90 घंटे ड्यूटी पर चर्चा: क्या यह श्रम कानून का उल्लंघन है?

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Discussion on 90 hours duty : यह पहली बार नहीं है जब किसी शख्सियत ने ऐसे विचार व्यक्त किए हैं। यह पूरी बहस 2023 में तब शुरू हुई थी जब इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भारतीयों से वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए अतिरिक्त घंटे काम करने की अपील की थी।

भारत में इन दिनों ड्यूटी ऑवर यानी कि कामकाजी घंटों को लेकर बहस जारी है। लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यम ने 90 घंटे काम करने की सलाह देकर इस बहस को गरमा दिया है। सुब्रह्मण्यम ने उत्पादकता बढ़ाने के लिए लंबे कामकाजी घंटों के विचार का समर्थन किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कर्मचारियों को रविवार को भी काम करना चाहिए।

उन्होंने कर्मचारियों से बातचीत के दौरान कहा, “मुझे खेद है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करा सकता। अगर मैं आपको रविवार को काम करा सकूं, तो मैं और खुश होऊंगा। आप घर पर बैठे क्या करते हो? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक घूर सकते हो?”

यह पहली बार नहीं है जब किसी शख्सियत ने ऐसे विचार व्यक्त किए हैं। यह पूरी बहस 2023 में तब शुरू हुई थी जब इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भारतीयों से वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए अतिरिक्त घंटे काम करने की अपील की थी। उन्होंने 70 घंटे कामकाजी सप्ताह की बात की थी और भारत की प्रगति के लिए इसे आवश्यक बताया था। इसके बाद से इस मुद्दे पर व्यापक बहस चल रही है। कई सीईओ और बॉस इस विचार का समर्थन कर रहे हैं, जबकि आलोचक कार्य-जीवन संतुलन की बहस को आगे बढ़ा रहे हैं।

ऐसे में सवाल यह है कि क्या भारत 70 घंटे कामकाजी सप्ताह में बदलाव कर सकता है? इस संदर्भ में कानून क्या कहता है? आइए जानते हैं।

भारत में कामकाजी घंटों को लेकर कई कानून हैं:

1. न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948: इस अधिनियम के तहत कामकाजी सप्ताह को 40 घंटे या प्रति दिन 9 घंटे तक सीमित किया गया है। इसके अलावा एक घंटे का ब्रेक भी दिया जाता है।

2. कारखाना अधिनियम, 1948: यह अधिनियम कहता है कि अगर एक कर्मचारी प्रति दिन आठ या नौ घंटे से अधिक काम करता है या एक सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करता है तो उसे डबल वेतन दिया जाएगा।

3. दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम (SEA): इस अधिनियम के तहत कामकाजी दिनों के बीच विश्राम अवधि अनिवार्य है।

ऐसे में सवाल यह है कि क्या भारत 70 घंटे कामकाजी सप्ताह में बदलाव कर सकता है? इस संदर्भ में कानून क्या कहता है? आइए जानते हैं।

भारत में कामकाजी घंटों को लेकर कई कानून हैं:

1. न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948: इस अधिनियम के तहत कामकाजी सप्ताह को 40 घंटे या प्रति दिन 9 घंटे तक सीमित किया गया है। इसके अलावा एक घंटे का ब्रेक भी दिया जाता है।

2. कारखाना अधिनियम, 1948: यह अधिनियम कहता है कि अगर एक कर्मचारी प्रति दिन आठ या नौ घंटे से अधिक काम करता है या एक सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करता है तो उसे डबल वेतन दिया जाएगा।

3. दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम (SEA): इस अधिनियम के तहत कामकाजी दिनों के बीच विश्राम अवधि अनिवार्य है।

4. भारत संहिता: यह अधिनियम कर्मचारियों को मानक घंटों से अधिक काम करने की अनुमति देता है, लेकिन कुल कार्य समय (ओवरटाइम सहित) प्रति दिन 10 घंटे से अधिक नहीं हो सकता है।

भारत में भले ही इसको लेकर कानून हैं, लेकिन इन कानूनों का पालन अक्सर सवालों के घेरे में रहता है। कई कंपनियां कर्मचारी कल्याण की अनदेखी करती हैं। फैक्ट्री कर्मचारी की कैटेगरी में नहीं आने वाले व्हाइट-कॉलर कर्मचारी कई बार बिना ओवरटाइम वेतन के 12-14 घंटे तक काम करते हैं। कंपनियां अक्सर कर्मचारियों को अधिकारी या एक्जीक्यूटिव के रूप में श्रेणीबद्ध कर ओवरटाइम नियमों से बचने की कोशिश करती हैं। इस सबके बीच, भारत में नए श्रम कोड की भी योजना बनाई जा रही है। इसके तहत सप्ताह में पांच दिन काम और दो दिनों की छुट्टी अनिवार्य किए जा सकते हैं।(एजेंसी)

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Author: Khulasa Post

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