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धूमिल के कहे को कल गलत साबित करो उत्तरप्रदेश!!
11-Mar-2022
धूमिल के कहे को कल गलत साबित करो उत्तरप्रदेश!!
(आलेख : बादल सरोज)
कल शाम से कवि धूमिल याद आ रहे हैं।
बनारस और बरेली सहित उत्तरप्रदेश के अनेक जिलों में थोक के भाव ईवीएम मशीनें और कोरे डाक-मतपत्र इधर से उधर किये जाने की आपराधिक हरकतों के लाइव वीडियो सामने आ रहे रहे हैं। इन वीडियो के सामने आने के बाद संबंधित जिलाधीश पूरी बेशर्मी और दीदादिलेरी के साथ जो बोल रहे रहे हैं, वह "ऐसा ही चलेगा, जो किया जाए सो कर लो" के दंभी अहंकार के सिवा कुछ नहीं है। कानपुर के जिलाधीश और पुलिस कमिशनर ने तो मतगणना में विध्वंस (पढ़ें : आपत्ति) करने वालों को गोली मारने के आदेश तक दे दिए हैं। गुजरात की पुलिस के यूपी में लगाए जाने और उन पुलिस वालों के योगी को जीताने के एलान के वीडियो भी सामने आये हैं। इन सबके बीच सबसे रहस्यमयी है केंद्रीय चुनाव आयोग (केंचुआ) की चुप्पी। इतना सब कुछ आने के बाद भी केंचुआ ज़रा सा भी नहीं हिला है। कार्यवाही तो दूर, कोई एडवाइजरी तक जारी नहीं की है। यहां तक कि मुख्य विपक्षी गठबंधन के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा तथ्यों और सबूतों को पेश किये जाने के बावजूद केंचुआ उनका भी संज्ञान लेने की मुद्रा में नहीं आया है। ढीठ इतना बना हुआ है कि इन "आरोपों" का खंडन करने की भी जरूरत नहीं समझी है।
यह अहंमन्यता असाधारण और अभूतपूर्व है। इन दिनों प्रशासनिक अमले की सत्ता पार्टी - खासकर भाजपा - के साथ, उसके हित साधन के लिए की जाने वाले अवैधानिकताएं आम बात हो गयी हैं, मगर संवैधानिक संस्थाओं का इस कदर क्षरण खुद उनके द्वारा हाल में हासिल की गयी नीचाइयों से भी कहीं ज्यादा ही नीचे की बात है। अगर ये गिरोहबंदी अपनी चालों में कामयाब हो जाती है, तो यह सिर्फ लोकतंत्र के लिए नहीं, भारत के लिए बहुत बुरा, बहुत ही अशुभ और अत्यन्त विनाशकारी साबित होगा।
लोकतंत्र के इस ध्वंस की एक निर्धारित और तयशुदा कार्यप्रणाली - मोडस ऑपरेंडी - है। सबसे पहले, जिन्हें उनके निर्बुद्धि भक्तों द्वारा चाणक्य कहा जाता है, वे शकुनि जीतने वाली सीटों की संख्या का एलान करते हैं। मीडिया में बैठी पालतू चीखा बिरादरी उसे दोहराती है, उसके बाद एग्जिट पोल में ठीक वही संख्या बताई जाती है और गिनती के दौरान तिकड़म करके उसे हासिल भी कर लिया जाता है। पिछले विधानसभा चुनावों में बिहार में ऐसा कर चुके हैं, अब उत्तरप्रदेश में यही किये जाने की तैयारी है।
