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- » छत्तीसगढ़ समाचार» कांग्रेस की आंधी ने बेड़ा गर्क कर दिया भाजपा का
सुधीर जैन
जगदलपुर । छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव परिणामों ने यह साफ कर दिया है कि मतदाता ने बड़ी सूझबूझ का परिचय देते हुए भाजपाईयों को हवा में उडऩे की बजाय जमीन पर चलने का सबक सिखाया है। चुनाव नतीजों ने भाजपा का यह दर्पदमन कर दिया है कि, हम तो सत्ता में आ ही रहे हैं। प्रदेश में भाजपा ने चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़ कर खर्च किया और कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ दिया था। इन चुनावों को भाजपाई दिग्गज नेता जनादेश की संज्ञा देते नहीं थकते थे, उनकी अब बोलती बंद है। मतदाता ने उन्हें ऐसी पटखनी दी है कि उनके पास बगलें झांकने के अलावा और कोई रास्ता नहीं रह गया है।
ये रहे भाजपा की हार के अहम कारण
दरअसल प्रदेश में भाजपा की जो अधोगति हुयी है, उसके पीछे एक नहीं अनेक कारण हैं, जिनमें कुछ राष्ट्रीय मुद्दे हैं, तो कई प्रादेशिक। जीएसटी ने जहां व्यापारियों की कमर तोड़ दी है, वहीं नोटबंदी व कमर तोड़ महंगाई से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विकास कार्यों में भ्रष्टाचार सिर चढक़र बोलता रहा। शराब ठेकेदारों की नसबंदी कर, सरकार शराब बेचती रही। सरकारी अमला अपनी समस्याओं की दुहाई देते-देते थक गया था। बोनस से वंचित, किसान अपनी सुविधाओं का मोहताज बना रहा। अपने नेताओं के अहंकार तथा आमजनों व कार्यकर्ताओं से दुव्र्यवहार को, भाजपाई सत्ता के नशे में इतने मदमस्त थे, कि देखना ही मुनासिब नहीं समझा। इन्हीं सब कारणों नेे भाजपा का बेड़ा गर्क करके रख दिया।
भाजपा को चिंतन-मनन करना होगा
प्रदेश में मतदाताओं ने एक निर्णायक फैसला दे दिया है, जिसे भाजपा आलाकमान को समझने की जरूरत है। मतदाताओं ने भाजपा विरोधी फैसला दिया है। भाजपा अब फिर से मतदाता का दिल कैसे जीते, इस पर उसे गंभीरता से चिंतन-मनन करना होगा, अन्यथा मई में लोकसभा चुनाव के घातक परिणाम हो सकते हैं। चुनाव में स्टारकों के सघन प्रचार अभियानों के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित राष्ट्राध्यक्ष अमित शाह, जनता को लुभाने में नाकामयाब रहे, इस कड़वे सत्य को भाजपा नेता भी मान रहे हैं।
अहंकार भी बना पराजय का बड़ा कारण
प्रदेश में अच्छी संभावना के बाद भी भाजपा गुटबाजी की बीमारी के कारण जीत की जमीन तैयार करने में असफल रही। दरअसल भाजपा नेता जनता की नब्ज नहीं पहचान पाए, जनता घिसे-पिटे चेहरे को देखते-देखते उकता चुकी थी। यदि चेहरे बदलकर पैंतरा अपनाती, तो उसे लाभ अवश्य मिल सकता था। किंतु 3 बार की अपार सफलता ने उसके जांचने-समझने की शक्ति क्षीण कर दी थी, इसीलिए पुराने चेहरे मैदान में उतारना, सत्ताधारी भाजपा को महंगा पड़ गया।
क्या लोकसभा के बैरोमीटर साबित होंगे परिणाम
छत्तीसगढ़ में भाजपा की नैया डूबनी ही थी। भाजपा शासन में ऐतिहासिक भ्रष्टाचार हुए और महंगाई ने जो ऊंची उड़ान भरी, उससे नाराज जनता ने भाजपा को करारी शिकस्त देकर हिसाब चुकता कर लिया। अब के सेमी फायनल कहे जाने वाले इस चुनाव का परिणाम, स्पष्ट संदेश है कि यदि अब भी नहीं संभले तो, फाईनल में भाजपा को ऐसे ही पराजय का मुंह देखना पड़ सकता है।
