आत्महत्या करने वाले अतुल सुभाष ने लगाया घूसखोरी का आरोप

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Serious allegations against Judge Rita Kaushik : उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले सॉफ्टवैयर इंजिनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या से सभी स्तब्ध हैं। अपने आखिरी वीडियो में अतुल ने अपनी पत्नी और उसके परिवार को आत्महत्या का जिम्मेदार बताया है। इसके साथ ही उन्होंने फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक पर भी संगीन आरोप लगाए हैं।

उन्होंने अपने वीडियो में बताया है कि जब उन्होंने कोर्ट में आत्महत्या की बात की थी तो जज को इस पर हंसी आ रही थी। इतना ही नहीं, उन्होंने केस को सेटल करने के लिए उनसे 5 लाख रुपये के रिश्वत की मांग की।

UP में दर्ज हुई वो एफआईआर, जिससे शुरू हुआ था बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर Atul  Subhash की प्रताड़ना का दौर - Bengaluru Techie Suicide Case The FIR from  which the harassment of

अतुल ने जज पर उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी अदालत में तारीख के लिए पेशकार को भी घूस देनी पड़ती है। साल 2022 में पेशकार के जरिए उनसे 3 लाख रुपये के रिश्वत की मांग की गई थी। घूस देने से इनकार करने पर कोर्ट ने उनके खिलाफ एलिमनी और मेंटिनेंस का आदेश जारी कर दिया, जिसके तहत उन्हें हर महीने अपनी पत्नी को 80 हजार रुपये देने का फैसला सुनाया गया।

इतना ही नहीं, अतुल ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक ने उन पर 3 करोड़ मेंटिनेंस देने का दबाव भी बनाया। पत्नी को बाहर करके जज ने उनसे अकेले में बात की और 5 लाख रुपये खुद के लिए रिश्वत के तौर मांग की। उन्होंने कहा कि वह 5 लाख रुपये उन्हें दे। वह केस को दिसंबर 2024 में ही सेटल कर देंगी। अतुल सुभाष ने अपने वीडियो में जज पर ऐसे कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

तारीख पर तारीख, घूस पर घूस... डेढ़ घंटे के आखिरी वीडियो में जज, पुलिस और  ससुराल वालों पर क्या-क्या बोले अतुल सुभाष - AI engineer Atul Subhash  suicide video what says ...

कौन हैं रीता कौशिक

रीता कौशिक फिलहाल जौनपुर में प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट की जज हैं। एक जुलाई 1968 को मुजफ्फरनगर में जन्मीं रीता कौशिक ने 20 मार्च 1996 में मुंसिफ के तौर पर अपने न्यायिक सेवा की शुरुआत की थी। 1999 में वह सहारनपुर में जूडिशल मैजिस्ट्रेट रहीं। 2000-2002 तक उन्होंने मथुरा में अडिशनल सिविल जज की जिम्मेदारी संभाली। मथुरा ही में वह सिविल जज बन गईं। 2003 में उनका ट्रांसफर अमरोहा हो गया, जहां वह सिवल जज (जूनियर डिविजन) के तौर पर तैनात रहीं।

2003 से 2004 तक लखनऊ में स्पेशल सीजेएम रहीं। इसके बाद प्रमोट होकर अडिशनल चीफ जूडिशल मैजिस्ट्रेट बन गईं।वह अयोध्या में भी डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज रहीं। इसके बाद साल 2018 में वह पहली बार अयोध्या में ही फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज बनीं। 2022 तक वह अयोध्या में तैनात रहीं। इसके बाद उनका ट्रांसफर जौनपुर में हो गया। तब से वह यहीं पर फैमिली कोर्ट में प्रिंसिपल जज के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।(एजेंसी)

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Author: Khulasa Post

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