यह उस उत्तर प्रदेश के साथ हो रहा है, जिस उत्तरप्रदेश ने देश का सबसे संवेदनशील चुनाव देखा था। इंदिरा गांधी की एमर्जेन्सी - आपातकाल - में हुआ यह चुनाव भी 1977 में मार्च महीने में ही हुआ था और यही उत्तरप्रदेश था, जिसने उस वक़्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कई मायनो में उनसे भी अधिक ताकतवर माने जाने वाले संजय गांधी तक को हरा दिया था। यही उत्तरप्रदेश था, जिसने 1971 के गोरखपुर के उपचुनाव में तब के महंत अवैद्यनाथ के घनघोर समर्थन और अपनी सीट खाली किये जाने के बावजूद तब के सत्तासीन मुख्यमंत्री टी एन सिंह को हरा दिया था। यह उत्तरप्रदेश ही था, जिसने सवर्णवादी हरम में कैद राजनीति को बाहर निकालकर एक दलित युवती (भले बाद में अपने मायामोह के चलते उन्होंने उत्तरप्रदेश को शर्मसार किया) को शीर्ष पर बिठाया था।
आज लोकतंत्र के जन्मना शत्रु उसी उत्तरप्रदेश को जीभ चिढ़ा रहे हैं, अंगूठा दिखा रहे हैं - अब यह उत्तरप्रदेश को तय करना है कि वह इस ठगी का जवाब किस तरह देता है। लोकतंत्र डरे हुए लोगों के लिए नहीं होता - लोकतंत्र हासिल करने के लिए लड़ना पड़ता है, उसके बाद उसे बचाने के लिए भी लड़ना पड़ता है। कल यदि वोट चुराने और जनादेश पर डकैती डालने का कुकृत्य होता है, तो उत्तरप्रदेश को "इस क़दर कायर हूँ, कि उत्तर प्रदेश हूँ" लिखने वाले धूमिल को गलत साबित करना होगा। उनकी इसी कविता को थोड़ा बदल कर याद करना होगा कि :
"जब ढेर सारे दोस्तों का ग़ुस्सा
हाशिए पर
चुटकुला बन रहा है
क्या तुम व्याकरण की नाक पर
रूमाल लपेटकर
निष्ठा का तुक
विष्ठा से मिला डोज?
आपै जवाब दो
आख़िर क्या करोगे ?"
यूपी को बताना होगा कि वह इन साजिशों का उत्तर दे सकता है - इसीलिए वह उत्तरप्रदेश है।
(लेखक लोकजतन के संपादक और अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव हैं। संपर्क : 094250-06716)
मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन नेता पर लोगों के एक समूह ने हमला किया
07-Mar-2022रविवार को अहमदाबाद के बाजार में एक लड़ाई में हस्तक्षेप करने के बाद एक अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन नेता पर लोगों के एक समूह ने हमला किया और घायल कर दिया।
सियासत डॉट कॉम हिंदी की खबर के अनुसार शमशाद पठान, जिन्हें हाल ही में एआईएमआईएम की गुजरात इकाई का उपाध्यक्ष बनाया गया था, को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत स्थिर है।
“गुर्जरी बाजार में एक लड़ाई में हस्तक्षेप करने पर चार लोगों द्वारा कुदाल से हमला किए जाने के बाद पठान घायल हो गए। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दो लोगों को मामूली चोटें आई हैं। एक फैजू बाबू और उसके सहयोगी कथित रूप से शामिल हैं और एक प्राथमिकी दर्ज की जा रही है, ”रिवरफ्रंट (पूर्व) के पुलिस निरीक्षक विजयसिंह जाला ने कहा।
पेशे से वकील पठान ने संवाददाताओं से कहा कि फियाजू बाबा और अन्य कुछ लोगों की पिटाई कर रहे थे और जब उन पर हमला किया गया तो उन्होंने उन्हें रोकने के लिए हस्तक्षेप किया था।
शिवरात्रि पर स्वामी दयानंद की कथा और आर्य समाज की शोकांतिका!!