90 में 75 सीटों पर मिटा भाजपा का नामोनिशान
आंकड़ों के हिसाब से देखें तो इस मर्तबा प्रदेश में भाजपा को 34 सीटों का नुकसान हुआ है। अगर निष्पक्ष आंकलन किया जाए तो, छत्तीसगढ़ में भाजपा मुंह दिखाने की हालत में नहीं रही। प्रदेश में मतदाता ने भाजपा के ताश के पत्तों के महल को ध्वस्त कर दिया। राज्य के 90 में से 75 सीटों में भाजपा का नामोनिशान मिट जाना, बड़ी-बड़ी डींगें हांकने वाले भाजपाईयों के लिए एक बड़ा सबक है।
राहुल की सभाओं से मिली कांग्रेस को संजीवनी
इधर दूसरी तरफ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के सारगर्भित भाषण ने प्रदेश में अंतिम सांसें गिन रही कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया। राहुल गांधी ने अपनी तमाम आम सभाओं में राफेल, पनामा घोटाला एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने मित्रों को साढ़े 3 लाख करोड़ रूपए से कर्ज माफी के नाम उपकृत करने का रहस्योदघाटन कर जनता को सोचने पर विवश कर दिया। प्रदेश में उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ को देखते हुए, उनकी दिन प्रतिदिन बढ़ती लोकप्रियता का अंदाज तो लग रहा था, किंतु भीड़ भारी भरकम मत में तब्दील होगी, इसको लेकर आशंका थी, जो नतीजों के बाद निर्मूल साबित हुयी।
लोक लुभावन घोषणा पत्र कर गया काम
अलबत्ता कांगे्रस के लोक लुभावन घोषणा पत्र में किसानों का कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ, धान का बोनस सहित 2500 रूपए धान का समर्थन मूल्य जैसे मुद्दों ने मतदाताओं को इतना अभिभूत किया कि, उन्होंने कांग्रेस को ही अपना मसीहा मान, आव देखा न ताव दनादन पंजे पर बटन दबा दिया। जीएसटी से खफा व्यापारी वर्ग, जिसकी प्रत्येक चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है को, कांग्रेस में बेहतर विकल्प नजर आया, तो सुरसे की भांति पैर पसार रही महंगाई से बेजार आम जनों ने कांग्रेस को सिर मौर बनाने में किंचित भी संकोच नहीं किया।
15 साल बाद चला पंजे का जादू
प्रदेश में नया जनादेश कांगे्रस को मिला है, अंकगणित के हिसाब से देखें तो कांग्रेस जादुई आंकड़ा पार कर गयी है। इस बार कांग्रेस की सटीक रणनीति के चलते 15 साल बाद पंजे का जादू चला। राज्य के नतीजे कुछ सीटों पर इतिहास बदलने वाले रहे। अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ राज्य गठन तक राजनीति के अजातशत्रु माने जाने वाले दिग्गज इस बार की आंधी में कांग्रेस के राजनीतिक दांव के आगे टिक नहीं पाए और धराशायी हो गए। आठ मंत्रियों के क्षेत्र में पहली बार कांगे्रस ने अपना खाता खोलकर भाजपा का अभेद्य किला ढहा दिया।
कांग्रेस की बढ़ी जिम्मेदारियां
चुनाव में मिले एकतरफा जन समर्थन के बाद निश्चित ही कांग्रेस की जिम्मेदारी और बढ़ गयी है। ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा तक ऐसी कार्ययोजना बनाना होगा, जिससे ग्राम नगर एवं पूरे राज्य का समग्र व चहुंमुखी विकास हो और जनता यह महसूस करे कि उसे जो अपेक्षाएं थीं, वो मि
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