दुर्गादास के बहकावे में आकर अपने पिता के खिलाफ विद्रोह कर दिया था.
औरंगजेब ने कुरान को अपने शासन का आधार बनाया था. इसने सिक्के पर कलमा खुदवाना, नवरोज का त्यौहार मनाना, भांग की खेती करना, गाना-बजाना, झरोखा दर्शन, तुलादान प्रथा [इस प्रथा को सम्राट को उसके जन्म दिन पर सोने, चांदी व अन्य वस्तुओं को तौलने की प्रथा थी, यह नकबार के ज़माने में प्रारंभ हुई थी आदि पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था.
औरंगजेब ने दरबार में संगीत की पाबन्दी लगा दी थे तथा सरकारी संगीतज्ञों को को अवकाश दे दिया गया था. भारतीय संगीत शास्त्र परर फारसी की सबसे अधिक पुस्तकें औरंगजेब के ही शासनकाल में लिखी गई थी. औरंगजेब स्वयं वीणा बजने में दक्ष था.
औरंगजेब ने 1665 ई. में हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था. इसके शासनकाल में तोड़े गए मंदिरों में सोमनाथ का मंदिर, बनारस का विश्वनाथ मंदिर व वीर सिंह देव द्वारा जहाँगीर के काल में मथुरा के केशवराय के मंदिर थे.
औरंगजेब की मृत्यु 20 फरवरी 1707 ई. में हुई थी. इसे खुलाबाद, जो अब रोजा कहलाता है, में दफनाया गया था. औरंगजेब के समय सूबों की संख्या 20 थी.
औरंगजेब दारुल हर्ब को दारुल इस्लाम में परिवर्तित करने को महत्वपूर्ण लक्ष्य मानता था. औरंगजेब के शासनकाल में उसकी मुग़ल सेना में सर्वाधिक हिन्दू सेनापति थे. फ़्रांसिसी यात्री फ्रांकोइस बरनीयर औरंगजेब के चिकित्सक थे.