03-Mar-2022लेख- बादल सरोज
शिव का व्यक्तित्व हमेशा आकर्षित करता है। वे अकेले अनार्य देवता है, जिनकी ठसक इतनी जोरदार और आदिम समाज के जमाने से जमी जड़ें इतनी मजबूत थी कि लिखा-पढ़ी में उनकी निंदा और भर्त्सना करने वाले आर्यों को भी उन्हें न केवल स्वीकार करना पड़ा, बल्कि महा-देव की पदवी देने के लिए भी मजबूर होना पड़ा। मगर इसके बावजूद शिवरात्रि पर शंकर की नहीं, मूलशंकर (दयानन्द सरस्वती) की याद आती है। एक तो इसलिए कि पूरी स्कूली पढ़ाई लश्कर ग्वालियर के डीएवी (शुरुआत में डीएवी का मतलब दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालय हुआ करता था - बाद में ये दयानन्द आर्य विद्यालय हो गए ) स्कूल में की, जहां परीक्षा में आर्य समाज के दो नियम अनिवार्यतः पूछे जाते थे और सही बताने पर 4 नंबर मिला करते थे। उसी दौरान 'सत्यार्थ प्रकाश' पढ़ा। इसलिए भी कि बाद में सनातनी हो गए इकलौते मामा ने अपने साधू जीवन की शुरुआत आर्यसमाजी होकर की थी। इस आर्यसमाज की स्थापना का कारण शिवरात्रि थी, क्योंकि इसी पर्व पर धर्मालु बालक मूलशंकर का मोहभंग हुआ था, जब उन्होंने देखा कि शिव पर चढ़े प्रसाद को चूहे खा रहे हैं। उन्होंने सोचा कि जो ईश्वर स्वयं को चढ़ाये गये प्रसाद की रक्षा नहीं कर सकता, वह मानवता की रक्षा क्या करेगा? इस बात पर उन्होंने अपने पिता से बहस की और तर्क दिया कि हमें ऐसे असहाय ईश्वर की उपासना नहीं करनी चाहिए।
यही से शुरू हुयी वह जिज्ञासा, जिसे आगे बढ़ाते हुए मूलशंकर दयानन्द सरस्वती बने। शुरुआत उन्होंने उसी हिंदू धर्म में फैली बुराइयों व पाखंडों के खंडन से की, जिस हिंदूधर्म में उनका जन्म हुआ हुआ था। मगर वे यहीं तक नहीं रुके। उन्होंने सभी धर्मों में फैली बुराइयों का विरोध किया, चाहे वह सनातन धर्म हो या इस्लाम हो या ईसाई धर्म हो। उन्होंने जातिप्रथा को भी अस्वीकार किया और इस तरह वे सिर्फ एक धर्म सुधारक बन कर नहीं रहे, एक तरह के सामाजिक सुधार की प्रक्रिया भी शुरू की, जिसने अपनी अनेक सीमाओं के बावजूद भारत में - विशेषकर हिमालय से विंध्य तक के भारत में - काफी हद तक सामाजिक जड़ता तोड़ी। उस जमाने में यह बहुत आगे की बात थी। आज के जमाने में भी यह कम मुश्किल नहीं होता -- क्या पता वे भी यूएपीए की राष्ट्रद्रोह की धारा में किसी कारागार में बंद तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीखें गिन रहे होते।
बहरहाल यहां प्रसंग स्वामी दयानन्द सरस्वती (1824-1883) की जीवनगाथा नहीं, उनके द्वारा खड़े किये गए आर्यसमाज की शोकांतिका है। कहां गया आर्य समाज? एक जमाने में पूरे उत्तर भारत में जिस आर्य समाज ने सनातनियों को शास्त्रार्थ में निरुत्तरित और हक्का बक्का करके पीछे छोड़ दिया था, आज उन्ही सनातनियों ने, बिना डकार लिए, आर्यसमाज को गड़प कर लिया है। मूर्तिपूजा को मनुष्यता की गरिमा गिराने वाला बताने वाले आर्य संस्थान, उनके विद्यालय और उनके अनुयायी "रामलला हम आएंगे - मंदिर वही बनायेंगे" का राग अलाप रहे हैं। संघियों के कब्जे में पहुँच कर पूरे प्राणपण से सनातन धर्म की पुनर्प्राणप्रतिष्ठा में लीन हैं। पिछले दिनों इन्ही ने रामकृष्ण परमहंस द्वारा स्थापित और स्वामी