सपा कंपनी की सियासी ज़मीन कांग्रेस ने खींच ली और अखिलेश यादव को पता नहीं चला

देश का सियासी टेम्परेचर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के चलते धीरे-धीरे बढता जा रहा है जैसे-जैसे 2024 नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे ही सियासी घरानों के सरताज़ अपने सर पर मुकुट सजा रहे या सज जाए इसकी जुस्तजू में लग गए हैं।2014 से देश की सियासत ने जो रुख़ अखतियार किया था

सपा कंपनी की सियासी ज़मीन कांग्रेस ने खींच ली और अखिलेश यादव को पता नहीं चला

नई दिल्ली से तौसीफ़ कुरैशी

सपा कंपनी की सियासी ज़मीन कांग्रेस ने खींच ली और अखिलेश यादव को पता नहीं चला,मध्य प्रदेश तो बहाना है मकसद यूपी में मुसलमानों के वोटबैंक को बचाना है

नई दिल्ली। देश का सियासी टेम्परेचर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के चलते धीरे-धीरे बढता जा रहा है जैसे-जैसे 2024 नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे ही सियासी घरानों के सरताज़ अपने सर पर मुकुट सजा रहे या सज जाए इसकी जुस्तजू में लग गए हैं।2014 से देश की सियासत ने जो रुख़ अखतियार किया था उसमें भी बदलाव होने के हालात नज़र आ रहें हैं जैसा कि कहते हैं मोहब्बत और जंग में सब जायज़ है और यह जंग सियासी ज़मीन को बचाने, बढाने या कायम रखने की हो तो ओर भी रोचक बन जाती हैं, क्योंकि इसमें हमले जुबानी होते है इसी सियासी विरासत को बचाने के लिए देश के सबसे बडे़ सूबे यूपी में दो सियासी पार्टियों में अपनी जमीन बचाने और बढ़ाने की जंग अपने पूरे शबाब पर पहुँच गई है सपा कंपनी और कांग्रेस में जुबानी जंग चल रही है इस जंग में किसे फायदा और किसको नुकसान होता दिख रहा है यह विश्लेषण किए जा रहे हैं। लगता है साप कंपनी बहुत बड़े मुगालते में जी रही है उसकी सियासी ज़मीन खिसक भी गईं और उसे पता भी नहीं चला है या पता होकर भी अंजान बन रहे हैं।सपा का यूपी में जनाधार उसका अपना नहीं है उसका सियासी जन्म यूपी में कांग्रेस को खत्म करके ही हुआ था अब कांग्रेस अपने उस जनाधार को पाने के लिए प्रयास कर रही है और इसकी जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष फायर ब्रांड नेता अजय राय ने ली हुईं हैं सामने है सपा कंपनी के मालिक अखिलेश यादव है एक दूसरे पर आरोप प्रतियारोप चल रहें हैं सपा के मालिक अखिलेश यादव कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को चिरकुट कहते हैं और उनके प्रवक्ता वाराणसी का गुंडा कह देते हैं असल मामला बाईस प्रतिशत वोटबैंक को लेकर है मध्य प्रदेश तो बाहना है मकसद यूपी में मुसलमान वोटबैंक को बचाना है।देखा जाए तो सपा ने मुसलमान का सिर्फ इस्तेमाल किया है न कि उसके हितों की रक्षा की उनके पिताजी स्वं मुलायम सिंह यादव जी तो उनके जज्बातों से खिलवाड़ कर सियासत के शीर्ष मुकाम पर पहुँचे और अपने परिवार को सियासत में स्थापित कर गए परंतु मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया जिसकी मुसलमानों में समय-समय पर समीक्षा होती रहती थी या है लेकिन मुसलमानों को ठोस जगह नहीं मिल पा रही थी जिसकी वजह से यूपी में मुसलमान सपा कंपनी के पाले में खडा़ रहता था जबसे कांग्रेस में जान पडती जा रही है तभी से मुसलमान भी अंगडाई लेता दिखाई दे रहा है और यह हालात यूपी में ही नहीं है पूरेदेश का मुसलमान कांग्रेस के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है।सपा कंपनी मुसलमान का नाम तक लेना पसंद नहीं करती हैं टोपी दहाडी वाले से हाथ नही मिलाना चाहतीं और उसका वोट चाहती है CAA-NRC के आंदोलन में शहीद हुए मुसलमानों में से किसी मुसलमान के घर नहीं गए और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं यूपी की प्रभारी श्रीमती प्रियंका गाँधी ने आजमगढ़ में और मुजफ्फरनगर में जाकर दुख जताया व घायलों से भी मिली लेकिन मुसलमानों के स्वयंभू हमदर्द दवाखाने ने कोई सुध नहीं ली 2013 के प्रायोजित दंगों में मुसलमानों के साथ क्या किया गया था अखिलेश यादव की हुकूमत में यह भी याद किया जा रहा है।इस लिए मध्य प्रदेश या अन्य प्रदेशों में सपा कंपनी चुनाव लड़ने की बात करती हैं तो साफ़ तौर पर कहा जा सकता हैं कि भाजपा को लाभ पहुचाने का षड्यंत्र का हिस्सा है।मध्य प्रदेश में अगर सपा प्रत्याशी उतार रही है तो कोई भी यही कहेगा कि यह सेकुलरिज्म को कमजोर करने के लिए सेकुलरिज्म का ही नकाब लगाकर यह सब किया जा रहा है।भाजपा इस बात को लेकर उत्साहित नजर आ रही हैं कि इंडिया गठबंधन में दरार पड़ रही है जबकि सपा अगर इंडिया गठबंधन से अगर बाहर जाती हैं तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि जहाँ नफरत की आंधी ने देश के सियासी ढाचे में बदलाव किया तो एक और काम भी किया है कि देश दो भागों में बट गया हैं एक नफरत की दुकान पर खड़ा है और दूसरा मोहब्बत की दुकान पर खड़ा हो गया हैं तो इससे यही कहा या समझा जा सकता हैं कि देश में दो दलीए व्यवस्था बन गईं है और सही भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सीना ठोक कर अगर कोई दल या नेता खड़ा है तो वह कांग्रेस और राहुल गाँधी ही है जो मोदी की गलत नीतियों का विरोध कर रहा है बाकी किसी दल या नेता में हिमम्त नहीं है कि वह प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आवाज़ उठा ले जब आवाज़ राहुल गाँधी को ही उठानी है तो जनता भी राहुल गाँधी के पीछे जाकर खडी़ हो गई है।असल में अखिलेश यादव भी पिता की राह पर है छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, व राजस्थान में ओवैसी कारगर न होते इसलिए अखिलेश को बीजेपी ने मैदान में उतारा है, गच्चा देना इनका पैदाइसी पेशा है, मुलायम सिंह पूरे जीवन बीजेपी को दूध पिलाते रहे हैं वहीं अखिलेश यादव भी कर रहे हैं, मैं एक अर्से से लिख रहा हूं कह रहा हूं लेकिन मौजूदा वक्त में मीडिया लेफ्ट राइट बची है मध्य मार्ग विलुप्त है इस लिए सच लिखने की किसी में हिम्मत नहीं है।