Reduce EMI : कर्ज की किस्त में राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे ग्राहकों का इंतजार और बढ़ गया है। खासकर होम लोन की किस्त फिलहाल कम नहीं होंगी। ग्राहक लोन रीफाइनेंसिंग का विकल्प चुन सकते हैं। इसकी मदद से वे अपनी ईएमआई बोझ कुछ कम कर सकते हैं।
आरबीआई ने लगातार 11वीं बार प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। इससे कर्ज की किस्त में राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे ग्राहकों का इंतजार और बढ़ गया है। खासकर होम लोन की किस्त फिलहाल कम नहीं होंगी। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस स्थिति में ग्राहक लोन रीफाइनेंसिंग का विकल्प चुन सकते हैं। इसकी मदद से वे अपनी ईएमआई बोझ कुछ कम कर सकते हैं।
क्या है लोन रीफाइनेंसिंग
यह विकल्प उन ग्राहकों के लिए सबसे कारगर साबित हो सकता है, जिन्होंने उच्च ब्याज दर पर कोई कर्ज लिया है। इसी बीच उन्हें पता लगता है कि कोई अन्य बैंक उसी कर्ज के लिए कम ब्याज ले रहा है तो वे अपने पुराने कर्ज को नए बैंक में ट्रांसफर करवा सकते हैं। यानी पुराने बकाये कर्ज को चुकाने के लिए उन्हें कम ब्याज दर पर नया कर्ज मिल जाता है।
इसे ही लोन रीफाइनेंसिंग कहा जाता है। इसमें होम लोन, वाहन लोन समेत अन्य कई तरह के कर्ज शामिल हो सकते हैं। नया कर्ज उसी बैंक से या नए बैंक से लिया जा सकता है। चूंकि नए लोन में ब्याज दर कम होती है तो इससे कर्जदार पर ईएमआई का बोझ कम हो जाता है।
अच्छा सिबिल स्कोर होना जरूरी
यह लोन कर्ज लेने वाले ग्राहक के सिबिल स्कोर को देखते हुए कोई बैंक देता है। साथ ही ग्राहक की वित्तीय स्थिति देखते हुए भी बैंक उसे लोन रीफाइनेंस की सुविधा दे सकते हैं। इसके बाद ग्राहक को कम ब्याज दर वाले नए कर्ज का ही पुनर्भुगतान करना पड़ता है।
छोटी अवधि का विकल्प चुन सकते हैं
लोन रिफाइनेंसिंग के तहत कम ब्याज दर और छोटी ईएमआई के अलावा छोटी कर्ज अवधि का फायदा भी मिल सकता है। छोटी लोन अवधि होने से कर्ज जल्दी चुक सकता है। उदाहरण के लिए अगर आपने एक निश्चित अवधि के लिए कोई लोन लिया है तो उसे रीफाइनेंस कराने के बाद आप कम समय में भी उसका भुगतान कर सकते हैं। लोन रिफाइनेंसिंग के जरिए ब्याज पर लंबी अवधि की बचत को बढ़ाया जा सकता है।
उदाहरण से ऐसे समझें
मान लीजिए कि 20 साल के लिए आठ फीसदी सालाना की ब्याज दर पर 50 लाख रुपये का लोन चल रहा है। ऐसे में इस लोन पर कुल 50.37 लाख रुपये का ब्याज होगा। अगर इस लोन को रिफाइनेंस किया जाता है, जिसके तहत ब्याज दर सात फीसदी है तो भुगतान किया जाने वाला कुल ब्याज घटकर 43.03 लाख रुपये पर आ जाएगा। यानी लगभग 7.34 लाख रुपये की बचत होगी।
ऐसे कर सकते हैं आवेदन
रिफाइनेंस के लिए सबसे उस बैंक या वित्त संस्थान से संपर्क करना होगा, जो कम ब्याज दर पर वही लोन उपलब्ध करा रहा हो। नए कर्जदाता की सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होगी। इसके बाद ग्राहक को दो विकल्प मिल सकते हैं। पहले विकल्प में नया बैंक, पुराने बैंक का कर्ज चुकाकर बकाया राशि पर नई ब्याज दर तय कर सकता है।
दूसरा विकल्प यह है कि नया लोन ग्राहक को जारी हो, वह खुद पुराना कर्ज चुकाए। इसके बाद नए कम ब्याज वाली नए कर्ज की किस्त भरे। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों ही विकल्प में पूरी शर्तें समझने के बाद ही फैसला लेना चाहिए।
कब चुन सकते हैं यह विकल्प
- जब बेहतर ब्याज दरें मिल रही हों
- फिक्स्ड से फ्लोटिंग ब्याज दर पर जाना हो
- ग्राहक को कर्ज की अवधि कम करानी हो या बढ़ानी
- अगर ग्राहक को और उधार चाहिए
- यदि बैंक अच्छी सेवा न दे रहा हो
इन बातों का भी ध्यान करें
- नया लोन लेने के लिए प्रोसेसिंग फीस और अन्य शुल्क चुकाने पड़ते हैं।
- पुराने ऋण को जल्दी चुकाने पर कुछ बैंक प्रीपेमेंट पेनल्टी लगाते हैं।
- यदि आप अवधि बढ़ाते हैं, तो कुल ब्याज बढ़ सकता है।
- बार-बार लोन रीफाइनेंसिंग करने से क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।
- नए ऋणदाता की सेवाओं और शर्तों को भली-भांति समझें।
अभी कितनी हैं होम लोन की ब्याज दरें
वर्तमान में, सरकारी बैंकों की होम लोन की ब्याज दरें लगभग 8.35% से शुरू होती हैं और अधिकतम 10.85 फीसदी प्रति वर्ष तक जा सकती हैं। वहीं, निजी बैंकों के मामले में होम लोन दर 8.50% से शुरू होकर अधिकतम 13.30% प्रतिशत तक हो सकती हैं। उधर, ऐसे वित्त संस्थान जो जोखिम उठाते हैं, वे 17 फीसदी तक ब्याज वसूल सकते हैं।(एजेंसी)
ये भी पढ़ें :-
4 thoughts on ““लोन रेट न घटने पर भी, जानें EMI कम करने के 5 तरीके!””
kaatth