बाइबल बांटना धर्मांतरण का प्रलोभन नहीं, धर्मांतरण के आरोपियों को  इलाहाबाद HC ने दी जमानत

जस्टिस अहमद ने कहा कि शिक्षा देना, पवित्र बाइबिल बांटना, बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना, ग्रामीणों की सभा आयोजित करना और भंडारा करना, ग्रामीणों को विवाद न करने और शराब न पीने की हिदायत देना 2021 अधिनियम के तहत प्रलोभन के दायरे में नहीं आता है.

बाइबल बांटना धर्मांतरण का प्रलोभन नहीं, धर्मांतरण के आरोपियों को  इलाहाबाद HC ने दी जमानत

जस्टिस अहमद ने कहा कि शिक्षा देना, पवित्र बाइबिल बांटना, बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना, ग्रामीणों की सभा आयोजित करना और भंडारा करना, ग्रामीणों को विवाद न करने और शराब न पीने की हिदायत देना 2021 अधिनियम के तहत प्रलोभन के दायरे में नहीं आता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा कि पवित्र बाइबल बांटने और अच्छी शिक्षा देने को उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम (UP Anti Conversion Law) के तहत ‘धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन’ नहीं कहा जा सकता है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए कथित तौर पर प्रलोभन देने के दो आरोपियों को जमानत दे दी.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि पवित्र बाइबल बांटने वालों के खिलाफ इस अधिनियम के तहत FIR दर्ज नहीं हो सकती है. जस्टिस शमीम अहमद की बेंच आरोपियों की अपील पर सुनवाई कर रही थी.

क्या है पूरा मामला?

24 जनवरी को अंबेडकर नगर जिले में एक भाजपा पदाधिकारी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने FIR दर्ज की और आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया.

भाजपा नेता ने आरोप लगाया था कि दोनों आरोपी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के लिए प्रलोभन दे रहे हैं.

जस्टिस अहमद ने कहा,

“शिक्षा देना, पवित्र बाइबिल बांटना, बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना, ग्रामीणों की सभा आयोजित करना और भंडारा करना, ग्रामीणों को विवाद न करने और शराब न पीने की हिदायत देना 2021 अधिनियम के तहत प्रलोभन के दायरे में नहीं आता है.”