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- » छत्तीसगढ़ समाचार» बारूदी सुरंग के हमलों से कैसे निपटे पुलिस ? एंटी माईंस व्हीकलें नकारा हो रहीं
सुधीर जैन की रिपोर्ट
जगदलपुर । बस्तर पुलिस के लिए नक्सलियों की बारूदी सुरंग विस्फोट के हमले सिरदर्द बने हुए हैं, क्योंकि ऐसे हमलों से क्षति भी ज्यादा होती है और विस्फोट बाद बदहवास में पुलिस बल इनका प्रतिरोध भी नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि नक्सली अपने नापाक मंसूबों में कामयाब होते जा रहे हैं। बारूदी सुरंगों को नाकाम करने की आज पर्यंत कोई स्थायी तथा कारगर तरकीब भी नहीं ढूंढी जा सकी है। दम तोड़ती एंटी माईंस व्हीकलें भी बस्तर में नकारा सिद्ध हुई हैं। शायद इसीलिए नक्सली बुलंद हौसलों से मुख्य मार्गों तक बेखौफ घुसपैठ बढ़ाकर खून-खराबा किए जा रहे हैं।
पूर्व में नक्सली कच्ची सडक़ों पर ही बारूदी सुरंगे बिछाकर वारदात को अंजाम दिया करते थे, किंतु अब उन्होंने एक विशेष किस्म की मशीन के जरिए पक्के डामरीकृत मार्गों में सुरंगे बिछाने का काम शुरू कर दिया है। इस मशीन से सडक़ के एक छोर से दूसरे किनारे तक, जमीन की सतह से पांच-सात फुट नीचे सुरंग खोदकर, मशीन के सहारे आसानी से बारूद दबा दिया जाता है। इस तकनीक से सुरंग बिछाए जाने से सडक़े खराब भी नहीं होतीं और सुरंगें रोड ओपनिंग पार्टी के नजर में भी नहीं आ पातीं।
हाल ही में सुकमा जिले में एक के बाद एक हुई लगातार बारूदी सुरंग विस्फोट की घटनाओं ने पुलिस की नींद ही उड़ा दी है। पुलिस चिंतित है कि नक्सलियों की इस कुटिल चाल का हल कैसे ढूंढा जाए और वह इसका तोड़ निकालने की जुगत में जुट गई है। सडक़ों को लगातार निशाना बनाए जाने के पीछे नक्सलियों की यह मंशा झलकती है कि, वे इन मार्गों में आवाजाही प्रतिबंधित करना चाहते हैं, ताकि वे अपनी गैर कानूनी गतिविधियां बेरोकटोक जारी रख सकें। हालांकि पुलिस सर्चिंग तथा अन्य कानूनी प्रक्रियाओं के निष्पादन के लिए पूर्णतया ऐहतियात बरतते हुए ज्यादातर पैदल मार्च ही किया करती है, बावजूद सडक़ों पर हो रहे सिलसिलेवार धमाकों ने, पुलिस की कार्यप्रणाली में नए सिरे से समीक्षा करने के लिए विवश कर दिया है।
दरअसल जिला मुख्यालय का, अंदरूनी नक्सल प्रभावी इलाकों से संपर्क विच्छेदकर नक्सली यहां अपना एकछत्र साम्राज्य कायम रखना चाहते हैं। यातायात का दबाव, पुलिस व सुरक्षा बलों की आमदरफ्त ज्यादातर सडक़ मार्गों से ही होती है, इसीलिए नक्सली सडक़ों पर दहशत फैलाने के लिए अपनी तमाम उर्जा खपा रहे हैं। नित नई व्यूह रचनाओं से पुलिस बलों पर कातिलाना हमले कर रहे नक्सली, दरअसल बस्तर की शांति प्रक्रिया के परखच्चे उड़ाने पर आमादा हैं। इसी तारतम्य में संगठनात्मक ढांचे में व्यापक फेरबदल करते हुए नक्सलियों द्वारा आतंकी हरकतें तेज करने की रणनीति तैयार की गई है।
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