विवेकानंद द्वारा परिवर्धित और परिमार्जित नव वेदांती दर्शन की इस प्रतिष्ठित संस्था रामकृष्ण आश्रम के कर्नाटक केंद्र पर हल्ला बोल दिया था, क्योंकि इस आश्रम के स्वामी भावेशानंद ने कह दिया था कि "हिजाब को लेकर कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में फैलाया जा रहा हानिकारक विवाद अनावश्यक है, यह शांति और सद्भाव के हित में नहीं है। इसे लेकर कर्नाटक के समाज जो विद्वेष पैदा किया जा रहा है, वह खराब बात है, यह सबके लिए अहितकारी है।"
आर्य समाज का विलुप्त हो जाना या रामकृष्ण आश्रम को निशाने पर लेना अनायास नहीं है, ना ही यह सिर्फ एक मुद्दे पर दृढ़ राय देने की वजह से आयी उन्मादियों की प्रतिक्रिया है। यह उस राजनीतिक महापरियोजना को लागू करने की साजिश का एक और चरण है, जिसका अंतिम लक्ष्य भारत में सनातन धर्म पर आधारित हिन्दू-राष्ट्र की स्थापना करना है। इस महा परियोजना की एक क्रोनोलॉजी है - शेष सभी धर्म, स्वयं हिन्दू धर्म के मत, पंथ, सम्प्रदाय, दर्शन, विचार और परम्पराओं का खात्मा इसका मिशन है।
सनातन धर्म में सनातन क्या है, इसे आज तक कोई सनातनी भी नहीं समझ पाया है। अब जब खुद ही नहीं समझ पाया, तो बाकियों को समझाने का सवाल उठाने का तो सवाल ही नहीं उठता!! यूं तो उनके दोनों ही ब्रह्मसूत्र - हिन्दू और सनातन - रचे और गढ़े शब्द हैं। हिन्दू शब्द की तो व्युत्पत्ति ही देशज नहीं है। इसी तरह कोई साफ़-साफ़ परिभाषित, सर्वस्वीकार्य प्रथाओं, प्रणालियों वाला कोई सनातन तो छोड़िये, हिन्दू धर्म भी नहीं हैं। डॉ आंबेडकर अपनी किताब "रिडल्स ऑफ़ हिन्दुइज्म" (हिन्दू धर्म की पहेलियाँ) की 24 गुत्थियों में यह सवाल बहुत साफ़-साफ़ 1955 के नवम्बर में ही उठा चुके हैं, जिसका कोई तार्किक या अतार्किक जवाब पिछले 66 वर्षों में नहीं आया। एक-दूसरे से असहमत और विरोधी बीसियों पंथ, सैकड़ों सम्प्रदाय, हजारों प्रथाओं, दसियों हजार मत और अनगिनत अंतर्धाराओं वाले हिन्दू धर्म की विशेषता उसकी असीमित विविधता ही है। यदि वैदिक धर्म को ही हिन्दू धर्म मानने की कुछ लोगों की हठ को मान भी लें, तो उसमे भी 4 वेद, 14 ब्राह्मण ग्रन्थ, 7 अरण्यक, 108 उपनिषद और 18 पुराण हैं। इनमें से दर्शन, ईश्वर और पूजा पाठ प्रणाली के मामले में भी कोई भी एक-दूसरे के मत का समर्थन नहीं करता -- बल्कि भिन्न, यहां तक कि प्रतिकूल और विपरीत राय देता है। जिनकी गीता को सनातनी अपने धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक बताने पर इन दिनों आमादा-ए-फसाद रहते हैं, वे कृष्ण भी कह गए हैं कि "धर्म वह है, जो परिस्थितियों और समय के हिसाब से बदलता रहता है -- जो नहीं बदलता है, वह अधर्म है।" इस तरह किसी धर्म के सनातन होने का दावा ही धर्मसम्मत नहीं बैठता। हिन्दू धार्मिक परम्पराओं में यदि कुछ सनातन है, तो वह अंतर्विरोधों और असहमतियों की निरंतरता ही है।
