CG News : "मौत, जीवन का अंतिम सत्य है, कुछ ऐसी ही अनहोनी आरंग में हो गई...
आरंग : कहा जाता है "मौत, जीवन का अंतिम सत्य है। यह कब आ जाए कहा नहीं जा सकता।" कुछ ऐसी ही अनहोनी आरंग में हो गई है। आज सुबह तक भले चंगे थे नवकार ज्वेलर्स आरंग के संचालक अजय कांकरिया।
शकील लोहनी
आरंग : कहा जाता है "मौत, जीवन का अंतिम सत्य है। यह कब आ जाए कहा नहीं जा सकता।" कुछ ऐसी ही अनहोनी आरंग में हो गई है। आज सुबह तक भले चंगे थे नवकार ज्वेलर्स आरंग के संचालक अजय कांकरिया। अपने पिता की अंतिम यात्रा की सूचना सोशल मीडिया पर खुद भी परिचितों और रिश्तेदारों को दे रहे थे। 23 नवम्बर को उनके पिता प्रेम चंद कांकरिया (83 वर्ष) का हृदयाघात से देहावसान हो गया। आज पूर्वान्ह 11 बजे उनकी अंतिम यात्रा सुमन कॉलोनी आरंग से निकाली गई। पिता की जुदाई से अजय कांकरिया (55 वर्ष) को गहरा सदमा लगा। वे अंतिम यात्रा में शामिल भी नहीं हो सके। ज्येष्ठ सुपुत्र अजय का स्वास्थ्य बिगड़ने से उनके अनुज अनिल कांकरिया ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी ।
ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होने पर चिकित्सकों ने अजय को उपचार के लिए रायपुर रेफर कर दिया। जहाँ हृदयाघात हुआ और उपचार के दौरान शुक्रवार 24 नवम्बर की शाम को 'अजय' मौत से हार गए। अजय कांकरिया पीपला फाउंडेशन आरंग के संरक्षक व उदार व्यक्तित्व के धनी थे। मूलतः बालाघाट निवासी अजय की बहुत कम समय में आरंग में पहचान दिन दुखियों के सहयोगी के रूप में बन गई थी। पीपला ग्रुप के हर सेवाभावी कार्य में अग्रणी भूमिका निभाने वाले अजय कांकरिया की मौत की खबर से सभी स्तब्ध हैं। लोग यकीन ही नहीं कर पा रहे हैं कि सक्रिय और हमेशा मुस्कुराते रहने वाले अजय सबको रूला गए हैं।
नेत्र रोग से पीड़ित बेटी के उपचार के लिए पहल करते अजय कांकरिया (फ़ाइल फ़ोटो)
दुधमुंही बच्ची के उपचार का पूरा खर्च उठाकर उसकी जान बचाने, टीबी पीड़ित एक मरीज का आजीवन उपचार कराने, गौसेवा, पौधरोपण, जल संरक्षण, जल जीवन अभियान और अनगिनत समाज सेवा के कार्यों में अजय हमेशा अग्रणी रहे। दानशीलता तो उनके रग-रग में समाया हुआ था। ऐसे व्यक्तित्व का असामयिक निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। पीपला ग्रुप सहित समूचे आरंग में शोक की लहर दौड़ गई है।
अंतिम दर्शन के लिए समाजसेवी बड़ी संख्या में उनके निवास स्थान में जुटने लगे हैं। पिता की चिता की ज्वाला अभी शांत भी नहीं हुई है और बेटे के चल बसने की खबर जिसने भी सुनी बरबस ही यकीन नहीं कर पा रहे हैं। चिर परिचित, मित्रों और परिजनों के आँसू थम नहीं रहे हैं। विधि के विधान के समक्ष नतमस्तक होकर परिजन 25 नवम्बर को सुबह अंतिम संस्कार करने की तैयारी कर रहे हैं। आरंग के मुक्तिधाम में 25 नवम्बर को सुबह 10 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा।