Economic Survey 2025 : सरकार देश की वित्तीय स्थिति से लेकर रोजगार, महंगाई, योजनागत खर्च और आर्थिक विकास से जुड़े आंकड़ों को भी पेश कर सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार यानी आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट (Economic Survey 2025 Report) पेश करेंगी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन की निगरानी में आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार सर्वे रिपोर्ट के जरिए, जहां चालू वित्तीय वर्ष का लेखा-जोखा पेश होगा तो वहीं सरकार भविष्य की अपनी योजनाओं एवं प्राथमिकताओं के बारे में भी जानकारी दे सकती है। यह एक तरह से रिपोर्ट कार्ड होगा, जिसके जरिए सरकार देश की वित्तीय स्थिति से लेकर रोजगार, महंगाई, योजनागत खर्च और आर्थिक विकास से जुड़े आंकड़ों को भी पेश कर सकती है।
सबसे पहले राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा
बजट सत्र के पहले दिन सबसे पहले राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा। उसके बाद दोपहर में वित्तमंत्री इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट पेश करेंगी। सर्वे तीन हिस्सों में कार्यों और उपलब्धियों प्रस्तुत करता है। प्रारंभिक क्षेत्र के तौर पर कृषि और उससे संबंध अन्य क्षेत्र में हुए कार्यों एवं योजनाओं पर हुए खर्च को बताया जाता है। द्वितीय क्षेत्र के तौर पर विनिर्माण क्षेत्र में आने वाले कार्यों को गिनाया जाता है। इसके बाद सर्विस क्षेत्र का नंबर आता है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर लॉजिस्टिक तक की सेवाएं शामिल हैं।
वित्तीय वर्ष 2024-25 की सर्वेक्षण रिपोर्ट में सरकार रोजगार से लेकर अन्य कार्यों को भी अपने रिपोर्ट कार्ड के तौर पर पेश कर सकती है। भविष्य में आर्थिक विकास दर के अनुमान, राजकोषीय घाटे की स्थिति और आधारभूत ढांचे से जुड़ी भविष्य की योजना की भी जानकारी इसमें शामिल हो सकती है।
भविष्य का रोडमैप भी हो सकता है शामिल
सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसको देखते हुए आर्थिक सर्वेक्षण के माध्यम से सरकार भविष्य को लेकर अपनी योजनाओं का रोडमैप भी पेश कर सकती है। संभावना है कि सर्वे में बताया जाए कि किस क्षेत्र पर ज्यादा फोकस करने जरूरत है। किस तरह की योजनाओं को बढ़ाने एवं भविष्य में लाने की जरूरत है। इसके साथ ही वर्तमान में संचालित कौन सी योजनाओं का खर्च बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसलिए भविष्य का रोडमैप भी सर्वेक्षण में शामिल हो सकता है।
क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे पिछले वित्त वर्ष का लेखा-जोखा होता है। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है। ठीक घरों में बनने वाली उस डायरी की तरह, जिसमें साल भर में किए गए खर्च और कमाई को दर्ज करते है।
पिछले सर्वे में क्या निकला
पिछले वित्त वर्ष के लिए भारत का चालू खाता घाटा GDP का 0.7 प्रतिशत था। आर्थिक सर्वे में आगे कहा गया है कि मार्च 2024 के अंत तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वित्त वर्ष 25 के लिए अपने अनुमानित आयात के 10 महीनों और इसके बाहरी ऋण के 98 प्रतिशत को कवर करने के लिए पर्याप्त था।
सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में नेट FDI फ्लो 42 बिलियन डॉलर से घटकर 26.5 बिलियन डॉलर रह गया. हालांकि, सकल FDI प्रवाह FY23 में $71.4 बिलियन से केवल 0.6 प्रतिशत घटकर FY24 में $71 बिलियन से कम हो गया। 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई है। इसके अतिरिक्त, ईपीएफओ के तहत शुद्ध पेरोल वृद्धि पिछले पांच वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है।(एजेंसी)
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