शोषण के कारगर औजार के रूप में गढ़े गये वर्णाश्रमी ब्राह्मणवादी धर्म के द्वारा समाज पर थोपी गयी जड़ता के विरूद्ध उपजा अंतर्विरोध और दर्शन तथा धर्म की भाषा में उसकी अभिव्यक्ति तथा उसके खिलाफ हुआ संघर्ष ही था, जो पर भारत में अलग-अलग दार्शनिक परम्पराओं और उनके आधार पर नए-नए धर्मों के अस्तित्व में आने का कारण बना। लोकायत की समृद्ध परम्परा के अलावा जैन और बौद्ध और सबसे ताजा सिख धर्म इसी ऐतिहासिक संघर्ष के परिणाम थे। आर्यसमाज भी इनमे से एक था। इन सबने अपने-अपने कालखंड में भारतीय समाज की जड़ता को तोड़ा, नतीजे में समाज ने आगे की तरफ प्रगति की। विज्ञान, गणित, कला, स्थापत्य, चिकित्सा विज्ञान, भाषा, व्याकरण, कृषि तथा व्यापार के क्षेत्रों में तेजी के साथ नयी खोजें, आविष्कार और अनुसंधान हुए। आरएसएस जिस सनातन धर्म की स्थापना की बात करता है, वह भारतीय परंपराओं के इस पूरे विकास क्रम और इस तरह खुद हिन्दू धर्म का निषेध है। उनका सनातन धर्म शुद्ध अर्थों में मनुस्मृति, गौतम स्मृति और नारद संहिताओं जैसी गैर-दार्शनिक और अधार्मिक किताबों में लिखी यंत्रणापूर्ण समाज व्यवस्था और सती प्रथा जैसी बर्बरताओं की बहाली है और इस तरह कुछ हजार वर्षों के मंथन तथा संघर्षों के हासिल को छीनकर भारत को एक घुटन भरे बंद समाज में बदल देने की महा परियोजना है। स्वयं निजी जीवन में नास्तिक सावरकर और आरएसएस के गुरु कहे जाने वाले गोलवलकर सहित संघ के अनेक सरसंघचालक इसे लिखा-पढ़ी में कह चुके हैं।
यह दुष्ट परियोजना ब्राह्मणवादी धर्म की यातनापूर्ण जकड़न के खिलाफ हिन्दू परम्पराओं के भीतर पिछली कई सदियों में चले ब्रह्म समाज, आर्यसमाज जैसे सुधारवादी आंदोलनों तथा राजा राम मोहन राय, स्वामी विवेकानंद जैसे सुधारवादियों का भी नकार है। इस तरह कुल मिलाकर यह धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में ऐसी प्रतिक्रांति है, जिसके बाद कुछ भी साबुत नहीं बचने वाला है।
जाहिर है कि यह सब कर पाना बहुत सहज और आसान नहीं होगा। इसलिए उनके निशाने पर वह सब हैं, जो उनकी कूपमंडूकता और प्रतिगामिता को चुनौती देते हैं। भारत की जमीन पर जन्मे सबसे प्राचीन नास्तिक दर्शन - जैन धर्म - को वे पिछले कुछ दशकों में लगभग हजम कर चुके हैं। बुद्ध थोड़े ज्यादा ही कठिन हैं - उनके मठों, विहारों, ग्रंथों का ध्वंस करने, भिक्खुओं और बौद्ध अनुयायियों के सर कलम करने और ऐसा करते हुए जिस देश में यह धर्म पैदा हुआ और दुनिया का तीसरा बड़ा धर्म बना, उसे उसी देश में खत्म करने की बर्बरता और खुद गौतम बुद्ध को विष्णु के अवतारों में शामिल करने की चतुराई के बावजूद उन्हें पचा पाना मुश्किल है। इसलिए वे अब भी उसके खिलाफ मोर्चा खोले रहते हैं। उनका प्रचार है कि "बुद्धिज्म एक राष्ट्रविरोधी, मूर्खतापूर्ण और भारत विरोधी धर्म है" और यह भी कि "भारत के दुर्दिनों के लिए यह धर्म जिम्मेदार है। अशोक के बौद्ध बनने के बाद से उनके अहिंसा के प्रचार के कारण भारत पर विदेशी हमले बढे और यूनानियों ने वैदिक धर्म पर हमले कर उसे नुकसान पहुंचाया।"
अलग तीव्रता के साथ यही रुख सिख धर्म के प्रति है। यही लोग पंजाब में 1961 की जनगणना के समय पंजाबी की जगह हिंदी को मातृभाषा लिखवाने की विषाक्त मुहिम चलाकर एक तरफ हिन्दू और सिखों के बीच खाई खोदते रहे हैं, दूसरी तरफ सिख धर्म को हिन्दू धर्म का ही एक अंग बताते रहे हैं। बंगाल और दक्षिण के मजबूत सुधार आंदोलनों के प्रति इनकी नफ़रत ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति को तोड़े जाने और केरल में जनप्रिय राजा बाली के बरक्स उन्हें ठगकर मारने वाले वामन की पुनर्प्राणप्रतिष्ठा की मुहिम में देखी जा सकती है। अब वे विवेकानंद के रामकृष्ण आश्रम के खिलाफ आये हैं।
ठीक यही वजह है कि शिवरात्रि के दिन हमें शिव से ज्यादा स्वामी दयानन्द सरस्वती याद आ रहे हैं।
कुछ बातों का अगर ध्यान नहीं रखते हैं तो इससे आपका इम्यून सिस्टम ख़राब हो सकता है ?
02-Mar-2022कुछ बातों का अगर ध्यान नहीं रखते हैं तो इससे आपका इम्यून सिस्टम ख़राब हो सकता है ?
अगर आप नाशता करते हैं और कुछ बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो इससे आपका इम्यून सिस्टम ख़राब हो सकता है। आज हम आपकी कुछ ऐसी ख़राब आदतों के बारे में बताएंगे जो आपकी इम्यूनिटी को कमज़ोर कर सकती हैं। आपको आज से ही इन आदतों को सुधारने की ज़रूरत है।
साल के ठंडे महीनों में शरीर को गर्म कपड़ों से ढंकना ज़रूरी है, वैसे ही हर मौसम में अपने इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाए रखना भी उतना ही ज़रूरी है। ताकि आप फ्लू और संक्रमण से लड़ सकें। कुछ सप्लीमेंट और व्यायाम जैसी चीज़ें आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद कर सकती हैं, लेकिन आपके द्वारा चुनी गई खाने की आदतें आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली की ताक़त में भी एक बड़ा बदलाव लाती हैं। वास्तव में, नाश्ते की आपकी कुछ आदतें भी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को इस तरह से प्रभावित कर सकती हैं, जिसका आपको अंदाज़ा नहीं होगा। कुछ ब्रेकफास्ट हैबिट्स आपके इम्यून सिस्टम को सुधार भी सकती हैं और बर्बाद भी कर सकती हैं।
1. बहुत अधिक चीनी का सेवन
नाश्ता मानव शरीर के इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाए रखने का सबसे अच्छा माध्यम है। नाशता आपकी प्रतिरक्षा को मज़बूत करने में आपकी मदद करता है। जब नाशता इतना ज़्यादा महत्वपूर्ण है तो आपको नाशते में ली जाने वाली चीज़ों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। आपको यह नोटिस करना चाहिए कि आप उस भोजन में कितनी चीनी का सेवन कर रहे हैं। शुगर वाले अनाज, पेस्ट्री, पेनकेक्स और वफल जैसे ब्रेकफास्ट सभी एक्स्ट्रा शुगर से भरे होते हैं। समय के साथ बहुत अधिक चीनी का सेवन आपके श्वेत रक्त कोशिकाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, जो आपके शरीर की कोशिकाएं हैं।
2. संतरे का जूस ज़रूर पिएं
सिर्फ इसलिए कि आप एक्स्ट्रा शुगर से बचने की कोशिश कर रहे हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आपको फलों और जूस जैसी चीज़ों से नेचुरल शुगर को छोड़ना होगा। जब लोग अपने अतिरिक्त चीनी का सेवन सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं, तो वे अपने नाश्ते के साथ 100 प्रतिशत संतरे का रस पीना छोड़ सकते हैं। जबकि ऐसा करने सही नहीं माना जाता है। संतरे का रस आपकी इम्यूनिटी के लिए कमाल कर सकता है। इसका सेवन न छोड़ें।
3. पर्याप्त विटामिन ज़रूर लें
