60-70 हजार रुपए में बिकने वाले स्मार्ट बोर्ड को संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय ने 7 लाख रुपए प्रति पीस में खरीदा।
2022 में संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय ने सात स्मार्ट बोर्ड के लिए चुकाए 50 लाख रुपए।
जेम पोर्टल का दुरुपयोग कर विश्वविद्यालय ने लाखों रुपए के भ्रष्टाचार को दिया अंजाम।
आजाद सेवा संघ ने उजागर किया संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय का लाखों रुपए का भ्रष्टाचार।
संघ ने कुलपति को ज्ञापन सौंपकर जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
CG Breaking News : गैर-राजनीतिक संगठन आजाद सेवा संघ ने सूचना के अधिकार के तहत संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के शिक्षण विभाग द्वारा स्मार्ट इंटरएक्टिव बोर्ड्स की खरीदी की प्रक्रिया का विवरण मांगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय ने 12 अक्टूबर 2022 को निशा साइंटिफिक नामक कंपनी के साथ अनुबंध कर 7 स्मार्ट इंटरएक्टिव बोर्ड्स खरीदे। प्रत्येक बोर्ड की कीमत ₹6,97,857 बताई गई और कुल खर्च ₹48,84,999 हुआ, जिसका भुगतान 4 नवंबर 2022 को किया गया।
यह जांच का विषय बनता है कि इस अनुबंध में कहीं भी खरीदे गए स्मार्ट बोर्ड्स के विशेष विवरण (स्पेसिफिकेशन) का उल्लेख नहीं किया गया है। यह जानकारी उपलब्ध नहीं है कि बोर्ड किस कंपनी का है, उसका आकार कितना है और उसमें कौन-कौन से फीचर्स उपलब्ध हैं। खुले बाजार में उपलब्ध उच्च-गुणवत्ता वाले स्मार्ट इंटरएक्टिव बोर्ड्स, जिनमें उत्कृष्ट फीचर्स होते हैं, अधिकतम ₹2,40,000 की कीमत में मिलते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि जेम पोर्टल का दुरुपयोग कर स्मार्ट बोर्ड्स की कीमत को लगभग तीन गुना बढ़ाया गया।
आजाद सेवा संघ ने इसे छात्र-छात्राओं की अमूल्य निधि का दुरुपयोग और विश्वविद्यालय प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार का गंभीर उदाहरण बताया। संघ ने आरोप लगाया कि संबंधित अधिकारियों ने जेम पोर्टल पर प्रस्तुत निविदा राशि की खुले बाजार में उपलब्ध कीमत से कोई तुलना नहीं की, जो एक जिम्मेदार लोक सेवक का कर्तव्य होता है।
आज, आजाद सेवा संघ के प्रदेश सचिव रचित मिश्रा और छात्र मोर्चा जिला अध्यक्ष प्रतीक गुप्ता के नेतृत्व में संगठन के कार्यकर्ताओं ने संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के कुलपति को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में इस मामले की पूरी जांच कर दोषियों पर उचित कार्रवाई की मांग की गई।
आजाद सेवा संघ ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब विश्वविद्यालय में इस तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। इससे पहले भी उत्तर पुस्तिकाओं की खरीदी में भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। संघ ने कहा कि यह सब दर्शाता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन में गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार हो रहा है।
कुलपति ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच समिति गठित करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।आजाद सेवा संघ ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एक माह के भीतर इस मामले में जांच पूरी कर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो संगठन उग्र प्रदर्शन करेगा।
यह मामला न केवल छात्रों की निधि के दुरुपयोग का है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और ईमानदारी की कमी को भी उजागर करता है। आजाद सेवा संघ ने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और पारदर्शिता सुनिश्चित करें।
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