विटामिन डी आपके इम्यून सिस्टम को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। जब आप अपना नाश्ता तैयार कर रहे हों तो ग़लती से इस महत्वपूर्ण पोषक तत्व को छोड़ना आसान हो सकता है। सैल्मन, ओटमील, अंडे, दूध और कुछ जूस जैसे फूड्स विटामिन डी के महान स्रोत हो सकते हैं इनका सेवन करना न छोड़ें।
4. प्रोटीन लेना न भूलें
हेल्दी इम्यून सिस्टम को बनाए रखने के लिए प्रोटीन एक और महत्वपूर्ण घटक है, इसलिए नाश्ते के लिए पर्याप्त मात्रा में लेना महत्वपूर्ण ह। नाश्ते की पेस्ट्री या फ्रेंच टोस्ट जैसे कई ब्रेकफास्ट फूड्स कार्ब्स (कार्बोहाइड्रेट) से भरे होते हैं लेकिन प्रोटीन में काफ़ी कम होते हैं। इसलिए अंडे, दूध और यहां तक कि टोफू जैसे प्रोटीन से भरपूर फूड्स को अपने ब्रेकफास्ट रूटीन में शामिल करें।
5. फास्ट फूड खाने से बचें
नाश्ते के लिए फास्ट फूड्स खाना आपकी प्रतिरक्षा पर क़हर बरपा सकता है। निश्चित रूप से फास्ट फूड बेहद सुविधाजनक हो सकता है, लेकिन इसे नमक से भी भरा जा सकता है। चूंकि हाई सोडियन वाली डाइट को कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली से जोड़ा गया है, इसलिए बहुत अधिक सोडियम के बिना बने फूड्स का सेवन करना ज़रूरी है। (RZ)
रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 15 पैसे बढ़कर 74.92 पर
31-Jan-2022घरेलू शेयर बाजारों में सुधार से सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 15 पैसे बढ़कर 74.92 पर पहुंच गया।
हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और अमेरिकी मुद्रा में मजबूती के बीच रुपये में तेजी सीमित रही।
इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दिन में बाद में आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 पेश करेंगी।
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा में, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.97 पर खुला, फिर पिछले बंद से 15 पैसे की वृद्धि दर्ज करते हुए 74.92 के उच्च स्तर पर पहुंच गया।
पिछले सत्र में, रुपया ग्रीनबैक के मुकाबले 75.07 पर बंद हुआ था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली के मुताबिक, मंगलवार को केंद्रीय बजट पेश होने से पहले रुपया 74.80 से 75.40 के बीच रहने की उम्मीद है।
भंसाली ने कहा कि बाजार अब केंद्रीय बजट, बैंक ऑफ इंग्लैंड और यूरोपीय सेंट्रल बैंक की बैठकों और अंत में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक को आगे के संकेतों के लिए देख रहा है।
डॉलर इंडेक्स, जो छह मुद्राओं की एक टोकरी के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत का अनुमान लगाता है, 0.13 प्रतिशत की गिरावट के साथ 97.14 पर कारोबार कर रहा था।
घरेलू इक्विटी बाजार के मोर्चे पर, 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 838.6 अंक या 1.47 प्रतिशत बढ़कर 58,038.83 पर कारोबार कर रहा था, जबकि व्यापक एनएसई निफ्टी 251.10 अंक या 1.47 प्रतिशत बढ़कर 17,353.05 पर कारोबार कर रहा था।
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 1.24 प्रतिशत बढ़कर 91.15 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
विदेशी संस्थागत निवेशक शुक्रवार को पूंजी बाजार में शुद्ध विक्रेता थे, क्योंकि उन्होंने स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, 5,045.34 करोड़ रुपये के शेयर उतारे।
आसनसोल रेलवे स्टेशन बना रणक्षेत्र (video)
20-Jan-2022आसनसोल स्टेशन के बाहर ऑटो चालकों के दो गुटों में जमकर मारपीट। मारपीट में कई घायल। बताया जाता है कि आटो चालके एक गुट लाठी डंडा लेकर स्टेशन के बाहर आटो स्टैंड में आया। इस दौरान उनलोगों पर स्टेशन के चालकों पर हमला करने का आरोप लगा है।
बताया जाता है कि आटो चालकों के बीच कुछ दिनों पहले पैसेंजर को लेकर विवाद हुआ था जिसके कारण आज दोनों स्टैंड के चालकों के बीच मारपीट हुई है।
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भाटपाड़ा में तृणमूल नेता पर चली गोली(video)
20-Jan-2022पश्चिम बंगाल : राज्य पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के भाटपाड़ा पालिका के 6 नंबर वार्ड इलाके में तृणमूल नेता असीम राय को लक्ष्य कर गोली चलाई गई। हालांकि गोली लक्ष्यभ्रष्ट हो गई। इससे वे बाल- बाल बच गए। इसके बाद अभियुक्तों ने बंदूक की बाट से मारकर उनका सिर फोड़ दिया। घटना को लेकर इलाके में भारी तनाव व्याप्त है। इसकी शिकायत भाटपाड़ा थाने में दर्ज करवाई गई है। फिलहाल पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। साथ ही इलाके में नजर बनाए रखी हैं।
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टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने महेश अग्रवाल को कोलकाता से किया गिरफ्तार(video)
20-Jan-2022इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है कि नक्सलियों को टेरर फंडिंग करने के आरोप में एनआईए ने आधुनिक पावर के पूर्व एमडी महेश अग्रवाल को कोलकाता से गिरफ्तार किया है। एनआईए ने यह नहीं बताया कि महेश अग्रवाल को कहां रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक एनआईए के अधिकारी महेश अग्रवाल से अज्ञात स्थान पर पूछताछ कर रहे हैं।
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साल्टलेक में अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का फंडाफोड़, 9 गिरफ्तार (video)
20-Jan-2022पश्चिम बंगाल : पश्चिम बंगाल की साइबर पुलिस ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का फंडाफोड़ करते हुए 9 साइबर अपराधियों को शिकंजे में ले लिया। इन आरोपियों पर विदेशी नागरिकों को तकनीकी सहयोग के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप है। साइबर क्राइम पुलिस ने 9 संदिग्धों को साल्टलेक के एएल ब्लॉक से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में अंब्रानिल बोस रॉय चौधरी उर्फ राहुल (27), सैयद एजाज हुसैन (27), तैफुर खान (31), कासिफ अली शेख (36), अयाज अफरोज खान (34), निखिल सेठी (23), सैयद राफेल अली (21), 34), निखिल सेठी (23), सैयद राफेल अली (21), मोहम्मद हबीबुल्लाह (34) और सुनील कुमार पाध्या (29) शामिल हैं। विधाननगर साइबर क्राइम पुलिस ने एएल ब्लॉक के कॉल सेंटर से 30 कंप्यूटर, 13 मोबाइल फोन, 3 राउटर, 3 हार्ड डिस्क, 1 कार और सर्वर बरामद किया है। आरोपियों को आज ही अदालत में पेश किया जाएगा और जेल हिरासत की फरियाद की जाएगी।
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